वर्तमान में भारत फार्मा निर्यात का गढ़ बन गया है। जी हां, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण पूरी दुनिया को मिल चुका है। आंकड़े बताते हैं कि भारत के फार्मा निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत बढ़ा है। यह वित्त वर्ष 2013-14 के 90,415 करोड़ रुपए से बढ़ कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 1,83,422 करोड़ रुपए तक पहंच गया है। केवल इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्जित निर्यात फार्मा सेक्टर का यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन है।
फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड बना भारत
याद हो, अप्रैल 2021 में पीएम मोदी ने कहा था, यह दवा उद्योग के प्रयासों का परिणाम है कि आज भारत को ‘फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड’ के रूप में जाना जाता है। जी हां, महामारी के दौरान दुनिया भर में 150 से ज्यादा देशों में आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई गईं। तमाम चुनौतियों के बावजूद, भारतीय दवा उद्योग ने निर्यात में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है, जो इसकी क्षमता को दर्शाता है।
8 वर्षों में लगभग 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि
यह एक उल्लेखनीय बढ़ोतरी है जब निर्यात में 8 वर्षों में लगभग 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो चुकी है। साफ है कि पीएम मोदी के सक्रिय नेतृत्व में भारत ‘विश्व के फार्मेसी’ के रूप में सभी की सेवा कर रहा है।
भारतीय औषध उद्योग को वैश्विक बाजार में अग्रणी भूमिका निभाने हेतु समर्थ बनाना और आम उपभोग के लिए अच्छी गुणवत्ताओं वाले औषध उत्पादों का यूक्तिसंगत मूल्यों पर देश के अंदर प्रचुर उपलब्धता सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का अहम लक्ष्य है जिसे पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।
व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के असाधारण प्रदर्शन के आधार पर, भारतीय फार्मा निर्यात ने एक बार फिर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान स्वस्थ प्रदर्शन दर्ज कराया है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान फार्मा निर्यात ने वैश्विक व्यापार बाधाओं और कोविड संबंधित दवाओं की मांग में कमी के बावजूद सकारात्मक वृद्धि बनाए रखी है। 15175.81 मिलियन डॉलर के अधिशेष के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में बना हुआ है।
विश्व के 60% टीके तथा 20% जेनेरिक दवाएं भारत से
अपनी कीमत प्रतिस्पर्धात्मकता और अच्छी गुणवत्ता के कारण सक्षम भारतीय फार्मा कंपनियों ने वैश्विक पहचान बनाई है, जिसमें विश्व के 60% टीके तथा 20% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं। भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया भर में तीसरे तथा मूल्य के लिहाज से विश्व में 14वें स्थान पर है। भारत की फार्मा सफलता गाथा के पीछे हमारी विश्व स्तरीय विनिर्माण उत्कृष्टता, मजबूत बुनियादी ढांचा, लागत-प्रतिस्पर्धात्मकता, प्रशिक्षित मानव पूंजी तथा नवोन्मेष है। भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग का वर्तमान बाजार आकार लगभग 50 बिलियन डॉलर है।
वहीं फार्मा सेक्टर में देश के वैश्विक निर्यात की बात करें तो फार्मास्यूटिकल तथा औषधियों का हिस्सा 5.92% है। फॉर्मूलेशन तथा बायोलॉजिकल्स की हमारे कुल निर्यातों में 73.31% की प्रमुख हिस्सेदारी है, जिसके बाद 4437.64 मिलियन डॉलर के निर्यातों के साथ बल्क ड्रग्स तथा ड्रग इंटरमीडिएट्स का स्थान आता है। भारत के शीर्ष फार्मा निर्यात गंतव्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, रूस तथा नाइजीरिया हैं।
विनियमित बाजारों की मांग की पूर्ति
यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय फार्मा निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत उच्च रूप से विनियमित बाजारों की मांग की पूर्ति करते हैं। भारतीय फार्मा कंपनियों की अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में प्रिसक्रिप्शन बाजार में उल्लेखीनीय हिस्सेदारी है। अमेरिका के बाहर एफडीए स्वीकृत संयंत्रों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है।
भारतीय ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स ने कोविड के निराशाजनक माहौल में कराई थी तेज वृद्धि दर्ज
गौरतलब हो, वित्त वर्ष 2020-21 में भी, भारतीय ड्रग्स तथा फार्मास्युटिकल्स ने कोविड के निराशाजनक माहौल में तेज वृद्धि दर्ज कराई थी और 18 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष वृद्धि के साथ 24.4 बिलियन डॉलर का निर्यात दर्ज कराया था। वित्त वर्ष 2020-21 में असाधारण निर्यात वृद्धि बार-बार होने वाले लॉकडाउन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं तथा निराशाजनक विनिर्माण सेक्टर की समस्याओं का सामना करते हुए हासिल की गई थी। भारतीय फार्मा उद्योग ने कोविड महामारी के खिलाफ मुकाबला करने तथा दुनिया को यह प्रदर्शित करते हुए कि जब वैश्विक स्वास्थ्य संकट से निपटने की बात आती है तो हम लगातार एक विश्वसनीय तथा भरोसेमंद साझेदार बने रहते हैं, में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत ने 97 से अधिक देशों को टीकों की 115 मिलियन से अधिक खुराकें उपलब्ध कराईं
भारत के टीकों के उद्योग ने अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे उच्च रूप से विकसित देशों के मुकाबले सबसे कम समय में ICMR तथा NIV जैसे भारत के अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के साथ कोविड टीके का विकास किया है। भारत ने 97 से अधिक देशों को टीकों की 115 मिलियन से अधिक खुराकें उपलब्ध कराईं। व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, भारत ने यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो भारतीय फार्मा उत्पादों को इन बाजारों में अधिक पहुंच उपलब्ध कराएगा।
अनेक जरूरी दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए दवा उद्योग के प्रयास वाकई सराहनीय है जिसने भारत को यह स्थान दिलाने में अहम भूमिका अदा की है। देश और दुनिया को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना भी सराहनीय कदम है। इसके अलावा भारतीय फार्मा सेक्टर ने दवाएं और आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति भी निर्बाध रूप से की है। वहीं इस दौरान लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन जैसी सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार की तरफ से काफी सहायता की गई है। इन्हीं कारणों से आज देश का फार्मा सेक्टर इस मुकाम पर पहुंच गया है।