केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल की अध्यक्षता में आयुष मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की प्रथम बैठक संपन्न

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केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोणोवाल की अध्यक्षता में आयुष मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की प्रथम बैठक का शनिवार को नई दिल्ली में आयोजन हुआ। इस बैठक में सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श किया गया और कई प्रकार के सुझाव भी प्रस्तुत किए गए। समिति के सदस्यों ने मंत्रालय के कार्य की सराहना भी की।

इस दौरान श्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा कि सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने के कार्य को और आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों के हिन्दी में कार्य करने को लेकर दिये गये बहुमूल्य सुझाव बहुत बेहतर साबित होंगे। ये पहली बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई है, लेकिन आने वाली बैठकें हम देश के अलग-अलग प्रांतों में करेंगे। वैसे ये बैठक छह महीने में एक बार होने का प्रावधान है लेकिन हमने ये तय किया है कि इस तरह की बैठकों को छह महीने में दो बार आयोजित करेंगे। बार-बार बैठेंगे, विचार-विमर्श करेंगे तो निश्चित रूप से हम निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।

बैठक में मौजूद आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्र भाई ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों का ये संवैधानिक दायित्व बनता है कि सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करें। देश के अधिकतम नागरिक हिंदी भाषा को समझते और बोलते हैं। ये विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। ये जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी भी जाती है। हमारे देश के ज्यादातर लोग हिंदी में ही सोचते हैं। यदि हम अपने विचार उसी भाषा में व्यक्त करें, जिसमें हम सोचते हैं, तो हम अपने विचारों को अच्छी तरह दूसरे व्यक्ति को समझा सकते हैं

आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि हिंदी हमारे देश में बोली और समझी जाने वाली एक सरल भाषा है। लोगों के बीच ये एक संपर्क भाषा का कार्य करती है। आयुष चिकित्सा के महत्व और उपचार के बारे में देश को हिंदी के माध्यम से ही जागरूक किया जा सकता है।मंत्रालय इस दिशा में बहुत काम कर रहा है। सरकारी कामकाज में हिंदी को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए हम हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। हिंदी केवल अनुवाद की ही भाषा बनकर न रह जाए, ये हम सभी लोगों को सुनिश्चित करना होगा।

हिन्दी सलाहकार समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. हेमचंद्र वैद्य ने कहा कि पत्रों का मसौदा यदि मूल रूप से हिंदी में हो तो हिंदी को और बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि पहला ड्राफ्ट हम अंग्रेजी में बनाते हैं फिर अनुवाद किया जाता है। मेरा मानना है कि इसको सबसे पहले हिंदी में ही तैयार किया जाना चाहिए।

हिन्दी सलाहकार समिति की सदस्य स्वीटी गुप्ता ने कहा कि  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत से प्रेरणा लेकर हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार के कार्यों को संवैधानिक अनिवार्यता के साथ-साथ राष्ट्रीय और नैतिक कर्तव्य समझकर करना होगा।

उपनिदेशक राजभाषा विभाग, आयुष मंत्रालय राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि हमने एक सॉफ्टवेयर बनाया है जिसका नाम ‘कंठस्थ’ है। कंठस्थ’ वस्तुतः ट्रांसलेशन मेमोरी (टी.एम.) पर आधारित मशीन अनुवाद व्यवस्था को दिया गया एक नाम है। ट्रांसलेशन मेमोरी मशीन के जरिये अनुवाद प्रणाली का एक भाग है जिससे अनुवाद की प्रक्रिया में सहायता मिलती है। ट्रांसलेशन मेमोरी वस्तुतः एक डेटाबेस है जिसमें स्रोत भाषा (Source language) के वाक्यों एवं लक्षित भाषा (Target language) में उन वाक्यों के अनुवादित रूप को एक-साथ रखा जाता है। ट्रांसलेशन मेमोरी पर आधारित इस सिस्टम की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें अनुवादक पूर्व में किए गए अनुवाद को किसी नई फाइल के अनुवाद के लिए पुनः-प्रयोग कर सकता है। यदि अनुवाद की नई फाइल का वाक्य टी.एम. के डेटाबेस से पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से मिलता है तो यह सिस्टम उस वाक्य के अनुवाद को टी.एम. से लाता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में ये एक बहुत ही काम का सॉफ्टवेयर है जिसकी बहुत आवश्यकता थी।

इससे पहले आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव राहुल शर्मा ने आयुष मंत्रालय के सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने के कार्यों को प्रस्तुत किया। हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्यों ने भी अपने-अपने सुझाव मौखिक और लिखित रूप से प्रस्तुत किए जिन पर विचार-विमर्श भी किया गया।

बैठक में संयुक्त सचिव आयुष मंत्रालय राहुल शर्मा के साथ हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. हेमचंद्र वैद्य, डॉ. स्वीटी यादव, डॉ. किरण हजारिका, वीरेंद्र कुमार यादव, राहुल कुमार, पार्थसारथि थपलियाल, ऋषभ नाग एवं आयुष मंत्रालय के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

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