अन्याय पर न्याय, असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के रूप में होली का पर्व फाल्गुन शुक्ल चतुर्दर्शी युक्त पूर्णिमा गुरुवार को पूरी उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस बार होलिका दहन भद्रा पुच्छ काल में होगा। रात 9:02 से 10:14 बजे तक भद्रा पुच्छ काल रहेगा। यानि 72 मिनट के समय के दौरान होलिका दहन का शुभ मूहूर्त रहेगा। शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ धुलंडी मनाई जाएगी। दो साल बाद लोग आराध्य देवगोविंद के दरबार में गुरुवार और शुक्रवार को सुबह होली का आनंद ले सकेंगे।
ज्योतिषाचार्य श्रीकृष्ण चंद शर्मा ने बताया कि पूर्णिमा तिथि गुरुवार दोपहर 1:30 से शुरू होकर शुक्रवार दोपहर 12:48 बजे तक रहेगी। यह तिथि 23 घंटे 18 मिनट की रहेगी। पूर्णिमा शुरू होने के साथ ही भद्रा भी रहेगी। यह अर्धरात्रि बाद रात 1:09 बजे तक रहेगी। शास्त्रानुसार मध्य रात्रि बाद भद्रा के टलने से भद्रा के पुच्छ काल में होलिका दहन करने की विशेष अनुशंसा शास्त्रों में मिलती है। मिश्रा ने बताया कि भद्रा को अशुभ माना जाता है। क्योंकि भद्रा के स्वामी यमराज होते हैं। इसलिए इस योग में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। लेकिन भद्रा की पुच्छ काल में होलिका दहन किया जा सकता है। क्योंकि इस समय भद्रा का प्रभाव काफी कम होता है और व्यक्ति को दोष भी नहीं लगता है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ 17 मार्च दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से पूर्णिमा तिथि समाप्त 18 मार्च दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा और होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त-गुरुवार रात 9:02 बजे से रात 10:14 बजे तक रहेगा।