प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भरूच (गुजरात) के आमोद में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने जंबूसर में बल्क ड्रग पार्क, दहेज में डीप सी पाइपलाइन परियोजना, अंकलेश्वर और पनोली में हवाई अड्डे के पहले चरण और बहुस्तरीय औद्योगिक शेड के विकास की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने कई परियोजनाओं को देश को समर्पित किया जो गुजरात में रसायन क्षेत्र को बढ़ावा देंगी। इन परियोजनाओं में जीएसीएल प्लांट, भरूच अंडरग्राउंड ड्रेनेज और आईओसीएल दहेज कोयाली पाइपलाइन का निर्माण शामिल है।
प्रधानमंत्री ने सबसे पहले श्री मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह जी के साथ मेरा रिश्ता बहुत खास रहा है। मुख्यमंत्रियों के रूप में जब भी हम मिलते थे, तो हमारे बीच आपसी सम्मान और निकटता की भावना होती थी। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद जब श्री मोदी विभिन्न दलों के नेताओं के पास पहुंचे थे, उस पल को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुलायम सिंह जी का आशीर्वाद और उनकी सलाह के शब्द आज भी उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। बदलते समय के बावजूद मुलायम सिंह जी ने अपने 2013 के आशीर्वाद को बनाए रखा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पिछले लोकसभा के अंतिम सत्र में मुलायम सिंह जी के आशीर्वाद का भी स्मरण किया, जिसमें दिवंगत नेता ने बिना किसी राजनीतिक मतभेद के 2019 में प्रधानमंत्री मोदी की वापसी की भविष्यवाणी की थी। श्री मुलायम सिंह जी के अनुसार, श्री मोदी जी एक ऐसे नेता हैं जो सभी को साथ लेकर चलते हैं। आज गुजरात की इस धरती और मां नर्मदा के तट से आदरणीय मुलायम सिंह जी को नमन। मैं ईश्वर से उनके परिवार और प्रशंसकों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
प्रधानमंत्री ने टिप्पणी करते हुए कि वह आजादी का अमृत महोत्सव के समय भरूच आए हैं और उन्होंने कहा कि इस जगह की मिट्टी ने देश के लिए ऐसे कई बच्चों को जन्म दिया है जिन्होंने देश का नाम नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उन्होंने संविधान सभा के एक सदस्य और सोमनाथ आंदोलन में सरदार पटेल के प्रमुख साथी कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और भारतीय संगीत के महान संगीतकार पं. ओंकारनाथ ठाकुर को भी स्मरण किया। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात और भारत के विकास में भरूच की महत्वपूर्ण भूमिका है। जब भी हम भारत के इतिहास को पढ़ते हैं और भविष्य के बारे में बात करते हैं, भरूच की हमेशा गर्व के साथ चर्चा की जाती है। प्रधानमंत्री ने भरूच जिले की उभरती महानगरीय प्रकृति का भी उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भरूच को रसायन क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाओं के साथ पहला ‘बल्क ड्रग पार्क’ प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी से जुड़ी दो बड़ी परियोजनाओं की भी आज शुरुआत की गई है। श्री मोदी ने यह भी बताया कि अंकलेश्वर में भरूच हवाई अड्डे का शिलान्यास भी किया गया है ताकि भरूच के लोगों को बड़ौदा या सूरत पर निर्भर न रहना पड़े। प्रधानमंत्री ने कहा कि भरूच एक ऐसा जिला है जिसमें देश के अन्य छोटे राज्यों की तुलना में सबसे अधिक उद्योग हैं और इस नई हवाईअड्डा परियोजना के साथ, यह क्षेत्र विकास के मामले में तीव्र गति से अग्रसर होगा। श्री मोदी ने कहा कि यह नरेन्द्र-भूपेंद्र की डबल इंजन सरकार का ही परिणाम है जो कार्यों को त्वरित गति से पूरा करने का प्रयास करती है। श्री मोदी ने कहा कि यह गुजरात का नया चेहरा है। गुजरात, पिछले दो दशकों में, हर क्षेत्र में एक पिछड़े राज्य से एक संपन्न औद्योगिक और कृषि राज्य में परिवर्तित हो गया है। व्यस्त बंदरगाहों और एक विकासशील समुद्र तट के साथ आदिवासियों और मछुआरे समुदाय का जीवन बदल गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के लोगों की कड़ी मेहनत के कारण आजादी के अमृत महोत्सव में राज्य के युवाओं के लिए एक सुनहरे दौर का शुभारंभ हो गया है। उन्होंने कहा कि हमें बाधाओं से मुक्त एक सक्षम वातावरण बनाना चाहिए और इस अवसर को नहीं गंवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन सपनों को साकार करने के लिए नीति और नियत दोनों की आवश्यकता होती है। उन्होंने भरूच क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के बारे में बात की। उन्होंने यह भी स्मरण किया कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में कृषि, स्वास्थ्य और पेयजल की स्थिति में व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात को भी स्मरण किया कि कैसे मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने एक समय में एक ही मुद्दे का सामना किया और उसे हल किया। आज, बच्चे कर्फ्यू शब्द को नहीं जानते हैं, जो पहले एक आम शब्द था। आज हमारी बेटियां न केवल सम्मान के साथ जी रही हैं और देर तक काम भी कर रही हैं, बल्कि समुदायों का नेतृत्व भी कर रही हैं। इसी तरह भरूच में शिक्षा की सुविधाएं आई हैं, जिससे युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं। लंबी अवधि की योजना और कम उपयोग किए गए संसाधनों का लाभ उठाने के कारण, गुजरात एक विनिर्माण, औद्योगिक और व्यावसायिक केंद्र के रूप में उभरा है और कई विश्व स्तरीय सुविधाएं भी यहां सुलभ हुई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल इंजन वाली सरकार दोहरे लाभ का एक बड़ा उदाहरण बन गई हैं।
प्रधानमंत्री ने वोकल-फॉर-लोकल के अपने आह्वान को दोहराया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को अपनाकर और आयातित उत्पादों से दूर रहकर हर नागरिक ‘आत्मनिर्भर’ भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकता है। उन्होंने दिवाली के दौरान स्थानीय रूप से बनी चीजों का उपयोग करने का अनुरोध किया, क्योंकि इससे स्थानीय व्यवसायों और कारीगरों की मदद होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10वें स्थान पर थी वह आज पांचवें स्थान पर पहुंच गई है। इस उपलब्धि को इस तथ्य ने और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया कि अब भारत ने अपने पूर्व औपनिवेशिक आकाओं को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए युवा, किसान, श्रमिक, छोटे व बड़े व्यवसायी और उद्योगपति बधाई एवं श्रेय के पात्र हैं। उन्होंने भरूच के लोगों को दवाइयों के निर्माण द्वारा लोगों का जीवन बचाने के नेक कार्य में शामिल होने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि महामारी ने फार्मा क्षेत्र के महत्व को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है। गुजरात ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश की बहुत मदद की है। देश के फार्मा निर्यात में गुजरात की हिस्सेदारी 25 फीसदी है।
प्रधानमंत्री ने उस समय को भी स्मरण किया जब भरूच में कुछ उपद्रवियों ने विकास के मार्ग में बाधाएं डाली थीं। उन्होंने कहा, “जब हम 2014 में सत्ता में आए और गुजरात ने नरेन्द्र और भूपेंद्र की डबल इंजन शक्ति को महसूस किया, तो सभी बाधाएं दूर हो गईं।” प्रधानमंत्री ने सरदार सरोवर बांध के विकास के दौरान शहरी नक्सलियों द्वारा उत्पन्न की गई बाधाओं की ओर इशारा किया। झारखंड, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में नक्सलियों की व्यापकता की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने गुजरात के आदिवासी समुदायों की प्रशंसा की, जिन्होंने गुजरात राज्य में नक्सलियों का विस्तार नहीं होने दिया और राज्य के लोगों का जीवन बचाया। प्रधानमंत्री ने राज्य में शहरी-नक्सलवाद को पैर जमाने नहीं देने के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और गणित में अच्छी शिक्षा सुनिश्चित किए बिना सरकारी प्रयासों से हो रही सकारात्मक कार्रवाई और अन्य योजनाओं का उचित लाभ उठाना संभव नहीं है। आज आदिवासी युवा पायलट प्रशिक्षण प्राप्त कर डॉक्टर, वैज्ञानिक और एडवोकेट बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि आदिवासी समुदाय ने राज्य और देश के विकास की यात्रा में बहुत योगदान दिया है। उनके योगदान को सम्मान देने के लिए सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित करने की घोषणा की है। बिरसा मुंडा को देश भर के जनजातीय समुदायों द्वारा सम्मानित किया जाता है।
संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भरूच एवं अंकलेश्वर का विकास अहमदाबाद और गांधीनगर की तरह विकास के ‘ट्विन सिटी मॉडल ऑफ डेवलेपमेंट’ की तर्ज पर किया जा रहा है। लोग, भरूच और अंकलेश्वर के बारे में इसी प्रकार बात करने वाले हैं जैसे वे न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के बारे में बात करते हैं।
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री, श्री मनसुख मांडविया, संसद सदस्य श्री सी आर पाटिल और श्री मनसुख वसावा भी उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
भारत को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री ने जंबूसर में बल्क ड्रग पार्क की आधारशिला रखी। 2021-22 में, बल्क ड्रग्स का कुल दवा आयात में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान था। यह परियोजना आयात प्रतिस्थापन सुनिश्चित करने और थोक दवाओं के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री ने दहेज में ‘डीप सी पाइपलाइन परियोजना’ की आधारशिला भी रखी, जो औद्योगिक सम्पदाओं से शोधित अपशिष्ट जल के निपटान में सहायता करेगी। जिन अन्य परियोजनाओं की आधारशिला प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी, उनमें अंकलेश्वर हवाई अड्डे का चरण 1 और अंकलेश्वर और पनोली में बहुस्तरीय औद्योगिक शेड का विकास शामिल है। इससे एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कई औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए भी शिलान्यास किया। इनमें चार जनजातीय औद्योगिक पार्क शामिल हैं, जो वालिया (भरूच), अमीरगढ़ (बनासकांठा), चकालिया (दाहोद) और वनार (छोटा उदयपुर) में बनेंगे; मुडेथा (बनासकांठा) में एग्रो फूड पार्क; काकवाड़ी दांती (वलसाड) में सी फूड पार्क; और खांडिवव (महिसागर) में एमएसएमई पार्क का निर्माण किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने कई परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया जो रसायन क्षेत्र को बढ़ावा देंगी। उन्होंने दहेज में 130 मेगावाट के कोजेनरेशन पावर प्लांट के साथ एकीकृत 800 टीपीडी कास्टिक सोडा संयंत्र को समर्पित किया। इसके साथ ही उन्होंने दहेज में मौजूदा कास्टिक सोडा संयंत्र के विस्तार का भी लोकार्पण किया, जिसकी क्षमता 785 मीट्रिक टन/दिन से बढ़ाकर 1310 मीट्रिक टन/दिन कर दी गई है। प्रधानमंत्री ने दहेज में प्रति वर्ष एक लाख मीट्रिक टन से अधिक क्लोरोमीथेन के निर्माण की एक परियोजना का भी लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री द्वारा समर्पित अन्य परियोजनाओं में दहेज में हाइड्राज़िन हाइड्रेट प्लांट भी शामिल है जो इस उत्पाद के आयात को कम करने में मदद करेगा, इसके अलावा आईओसीएल दहेज-कोयली पाइपलाइन परियोजना, भरूच भूमिगत जल निकासी और एसटीपी कार्य एवं उमला आसा पनेथा सड़क को चौड़ा और मजबूत बनाने की परियोजनाएं शामिल हैं।