सौर ऊर्जा ‘इलेक्ट्रिक हाइवे’ पर सरपट दौड़ेंगी इंडियन व्हीकल्स, बस है इंतजार

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देश में इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने की तैयारी तेजी से की जा रही है। ज्यादातर लोगों ने ‘इलेक्ट्रिक व्हीकल’ तो सुना होगा लेकिन ‘इलेक्ट्रिक सड़क’ शायद पहली बार सुन रहे होंगे। दरअसल, जिस प्रकार रेलवे लाइन पर बिजली की मदद से ट्रेन दौड़ती है, कुछ उसी प्रकार से सड़कों पर भी बिजली की मदद से गाड़ियों को दौड़ाने की योजना बनाई गई है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा है। इन सभी प्रयासों के मद्देनजर भारत अपने संकल्प की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। याद हो, सीओपी 26 में, पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के रूप में, भारत ने 2070 तक शून्य के लक्ष्य सहित जलवायु से संबंधित कार्रवाई के प्रति अपना संकल्प लिया था। अपने इस संकल्प की पूर्ति के लिए भारत लगातार नई-नई राह तैयार कर रहा है। इसी कड़ी में देश में सौर ऊर्जा वाले ‘इलेक्ट्रिक हाइवे’ बनाए जाने की तैयारी की गई है।

इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि सरकार सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक हाईवे विकसित करने पर काम कर रही है। यह ट्रकों और बसों को चार्ज करने की सुविधा प्रदान करेगा।

भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित करना चाहती है सरकार

इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स (IACC) के 19वें भारत-अमेरिका आर्थिक शिखर सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन करते हुए गडकरी ने दोहराया कि सरकार बिजली पर भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली विकसित करना चाहती है। इसलिए सरकार चाहती है कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उत्पादन को सुविधाजनक बनाकर भारत के लिए जीवाश्म ईंधन की खपत और उत्सर्जन को कम किया जाए। इसके पीछे का कारण भारत में वाहन बाजार का बदलता स्वरूप है।

इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और कारों के लिए सबसे बड़ा ईवी बाजार  

दरअसल, भारत इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और कारों के लिए सबसे बड़ा ईवी बाजार बन रहा है। यह आने वाले समय में इलेक्ट्रिक हाइवे से होकर गुजरने वाले नए विकास मार्ग की मांग को दर्शाता है। इसी को पूरा करने के लिए सरकार ने अभी से कमर कस ली है और इस दिशा में काम करना भी शुरू कर दिया है। सरकार विद्युत गतिशीलता के लिए सौर और पवन ऊर्जा आधारित चार्जिंग तंत्र को दृढ़ता से प्रोत्साहित कर रही है। केवल इतना ही नहीं भारत सरकार इलेक्ट्रिक हाईवे के विकास पर भी काम कर रही है जो सौर ऊर्जा से संचालित होगा।

वहीं भारत सरकार का यह लक्ष्य भी है कि देश को अगले 5 वर्षों में ऑटोमोबाइल विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में कार्य किया जाए। इसके लिए ऑटो उद्योग को बिक्री बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता बरकरार रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीएस) की लागत को कम करने का आह्वान किया जा चुका है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ेगी और बिक्री बढ़ने पर उद्योग को भी लाभ होगा। वाहनों की गुणवत्ता और रखरखाव भी बनाए रखा जाना चाहिए। उच्च उत्पादन से ऑटोमोबाइल उद्योग बाजार की बढ़ती मांग को पूरा करने में सक्षम होगा।

ट्रकों और बसों को चार्ज करने की सुविधा करेगा प्रदान

इससे चलने के दौरान भारी शुल्क वाले ट्रकों और बसों को चार्ज करने में सुविधा होगी। यूएस-आधारित कंपनियां ईवी बैटरी प्रौद्योगिकियों और रेट्रोफिटिंग उद्योग की दिशा में हमारे अनुसंधान और विकास प्रयासों के साथ सहयोग कर सकती हैं। हमारा राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और परिवहन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।

ऐसे में निवेशकों के पास और भारत में सड़कों और राजमार्ग परियोजनाओं में निवेश करने का अच्छा मौका है। संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के साथ विश्व के प्रमुख लोकतंत्र हैं। दोनों ही देशों का जोर समावेशी विकास मॉडल के साथ एक स्थायी व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में सड़क अवसंरचना की क्या है भूमिका ?

भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में सड़क अवसंरचना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि 70% माल और लगभग 90% यात्री यातायात सड़क नेटवर्क का उपयोग आवागमन के लिए करते हैं। 2014 में, हमारे पास लगभग 91,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क था। वर्तमान में यह नेटवर्क लगभग 1.47 लाख किलोमीटर तक पहुंच गया है। भारत सरकार 2025 तक राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को 2 लाख किलोमीटर तक बढ़ाने के लिए समर्पित रूप से काम कर रही है।

कार्बन उत्सर्जन में हर साल 250 करोड़ किलोग्राम की आएगी कमी

हम 5 लाख करोड़ रुपए यानि करीब 60 अरब डॉलर के निवेश से पूरे देश में 10,000 किलोमीटर के 27 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन गलियारों से प्रमुख आर्थिक केंद्रों के बीच यात्रा दूरी में 14% की कमी आएगी और इससे परिवहन लागत में 2.5 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, लगभग 110 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में हर साल 250 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी।

’ट्री बैंक’ नामक एक नई नीति भी तैयार

सरकार पेड़ काटने और वृक्षारोपण के लिए ‘ट्री बैंक’ नामक एक नई नीति तैयार कर रही है। नीति के अनुसार, एनएचएआई, एनएचआईडीसीएल, एयरपोर्ट और पोर्ट अथॉरिटी जैसे प्राधिकरणों को प्रोजेक्ट डेवलपमेंट के दौरान पेड़ लगाने और काटने का रिकॉर्ड रखने वाले ट्री बैंक अकाउंट को बनाए रखना होता है।

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन बाजार है, हालांकि वर्तमान ऑटोमोबाइल मार्केट में फॉसिल ईंधन आधारित वाहनों द्वारा प्रभावित किया जाता है, लेकिन भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य स्थापित किए हैं और अनुकूल नीतियां बनाई हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इलेक्ट्रिक वाहन जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों को परिवहन के प्राथमिक तरीके के रूप में बदल सकें।

नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्लान (NEMMP) 2020

इसके तहत, साल 2020 में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों की 6-7 मिलियन बिक्री प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया था। इसके अलावा, भारत सरकार ने साल 2030 तक 400 मिलियन ग्राहकों के इलेक्ट्रिक सपनों को साकार करने का लक्ष्य रखा। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक सक्रिय कदम उठाते हुए, सरकार ने हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों (फेम) स्कीम को तेजी से अपनाने और निर्माण करने पर बल दिया, जिसके लिए 2019 से शुरू होने वाले 3 वर्षों की अवधि के लिए रु. 10,000 करोड़ का खर्च किया गया। इस योजना में ग्राहकों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए मांग प्रोत्साहन और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के अलावा अनुसंधान और विकास के लिए निर्माताओं को प्रोत्साहन देना शामिल है। ई-मोबिलिटी ट्रांजिशन के लिए भारत सरकार के इन तमाम प्रयासों से स्पष्ट है कि ईवी और इलेक्ट्रिक सड़कें पर्यावरणीय लाभ से बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यही हमारा भविष्य सुरक्षित रखेंगी।

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