आत्मनिर्भर भारत: नौसेना ने युद्धपोत INS दिल्ली से दागी लम्बी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल

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भारतीय नौसेना की समुद्र से जमीन तक हमला करने में क्षमता में वृद्धि हुई है। दरअसल नौसेना ने मंगलवार को आईएनएस दिल्ली नामक अपने युद्धपोत से लम्बी दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। मिसाइल ने एक लंबी रेंज के प्रक्षेप वक्र को पार करने के बाद अपने लक्ष्य पर सटीकता के साथ निशाना साधा और जटिल युद्धाभ्यास किया।

स्वदेशी है आईएनएस दिल्ली

ब्रह्मोस मिसाइल और युद्धपोत आईएनएस दिल्ली का देश में ही निर्माण हुआ है। भारत ने आज अत्याधुनिक भारतीय मिसाइल तथा जहाज निर्माण कौशल का एक साथ प्रदर्शन किया। इससे ”आत्मनिर्भर भारत” और ”मेक इन इंडिया” की पहलों में भारतीय नौसेना के योगदान को मजबूती मिलती है। इस उपलब्धि से जरूरत पड़ने पर दूर से हमला करने और समुद्र से जमीन तक हमला करने की क्षमता में भारतीय नौसेना की क्षमता में इजाफा हुआ है। वैसे बता दें कि भारतीय शस्त्र बलों द्वारा पहले से ही ब्रह्मोस को शामिल किया जा चुका है। लेकिन समुद्री और जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाने की इसकी क्षमता और प्रदर्शन में और सुधार किया जा रहा है।

पहले भी हो चुका है सफल प्रदर्शन

भारतीय नौसेना ने इससे पहले 05 मार्च को ब्रह्मोस मिसाइल के उन्नत संस्करण की लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक क्षमता का सफल परीक्षण युद्धपोत आईएनएस चेन्नई से किया था। इस परीक्षण में भी मिसाइल ने लक्ष्य को पिन पॉइंट के साथ मार गिराकर फ्रंटलाइन प्लेटफार्मों की लड़ाई और मिशन की तत्परता का प्रदर्शन किया था। नौसेना ने इससे पहले विशाखापत्तनम में 21 फरवरी को होने वाली राष्ट्रपति फ्लीट रिव्यू से तीन दिन पहले 18 फरवरी को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की टेस्ट फायरिंग की थी।

पानी के नीचे का संस्करण किया जा रहा विकसित

रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। मंगलवार को किया गया सफल परीक्षण आत्मनिर्भर भारत के लिए एक और शॉट था। डीआरडीओ के सूत्रों ने बताया कि नियंत्रण प्रणाली सहित नई अतिरिक्त तकनीकों के साथ किये गए परीक्षण से मिले विस्तृत आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है और इसे लगभग सभी सतह प्लेटफार्मों पर तैनात किया गया है। इसका एक पानी के नीचे का संस्करण भी विकसित किया जा रहा है। ब्रह्मोस का उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों में किया जाएगा, बल्कि मित्र देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगा।

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