पुण्यतिथि विशेष : कृतज्ञ राष्ट्र अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद

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”छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता…”  भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ”आओ फिर से दिया जलाएं” कविता के ये अनमोल शब्द उनके व्यक्तित्व की तरह अटल हैं। सदियां बीत जाएंगी लेकिन उनके द्वारा कही गई ये पंक्तियां दुनिया के जेहन में अमर और अटल रहेंगी। आज 16 अगस्त के ही दिन भारत ने अपने एक बहुमूल्य रत्न के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी को खो दिया था। यही कारण है कि आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश अटल जी को नम आंखों से याद कर रहा है। वे नीति सिद्धांत, विचार एवं व्यवहार की सर्वोच्च चोटी पर रहते हुए सदैव जमीन से जुड़े रहने वाले नेता रहे। उन्होंने राजनीति में कभी छोटे मन से काम नहीं किया।

कृतज्ञ राष्ट्र ने अटल बिहारी वाजपेयी को किया याद, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

आज उनकी चौथी पुण्यतिथि पर कृतज्ञ राष्ट्र ने उन्हें याद किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दिवंगत नेता के स्मारक ‘सदैव अटल’ पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दो तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट में लिखा ”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी पुण्यतिथि पर नई दिल्ली में उनकी समाधि सदैव अटल पर श्रद्धांजलि अर्पित की।”

वहीं पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया ने नायडू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ”मैं अपने गुरु, प्रतिष्ठित नेता, कवि, दार्शनिक मंत्रमुग्ध करने वाले वक्ता, अजातशत्रु, पूर्व प्रधानमंत्री ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी जी को नमन करता हूं।”

”सदैव अटल” पर जुटा हुजूम

उनकी पार्टी ने अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर ट्वीट कर कहा कि भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष, करोड़ों कार्यकर्ताओं के पथ प्रदर्शक एवं हमारे प्रेरणा स्रोत, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि।

इसके अलावा अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने ‘सदैव अटल’ स्मारक पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर सदैव अटल में पुष्पांजलि अर्पित की।

3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं। वर्ष 2014 में उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया था। अपने लंबे राजनीतिक जीवन के अलावा वो अपनी कविताओं, हंसमुख मिजाज और अलग अंदाज के लिए भी लोकप्रिय रहे हैं। यहां तक कि कई विपक्षी दलों के नेता भी उन्हें बेहद पसंद करते थे। दरअसल, अटल जी एक ऐसे नेता थे, जिन्हें हर राजनीतिक दल स्वीकार करता था।

कब लिया राजनीति से संन्यास ?

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2005 में ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। प्रखर वक्ता रहे अटल जी ने भारतीय राजनीति में अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की अमिट छाप छोड़ी, जिसने भारतीय राजनीति को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। इनमें भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न बनाना, पाकिस्तान से संबंध सुधारने की कोशिश में बस डिप्लोमेसी, कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाना, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के साथ-साथ कई दूसरी उपलब्धियां शामिल हैं।

भाजपा के रहे पहले अध्यक्ष

भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में शामिल अटल बिहारी वाजपेयी 1968-1973 तक इसके अध्यक्ष रहे। भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष रहे अटल जी की देशभर में उनकी लोकप्रियता का ही नतीजा था कि वे चार दशक तक भारतीय संसद के सदस्य थे। वे इकलौते राजनेता थे, जिन्होंने चार राज्यों की छह लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्य प्रदेश के ग्वालियर और विदिशा के साथ दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनावी जीत हासिल की।

राजग की ओर से पहले प्रधानमंत्री चुने गए थे अटल बिहारी वाजपेयी

कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्र धर्म सहित कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर अपना सफर शुरू करने वाले अटल जी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के पद पर पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। उन्होंने 24 दलों की गठबंधन की सरकार बनाई थी, जिसमें 81 मंत्री थे।

अटल जी के कार्यकाल में अंतरिक्ष में लहराया परचम

भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए अटल जी ने कई इतिहास रचे हैं। अटल जी ने देश को ”जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” का बुलंद नारा दिया। इसी का नतीजा था देश की सुरक्षा और दुश्मनों की हिमाकत को रोकने के लिए अटल जी के शासन काल में 1998 में, भारत ने एक सप्ताह में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। कहना गलत नहीं होगा कि अटल जी ने ही भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में ही चंद्रयान-1 परियोजना पारित की गई। याद हो, भारत के 56 वें स्वतंत्रता दिवस पर, उन्होंने कहा था, “हमारा देश अब विज्ञान के क्षेत्र में उच्च उड़ान भरने के लिए तैयार है। मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि भारत 2008 तक चंद्रमा के लिए अपना स्वयं का अंतरिक्ष यान भेज देगा। इसे चंद्रयान नाम दिया जा रहा है”।

अटल जी ने देश सेवा के दौरान जो दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता

गौरतलब हो कि भारत ने 2008 को पहले चांद मिशन के तहत चंद्रयान-1 और 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया था। उसके बाद अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में अटल जी ने देश सेवा के दौरान जो दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। जब तक तन में ऊर्जा बची रही, तब तक वे सेवारत रहे। कर्तव्य पथ पर चलते-चलते अटल जी अब थकने लगे थे। 93 वर्ष की आयु में आखिरकार 16 अगस्त, 2018 को उनका देहावसान हो गया। उनकी याद में ‘सदैव अटल’ नाम से स्मृति स्थल का निर्माण किया गया।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था जन्म

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन है। पिछले कई दशकों में वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते हैं।

महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक

महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक अटल बिहारी वाजपेयी भारत को सभी राष्ट्रों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। वह ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हजार वर्षों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।

उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और 50 से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया और बाद में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” से भी नावाजा गया। केवल इतना ही नहीं उन्हें 1994 में भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। अपने नाम के ही समान, अटल जी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति रहे। अटल जी जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। उनके द्वारा किए गए ये तमाम कार्य राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं।

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