मा० कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड सरकार सौरभ बहुगुणा पशुपालन, दुग्ध विकास, मत्स्य पालन, गन्नाविकास एवं चीनी उद्योग प्रोटोकॉल कौशल विकास एवं सेवायोजन उत्तराखण्ड सरकार (पदेन अध्यक्ष उत्तराखण्ड पशु कल्याण बोर्ड के मुख्य आतिथ्य में पशुधन भवन सभागार में निराश्रित गोवंश को शरण देने के लिये गैरसरकारी पशुकल्याण संस्थाओं द्वारा संचालित निर्धारित अहंताएं पूर्ण करने वाले मान्यता प्रदत्त गोसदनों हेतु वार्षिक गोसदन अनुदान वितरण एवं सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। उत्तराखण्ड शासन द्वारा शासनादेश संख्या 1273/ XV-1/ 22-1 (18) /2022 दिनांक 18 अक्टूबर, 2022 के अनुरुप 39 गोसदनों हेतु गोवंश भरण-पोषण मद में अवमुक्त की गई कुल अनुदान राशि रु० 10.48 करोड़ के सापेक्ष, गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित सभी गोसदनों को रोगी चैक के माध्यम से भरण-पोषण मद में अनुदान राशि वितरित की गई अवगत कराया गया कि वर्तमान समय में राज्यान्तर्गत मान्यता प्रदत्त 39 गोसदनों में गत वित्तीय वर्ष 2021-22 की अवधि में कुल शरणागत गोवंश की वार्षिक औसत संख्या 9550 थी।
इस अवसर पर मा० मंत्रीजी द्वारा अवगत कराया गया है कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गोवध के प्रतिषेध, गोतस्करी पर प्रभावी शेक तथा समस्त गोवंश का संरक्षण सुनिश्चित किये जाने हेतु उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम पारित किया गया है। उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों एवं तदसम्बन्धी नियमावली एवं शासनादेशों के अनुरूप, राज्यान्तर्गत अलाभकर गोवंश (निराश्रित/अनुत्पादक/बृद्ध/बीमार/गोतस्करों से जब्त किये गये केस प्रॉपर्टी गोवंश) का संरक्षण सुनिश्चित किये जाने हेतु गैरसरकारी संस्थाओं के माध्यम से को अलाभकर गोवंश को शरण दिये जाने की परम्परा को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से इन संस्थाओं को गोवंश भरण-पोषण एवं निर्माण मद में आशिक राजकीय अनुदान निर्गत किये जाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में ट्रस्ट एक्ट अथवा सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत गैर सरकारी गोकल्याण संस्थाओं द्वारा अलाभकर गोवंश को शरण दिये जाने का कार्य किया जा रहा है। उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों के अनुरूप निर्धारित अर्हताएं पूर्ण करने वाले इन गोसदनों को राजकीय मान्यता तथा अनुदान दिये जाने का प्राविधान किया गया है। गैर सरकारी गोकल्याण संस्थाओं द्वारा संचालित सभी गोसदनों से अपेक्षित है कि वे आंशिक राजकीय सहायता के अतिरिक्त जनसहयोग, गोबर गोमूत्र एवं अन्य पंचगव्य उत्पादों के माध्यम से भी यथासम्भव अधिकाधिक आर्थिक स्वावलम्बन हेतु प्रयासरत करें। संवैधानिक प्राविधानों एवं मा० उच्च न्यायालय, नैनीताल के आदेशों के आलोक में शहरी विकास विभाग द्वारा नगर निकायों के माध्यम से कांजी हाउस गोशाला शरणालयों की स्थापना हेतु कार्ययोजना प्रारम्भ की गई है तथा पंचायतीराज विभाग द्वारा भी ग्रामीण क्षेत्रों में 25-25 ग्रामों के समूह के माध्यम से कांजी हाउस गोशाला शरणालयों की स्थापना प्रस्तावित है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिगणों में पं० राजेन्द्र अणथ्वाल, मा० अध्यक्ष, उत्तराखण्ड गोसेवा आयोग राजीव गुप्ता मा०प्र० से० मा० उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड लोकसेवा अधिकरण/मा० सदस्य भा०जी०ज०क० बोर्ड कार्यक्रम में डा० प्रेम कुमार, निदेशक पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड डा० लोकेश कुमार, अपर निदेशक पशुपालन विभाग, डा० डी०सी० गुरुरानी संयुक्त निदेशक, पशुपालन निदेशालय, डा० नीरज सिंघल, संयुक्त निदेशक पशुपालन निदेशालय, डा० शरद भण्डारी, संयुक्त निदेशक, उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड, डा० राकेश नेगी, मुख्य अधिशासी अधिकारी, उत्तराखण्ड पशुधन विकास परिषद, डा० रमेश नितवाल संयुक्त निदेशक, उत्तराखण्ड भेड एवं उत्ग विकास बोर्ड, डा० आशुतोष जोशी (मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी जनपद टिहरी गढ़वाल) समन्वयक उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड, डा० डी०सी० सेमवाल, प्रभारी अधिकारी, उत्तराखण्ड गौसेवा आयोग, डा० उर्वशी, पशुचिकित्सा अधिकारी ग्रेड-1, उ०प०क० बोर्ड, डा० अशिंदा खानम पशुचिकित्सा अधिकारी ग्रेड-2, उ०प०क० बोर्ड तथा विभिन्न विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डा० आशुतोष जोशी समन्वयक, उत्तराखण्ड पशु कल्याण बोर्ड द्वारा किया गया।