जानें क्या है पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी, जिसका शोधकर्ता और छात्र भी उठा सकेंगे लाभ

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लाल किले की प्राचीर से हाल ही में पीएम मोदी ने कहा कि अगर समस्याएं हैं तो उसका समाधान भी है। उन्होंने कहा कि विश्व भारत की तरफ गर्व से देख रहा है। अपेक्षा से देख रहा है। समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने पारंपरिक ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने और नए इनोवेशन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महत्वपूर्ण फैसला किया है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी डेटाबेस (टीकेडीएल) तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। अब पेटेंट कार्यालयों के अलावा शोधकर्ता व अन्य उपयोगकर्ता डेटाबेस का उपयोग कर पायेंगे।

भारत ट्रेडिशनल मेडिसिन का खजाना

दरअसल, भारतीय पारंपरिक ज्ञान (टीके) में राष्ट्रीय और वैश्विक जरूरतों को पूरा करने की अपार क्षमता है, जिससे सामाजिक लाभ के साथ-साथ आर्थिक विकास भी होगा। इस बात की तस्दीक खुद हमारे देश की चिकित्सा और स्वास्थ्य की पारंपरिक प्रणाली, यानि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा रिग्पा और योग कर रहे हैं, जो आज भी देश-विदेश के लोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। हाल में कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारतीय पारंपरिक दवाओं का व्यापक उपयोग देखा जा रहा है, जिनके लाभों में प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने से लेकर लक्षणों के अनुरूप राहत देना तथा वायरस के प्रकोप को कम करना शामिल हैं। इस साल की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अप्रैल में भारत में अपना पहला विदेश स्थित ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) स्थापित किया। यह केंद्र दुनिया की वर्तमान और उभरती जरूरतों को पूरा करने में पारंपरिक ज्ञान की निरंतर प्रासंगिकता को प्रदर्शित करता है।

लाइब्रेरी में 4 लाख 24 हजार भारतीय परंपरागत चिकित्सा ज्ञान

ऐसे में अब ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी डेटाबेस तक लोगों की पहुंच आसान करने की पहल देश को और आगे की ओर ले जाएगी। इस बारे में केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि समय-समय पर भारत के परंपरागत और प्रचलित ज्ञान पर आधारित पेटेंट हासिल करने के प्रयास किए जाते हैं। इन प्रयासों की रोकथाम के लिए पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) को 2001 में स्थापित किया था। इस लाइब्रेरी में 4 लाख 24 हजार भारतीय परंपरागत चिकित्सा ज्ञान से जुड़े मिश्रण और पद्धति को संकलित किया गया था।

शोध और नवाचार में होगी वृद्धि

उन्होंने कहा कि अब तक इस लाइब्रेरी का उपयोग दुनियाभर में पेटेंट कार्यालय जांच हेतु कर सकते थे। अब इसकी व्यापक पहुंच को सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी भी लगातार इस बात पर जोर देते है कि भारत की युवा पीढ़ी अपनी विरासत और अनुसंधान क्षेत्र से जुड़े। अब पेटेंट आवेदनकर्ता, नवाचार क्षेत्र से जुड़े लोग और शोधकर्ता इस डेटाबेस को एक्सेस कर सकेंगे। इससे क्षेत्र में काम करने वालों का काम आसान होगा और उनका समय और संसाधन बचेंगे।

उन्होंने कहा कि व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने से विविध क्षेत्रों में परंपरागत ज्ञान से जुड़े शोध और नवाचार में वृद्धि होगी। भारतीय पारंपरिक ज्ञान आधारित मेडिसिन को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी। परंपरागत ज्ञान और वर्तमान जारी प्रथाएं आपस में जुड़ेंगी। इस क्षेत्र में उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

क्या है ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी डेटाबेस

ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) 2001 में स्थापित भारतीय पारंपरिक ज्ञान का एक प्राथमिक डेटाबेस है। इसे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( CSIR) और भारतीय चिकित्सा प्रणाली व होम्योपैथी विभाग (ISM & H, अब आयुष मंत्रालय) द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया था। टीकेडीएल विश्व स्तर पर अपनी तरह का पहला संस्थान है और यह अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में कार्य कर रहा है। टीकेडीएल में वर्तमान में आईएसएम से संबंधित मौजूदा साहित्य जैसे आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा रिग्पा और योग शामिल है। जानकारी व ज्ञान को पांच अंतरराष्ट्रीय भाषाओं – अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी और स्पेनिश- में डिजिटल प्रारूप में प्रस्तुत किया गया है। टीकेडीएल दुनिया भर में पेटेंट कार्यालयों को पेटेंट परीक्षकों द्वारा समझने योग्य भाषाओं और प्रारूप में जानकारी प्रदान करता है, ताकि पेटेंट को गलत तरीके से प्राप्त करना संभव न रहे। अब तक, संपूर्ण टीकेडीएल डेटाबेस तक पहुंच की सुविधा दुनिया भर के 14 पेटेंट कार्यालयों को सिर्फ खोज और परीक्षण करने के उद्देश्य से दी गयी है। टीकेडीएल के माध्यम से यह रक्षात्मक संरक्षण, भारतीय पारंपरिक ज्ञान को दुरूपयोग से बचाने में प्रभावी रहा है और इसे एक वैश्विक बेंचमार्क माना जाता है।

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