उत्तराखंड के राज्यपाल आर.आई.एम.सी.के स्थापना शताब्दी वर्ष पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।

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राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने रविवार को राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आर.आई.एम.सी.) के स्थापना शताब्दी वर्ष पर आरआईएमसी, गढ़ी कैंट, देहरादून में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर कैडेट्स को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज पिछले 100 वर्षों से देश की सेवा में निरंतर उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। आरआईएमसी के छात्रों की राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में उल्लेखनीय भूमिका रही है। द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर बालाकोट ऑपरेशन तक में इनकी सैन्य क्षमताओ और नेतृत्व क्षमताओ को भुलाया नहीं जा सकता।
आरआईएमसी से जुड़े कैडेट्स, अधिकारियों व टीम के सांझे आत्मविश्वास, क्षमता तथा समर्पण भाव से ही यह संस्थान विभिन्न चुनौतियों से गुजरते हुए भी सर्वाेच्च स्थान पर प्रतिष्ठित है तथा निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर है। आरआईएमसी अपने मूल मंत्र ‘बल विवेक’ पर अडिग है। राज्यपाल ने कहा कि आरआईएमसी  कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में  भी निरंतर कार्यरत रहा तथा यहां के कैडेट्स ने समय पर अपने कोर्स तथा ट्रेनिंग पूरी की, यह अत्यंत सराहनीय है। इसका श्रेय संस्थान के कुशल प्रबंधन तथा सक्षम स्टाफ को जाता है। राज्यपाल ने कहा कि आरआईएमसी के मेधावी पूर्व छात्र इस महान संस्थान के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर तथा प्रेरणास्रोत है।  वे भारतीय सेना के नेतृत्वकर्ता है। आज आरआईएमसी के छात्रों को अटूट निष्ठा, दृढ़ निश्चय तथा महान प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जाता है। आज के इस शताब्दी वर्ष समारोह पर संपूर्ण राष्ट्र आप के प्रति आभार व्यक्त करता है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है, जिसका अंतिम लक्ष्य मानवता की सेवा है। उन्होंने कहा कि तकनीक दिन प्रतिदिन तेजी से निरंतर बदल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन तथा डिजिटाइजेशन हमारे आज तथा भविष्य को पुनः परिभाषित करेंगे। तकनीकी कुशलताओं के साथ अडॉप्टेशन और इनोवेशन की सोच वाले युवा ही भविष्य मे विकास तथा तरक्की का रास्ता बनाएंगे। राज्यपाल ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आरआईएमसी बालिकाओं को भी इस संस्थान में शामिल करने की एक बड़ी जिम्मेदारी को पूरा करने की तैयारी कर रहा है। आरआईएमसी से गर्ल्स केडेट के जुड़ने से इसकी प्रतिष्ठा और भी अधिक बढ़ेगी।

समारोह के दौरान राज्यपाल ने आरआईएमसी की डाक टिकट जारी की। इसके साथ ही उन्होंने आरआईएमसी की कॉफी टेबल बुक तथा कैडेट्स द्वारा लिखी गई पुस्तक बल विवेक का भी विमोचन किया।
उल्लेखनीय है कि देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज ने अपने गौरवशाली अस्तित्व के 100 साल 13 मार्च को पूर्ण किए। आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है, जिसका उद्घाटन 13 मार्च, 1922 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स, बाद में किंग एडवर्ड-VIII   द्वारा किया गया था, जो भारतीय युवाओं को सैन्य सेवा में शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए अधिकारी संवर्ग के भारतीयकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में था।  आज, आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी, एझिमाला के लिए प्रमुख फीडर संस्थान है।  उत्कृष्टता के इस संस्थान ने देश को अभी तक 6 सेना प्रमुख, 41 सेना कमांडर और समकक्ष और 163 लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक के अधिकारी प्रदान किए हैं।
स्थापना दिवस शताब्दी समारोह के अंत में एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। समारोह में आरआईएमसी के वर्तमान तथा भूतपूर्व कैडेट्स और शिक्षक तथा बड़ी संख्या में सेना के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

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