बचपन में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय त्योहारों पर खूब तिरंगा झंडा फहराया होगा। लेकिन इस बार जबकि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है, तो केंद्र सरकार इस जश्न को हर घर से जोड़ने जा रही है। इसके लिए स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू करने का फैसला किया गया है।
गृह मंत्रालय से मिली मंजूरी
दरअसल, देश में पिछले एक साल से आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर जश्न मनाया जा रहा है, जिसे हम आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और गांव की पंचायत से लेकर तमाम कंपनियां, सरकारी कार्यालय और विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास में अलग-अलग तरह से जश्न मनाया जा रहा है। इस बारे में संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सभी प्रयासों की देखरेख करने वाले गृह मंत्री ने हमारे ध्वज को और सम्मानित करने के लिए ‘हर घर तिरंगा’ के कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। यह हर जगह भारतीयों को अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रेरित करने की परिकल्पना करता है।
राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक
मंत्रालय का मानना है कि भारतीय ध्वज पूरे राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। अभी तक भारतीय ध्वज के साथ हमारा संबंध हमेशा व्यक्तिगत से अधिक फॉर्मल और इंस्टीट्यूशनल यानि संस्थागत रहा है। लेकिन स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में एक राष्ट्र के रूप में ध्वज को अगर सभी अपने-अपने घर लाएंगे, तो न केवल तिरंगे से व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक बनेगा, बल्कि राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का भी प्रतीक बनेगा। इससे लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगेगी और अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए 11-17 अगस्त तक सभी नागरिकों स्वतंत्रता सप्ताह के दौरान अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
कैसे कपड़े के ध्वज को फहरा सकते हैं
एक समय तक भारतीय तिरंगे को कब, कहां, कैसे उपयोग, प्रदर्शन और फहराना है आदि को लेकर भारत का ध्वज संहिता 2002 प्रभावी है। हालांकि भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के कुछ बिंदुओं को 30 दिसंबर 2021 के एक आदेश द्वारा संशोधित किया गया था, जिसके तहत राष्ट्रीय झंडा ‘हथकरघा से या हाथ से बुने हुए या मशीन से बने, सूती, पॉलिस्टर, ऊन, रेशमी, खादी से बनाया जा सकता है। इससे पहले हथकरघा से या हाथ से बुने हुए खादी के कपड़े से ही बनाने की अनुमति थी। हालांकि राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कई नियम और निर्देश बनाएं गए हैं, जिनका जानना जरूरी है…
राष्ट्रीय ध्वज का उपयुक्त आकार और अनुपात
भारत के ध्वज संहिता के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज आकार में आयताकार होगा। झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 होगा।
राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय रखें विशेष ध्यान
राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुरूप आम जनता, निजी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। सार्वजनिक, निजी संगठन या शैक्षणिक संस्थान का कोई सदस्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान के अनुसार सभी दिनों या अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहरा या प्रदर्शित कर सकता है। जब भी राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शन पर होता है, उसे सम्मान की स्थिति में होना चाहिए और स्पष्ट रूप से रखा जाना चाहिए। क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए।
–राष्ट्रीय ध्वज को उल्टे तरीके से प्रदर्शित नहीं किया जाएगा; यानि केसरिया पट्टी नीचे की पट्टी नहीं होनी चाहिए।
–क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित नहीं किया जाएगा
–राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी व्यक्ति या वस्तु की सलामी में नहीं फहराना है।
–राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग उत्सव या किसी अन्य तरीके से सजावट के लिए नहीं किया जाएगा
–राष्ट्रीय ध्वज को पानी में जमीन या फर्श को छूने की अनुमति नहीं होगी
ध्वज का किसी और रूप में प्रयोग वर्जित
राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी के हिस्से के रूप में नहीं किया जाएगा और न ही इसे कशीदाकारी या कुशन, रुमाल, नैपकिन या किसी ड्रेस सामग्री पर मुद्रित किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज पर कोई शिलालेख नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग चीजों को लपेटने, प्राप्त करने या वितरित करने के लिए नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी भी वाहन के किनारे, पीछे और ऊपर को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज फहराने का विशेषाधिकार केवल निम्नलिखित व्यक्तियों तक ही सीमित है।
राष्ट्रपति
-उपाध्यक्ष
-राज्यपाल और उपराज्यपाल
-भारतीय मिशनों / पदों के प्रमुख
-प्रधानमंत्री
-कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और संघ के उप मंत्री
-किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री
-लोकसभा के अध्यक्ष, राज्य सभा के उपाध्यक्ष, लोकसभा के उपाध्यक्ष, राज्यों में विधान परिषदों के अध्यक्ष, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभाओं के अध्यक्ष, राज्यों में विधान परिषद के उपाध्यक्ष, विधान सभाओं के उपाध्यक्ष राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
-भारत के मुख्य न्यायाधीश
-सुप्रीम कोर्ट के जज
-उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश
-उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश