उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ विजयी घोषित हुए हैं। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार व कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। 11 अगस्त को पद की शपथ लेंगे। मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का 10 अगस्त को कार्यकाल खत्म हो रहा है। जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति होंगे।
जगदीप धनखड़ को मिले 528 मत
दरअसल शनिवार को संसद भवन में आयोजित मतदान कार्यक्रम के बाद शाम को मतगणना हुई। उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा करते हुए उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि जीतने के लिए 346 मत आवश्यक थे। जगदीप धनखड़ को 528 मत प्राप्त हुए जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 मत मिले। उन्होंने बताया कि 780 के निर्वाचक मंडल में कुल 725 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया। इनमें से 15 के मत अमान्य पाए गए।
725 सांसदों ने किया मतदान
उपराष्ट्रपति पद के लिए राज्यसभा और लोकसभा के सांसद निर्वाचक मंडल का हिस्सा होते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान में 780 सांसद निर्वाचक मंडल में शामिल थे। इनमें से 725 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। तृणमूल कांग्रेस ने मतदान में नहीं हिस्सा लिया। उनके 39 सांसदों ने मत नहीं डाला। मतदान कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चला।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक किसान परिवार में हुआ। उन्होंने चितौड़गढ़ सैनिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। भौतिक शास्त्र से स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने राजस्थान से ही वकालत की डिग्री हासिल की। राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने वकालत की। 1989 में वह पहली बार लोकसभा सांसद बने। झुंझुनू से ही उन्होंने लोकसभा की सीट जीती। वर्ष 1990 में वह संसदीय राज्य मंत्री बने। अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा से वर्ष 1993 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। वर्ष 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया।
केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे
वैसे तो धनखड़ का राजनीतिक सफर वर्ष 1989 से शुरू हुआ था। उस वर्ष धनखड़ भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े थे और इस चुनाव में वह जीत हासिल कर पहली बार संसद पहुंचे थे। धनखड़ केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहे। जब जनता दल का विभाजन हो गया, तो वह पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खेमे में चले गए। बाद में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया। धनखड़ को कांग्रेस ने अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ाया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के बाद धनखड़ वर्ष 2003 में भाजपा में शामिल हुए।