हाइड्रोजन कार से संसद पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जानें, ग्रीन हाइड्रोजन कैसे करता है काम

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केंद्रीय मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग नितिन गडकरी हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (FCEV) से संसद भवन पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ से चलने वाली कार का प्रदर्शन करते हुए देश में हाइड्रोजन आधारित व्यवस्था का समर्थन करने के लिए हाइड्रोजन, एफसीईवी प्रौद्योगिकी और इसके लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आश्वासन दिया कि भारत में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण किया जाएगा, देश में स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करने वाले ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही हरित हाइड्रोजन निर्यातक देश बन जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि भारत में स्वच्छ और अत्याधुनिक गतिशीलता के पीएम मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, हमारी सरकार, ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ के माध्यम से हरित और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले सप्ताह दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक विकसित ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) टोयोटा मिराई को लांच किया था।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन ?

ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का स्वच्छ स्रोत है। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करता है। इसमें सोलर और विंड दोनों तरह की एनर्जी शामिल है। हाइड्रोजन का इस्तेमाल कई तरह के सेक्टर में हो रहा है। इनमें केमिकल, आयरन, स्टील, ट्रांसपोर्ट, हीटिंग और पावर शामिल हैं। हाइड्रोजन के इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता है।

कार में कैसे काम करता है हाइड्रोजन

हाइड्रोजन कार थोड़ी अलग होती है। इसमें हाइड्रोजन के दो टैंक होते हैं, जिसमें एक हाइली कंप्रेस्ड होता है और दूसरा लो कम्प्रेस्ड होता है। हाइड्रोजन गैस बहुत ज्वलनशील होता है, इसलिए इसके टैंक और इसे रखने वाले पाइप का मजबूत होना जरूरी है। इस टेक्नोलॉजी के तहत इस क्रिया में एक चैंबर होता है, जिसमें एक तरफ से ऑक्सीजन और दूसरे तरफ से हाइड्रोजन भेजा जाता है। दोनों के बीच केमिकल रिएक्शन से एक ऊर्जा निकलती है। जो गाड़ी को चलने में मदद करती है और धुंए की जगह H2O निकलता है।

‘ग्रीन हाइड्रोजन’ में दुनिया की तमाम कंपनियों की दिलचस्पी

बीते कुछ साल से दुनिया की बड़ी ऑयल और गैस कंपनियों की दिलचस्पी भी ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ में बढ़ी है। इसे लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि हर चीज के लिए इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में कुछ इंडस्ट्रियल प्रोसेस और हेवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें रिन्यूएबल हाइड्रोजन सबसे अच्छी गैस है। यह पूरी तरह से स्वच्छ है। ‘रिन्यूएबल एनर्जी’ की कीमत घटने के साथ ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन की लागत में भी कमी आ रही है।

फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल से शून्य कार्बन उत्सर्जन

सरकार का कहना है कि हाइड्रोजन द्वारा संचालित फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल सबसे अच्छे शून्य कार्बन उत्सर्जन समाधानों में से एक है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है जिसमें पानी के अलावा कोई अन्य पदार्थ उत्सर्जित नहीं होता। अक्षय ऊर्जा और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध बायोमास से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पन्न की जा सकती है।

ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक पर स्विच कर रहे लोग

हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-डीजल, बायो-सीएनजी, बायो-एलएनजी, ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक पर स्विच कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने अनुरोध किया हम सभी हरित हाइड्रोजन के लिए पहल करें। 3000 करोड़ रुपये की लागत से हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की गई है। प्रौद्योगिकी और हरित ईंधन में तेजी से होती प्रगति से इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल की लागत कम होगी, जिससे इनकी कीमतें अगले दो वर्षों में पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के बराबर आ जाएगी। गडकरी ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा दो वर्षों के भीतर इलेक्ट्रिक स्कूटर, कार, ऑटो रिक्शा की कीमत पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर, कार, ऑटो रिक्शा के समान होगी। लिथियम आयन बैटरी की कीमतें कम हो रही हैं। हम जिंक-आयन, एलुमिनियम-आयन, सोडियम-आयन बैटरी के रसायन को विकसित कर रहे हैं। पेट्रोल जहां 100 रुपये खर्च होते हैं वहीं इलेक्ट्रिक वाहन पर 10 रुपये खर्च होंगे।

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