आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: हेल्थ सेक्टर में डिजिटल इकोसिस्टम, ऐसे बनेगा हेल्थ कार्ड

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अक्सर जब हम इलाज कराने जाते हैं, तो बीमारी की हिस्ट्री भूल जाते हैं या कहें कि बीमारी से जुड़े भारी-भरकम पुरानी जांच रिपोर्ट एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में छूट जाते हैं या फिर खो जाते हैं। डिजिटल हेल्थ कार्ड होने से इस तरह की जुड़ी तमाम समस्याएं खत्म हो जाएंगी। इस कार्ड से मरीज और डॉक्टर दोनों को फायदा होगा। क्या है डिजिटल हेल्थ कार्ड और कौन बनवा सकता है साथ ही इससे जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारी बारे में जानते हैं।

डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड में रहेगी हेल्थ की जानकारी
आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ कार्ड आधार कार्ड की तरह है। जिस तरह आधार कार्ड किसी भी तरह के वेरिफिकेशन के लिए एक डॉक्यूमेंट की तरह काम करता है, उसी तरह आयुष्‍मान भारत हेल्‍थ कार्ड में भी नागरिक की पूरी मेडिकल हिस्ट्री मौजूद रहेगी। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत, नागरिक अपना आभा (आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता) नंबर बना सकेंगे, जिससे उनके डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ा जा सकेगा। यह विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में व्यक्तियों के लिए विस्तृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने में सक्षम होगा और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा नैदानिक निर्णय लेने को बेहतर बनाएगा।

टेलीमेडिसिन जैसी सेवा में होगा फायदा
डिजिटल हेल्थ कार्ड में 14 अंकों का नंबर दिया जाएगा। जिसमें उनके हेल्थ का पूरा रिकॉर्ड होगा। खास बात यह है कि आज के समय में टेलीमेडिसिन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके आने से टेलीकंसल्टेशन के दौरान केवल बताना होगा कि क्या परेशानी है, बाकी डॉक्टर उस आईडी से अपने सिस्टम पर देख सकेंगे। डॉक्टर के पास मरीज के बारे में क्लिनिकल स्टडी करने का मौका भी रहेगा। ये डॉक्टर और मरीज दोनों के लिये बहुत उपयोगी होगा। मिशन टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करके और स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प चयन (पोर्टेबिलिटी) को सक्षम करके गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक न्यायसंगत पहुंच में सुधार करेगा।

पीएम मोदी ने 2020 में की थी शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले की प्राचीर से देश के लिये नेशनल हेल्थ डिजिटल मिशन लाने का ऐलान किया था। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सरकार के प्रमुख कार्यक्रम आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को देश में लागू करने की मंजूरी दे दी है। इस मिशन के अंतर्गत नागरिकों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता खोलने में मदद मिलेगी।

5 साल के लिए 1,600 करोड़ रुपये की मंजूरी
हाल ही में पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 1,600 करोड़ रुपये के साथ 5 साल के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को मंजूरी दी। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत, नागरिक अपना आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या बना सकेंगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) की कार्यान्वयन एजेंसी है।

कैसी बनेगी हेल्थ आईडी
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट बनाना अब आसान हो चुका है। आप खुद भी हेल्थ आईडी बना सकते हैं।  आरोग्य सेतु एप का उपयोग करके आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता बनाया जा सकता है। इसके अलावा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की नोडल एजेंसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने दोनों के इंटीग्रेशन का ऐलान किया है। लगभग 21.4 करोड़ लोग आरोग्य सेतु एप का प्रयोग कर रहे हैं, जो अपना आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट नंबर जनरेट कर सकेंगे। यह नंबर 14 अंको का बनेगा। उपयोगकर्ता अपने पुराने और नए मेडिकल रिकॉर्ड को इस नंबर से लिंक कर सकते हैं। यह सभी रिकॉर्ड रजिस्टर्ड हेल्थ प्रोफेशनल एवं हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर के साथ शेयर किए जाएंगे। डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाने के लिए रजिस्ट्रेशन के दौरान यूजर अपने आधार नंबर के जरिए प्रमाणित कर सकता है। इससे नाम, जन्मतिथि, लिंग व पता जैसी जानकारी अपने आप एड हो जाएगी। आधार के अलावा ड्राइविंग लाइसेंस या मोबाइल नंबर के जरिए भी बनवा सकते हैं।
देश में 17 करोड़ से ज्यादा बनाए गए कार्ड
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के पायलट प्रोजेक्ट के तहत 6 केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप में एनएचए द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म के सफलता के साथ पूरी की गयी है। 24 फरवरी 2022 तक, 17,33,69,087 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए गए हैं और एबीडीएम में 10,114 डॉक्टरों और 17,319 स्वास्थ्य सुविधाओं को पंजीकृत किया गया है।
एबीडीएम प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के संबंध में न केवल साक्ष्य आधारित निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि यह नवाचार को बढ़ावा देगा और स्वास्थ्य सेवा इकोसिस्टम में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।

मरीज की अनुमति से ही देख सकेंगे हेल्थ कार्ड
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत बनने वाले हेल्थ कार्ड के डेटा को सुरक्षित रखने का भी प्रावधान रखा गया है। हेल्थ कार्ड को बिना मरीज की अनुमति के एक्सेस नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि जिस भी डॉक्टर के पास जाएंगे आपको पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताने के लिए अपनी यह आईडी बतानी होगी। लेकिन हेल्थ केयर सेंटर या डॉक्टर को जानकारी एक्सेस करने के लिए ओटीपी की जरूरत होगी। आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट कार्ड को डाउनलोड भी किया जा सकता है। कार्ड में एक क्यू -आर कोड होता है, जिसे स्कैन करके ओटीपी वेरीफिकेशन के बाद रिकॉर्ड देखा जा सकता है। इसमें डेमोग्राफिक, लोकेशन, फैमिली, रिलेशनशिप और संपर्क समेत कई जानकारियां एकत्र होंगी।

हेल्थ सेक्टर में डिजिटल इकोसिस्टम जरूरी

स्वास्थ्य इकोसिस्टम में डिजिटल स्वास्थ्य समाधान पिछले कुछ वर्षों में काफी लाभकारी सिद्ध हुए हैं। को-विन, आरोग्य सेतु और ई-संजीवनी ने यह दिखाया है कि स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच को सक्षम करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। हालांकि, देखभाल की निरंतरता और संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए ऐसे समाधानों को एकीकृत करने की आवश्यकता है।

जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी तथा सरकार की अन्य डिजिटल पहलों पर आधारित, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) विस्तृत डेटा के प्रावधान, सूचना और अवसंरचना सेवाओं के माध्यम से एक आसान ऑनलाइन प्लेटफार्म का निर्माण कर रहा है एवं खुले, परस्पर संचालन-योग्य व मानक-आधारित डिजिटल प्रणाली का विधिवत लाभ उठाते हुए स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, गोपनीयता और निजता भी सुनिश्चित कर रहा है।

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