उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी व गीता महोत्सव का उद्घाटन किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 8वीं अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी जितनी आज देख रही है, आज हम ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं, एक तरफ़ इसराइल और हमास का युद्ध तथा दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस का युद्ध है।
इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा गीता की फिलॉसफी जितनी प्रासंगिक आज है उतनी इससे पहले कभी नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बातचीत के माध्यम से युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही थी, उन्होंने यह भी कहा कि हम एक विस्तारवादी काल में नहीं रह रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की यह सलाह गीता के दर्शन पर आधारित है। भारत का संविधान गीता के दर्शन पर आधारित है, गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत वर्ष की वर्तमान शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है क्योंकि यह समावेशी है, सबका साथ सबका विकास में विश्वास रखता है और सबको कानून की नजर में बराबर रखता है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज धर्म के मार्ग पर चलकर अपना काम कर रहे हैं जैसाकि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहा था, प्रधानमंत्री आज इसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं।
अंत में उपराष्ट्रपति ने लोगों से राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखनने का आग्रह किया, भारत का हित सर्वोपरि रखें है, भारतीयता में अटूट विश्वास रखें, उन्होंने कहा कि हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए, हमें अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियां पर गर्व करना चाहिए, भारत का अमृत कल आज गौरव कल बन गया है।
इस अवसर पर डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, हरियाणा के मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल, असम सरकार के संस्कृति मंत्री, कुरुक्षेत्र के सांसद, परम पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राचार्य, संकाय सदस्य, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजक, देश विदेश से पधारे अनेक गीता प्रेमी, एवं कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।