नैनीताल, 5 मार्च 2025 को उत्तराखंड में बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं को रोकने और वन विभाग के कर्मचारियों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से नैनीताल zoo परिसर में वन चेतना केंद्र में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला अपर प्रमुख वन संरक्षक (वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन, उत्तराखंड) के निर्देशन में संपन्न हुई, जिसमें वनाग्नि रिपोर्टिंग, वायरलेस ऑपरेटिंग और मास्टर कंट्रोल रूम प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
वन प्रभागों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग
इस कार्यशाला में विभिन्न वन प्रभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों सहित लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया। शामिल प्रभागों में थे:
- नैनीताल वन प्रभाग
- हल्द्वानी वन प्रभाग
- तराई केंद्रीय वन प्रभाग
- तराई पूर्वी वन प्रभाग
- तराई पश्चिमी वन प्रभाग
- भू संरक्षण नैनीताल
- रामनगर वन प्रभाग
- अतिरिक्त भूमि संरक्षण, रामनगर
- कार्बेट टाइगर रिजर्व
- कालागढ़ वन प्रभाग
प्रमुख विषयों पर प्रशिक्षण और चर्चा
1. वनाग्नि के कारण और जनसहभागिता
वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन उत्तराखंड के संजय रोहित ने वनाग्नि के प्रमुख कारणों पर चर्चा की और इसे रोकने के लिए जनसहभागिता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चीड़ के जंगलों में पिरूल (सूखी पत्तियों) एकत्रित करने की प्रक्रिया को अपनाने पर जोर दिया, जिससे जंगलों में आग लगने की संभावना को कम किया जा सकता है।
2. वनाग्नि के कुप्रभाव और जलवायु परिवर्तन
- गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति के मास्टर ट्रेनर भोपाल सिंह भंडारी ने वनाग्नि के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के बारे में जानकारी दी।
- FRI (वन अनुसंधान संस्थान) से पर्यावरण विशेषज्ञ अंकिता चौधरी ने जलवायु परिवर्तन पर वनाग्नि के प्रभावों को विस्तार से समझाया और जंगलों को सुरक्षित रखने के उपायों पर चर्चा की।
3. वायरलेस तकनीक और डिजिटल समाधान
- वायरलेस तकनीक विशेषज्ञ उपेंद्र गोयल ने वन विभाग के कर्मचारियों को वायरलेस संचार प्रणाली के तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया, जिससे वनाग्नि की घटनाओं की त्वरित रिपोर्टिंग और समन्वय बेहतर हो सके।
- डिजिटल विशेषज्ञ पंकज रतूड़ी ने वनाग्नि मॉनिटरिंग ऐप की कार्यप्रणाली को समझाया, जिससे वन विभाग को रियल-टाइम डेटा और अलर्ट प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
4. वनाग्नि प्रबंधन और नियंत्रण
सिल्विकल्चर विशेषज्ञ अमित शर्मा ने वनाग्नि प्रबंधन और नियंत्रण की रणनीतियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आधुनिक तकनीकों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से वनाग्नि की घटनाओं को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
वनाग्नि से बचाव और उसके प्रभावी नियंत्रण के लिए यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। इसमें तकनीकी समाधानों, सामुदायिक भागीदारी और आधुनिक वन प्रबंधन तकनीकों पर जोर दिया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने स्थानीय लोगों से वनाग्नि रोकथाम में सहयोग करने की अपील की और कहा कि सतर्कता और तकनीकी उपायों को अपनाकर जंगलों को आग से सुरक्षित रखा जा सकता है।