जनऔषधि से हो रही जनता के पैसों की बचत, 2021-22 में बचे 5,360 करोड़

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देश में जनऔषधि से जनता के पैसों की खूब बचत हो रही है। पीएम मोदी ने देश की जनता को सस्ती व गुणवत्तापूर्ण दवाई उपलब्ध कराने का संकल्प लिया था जिसे पूरा करने हेतु देश भर में जन औषधि केंद्रों को शुरू करने की मुहिम चलाई गई है। बाजार दाम से 90% तक सस्ती दवाई एवं सर्जिकल उपकरण जन औषधि स्टोर पर उपलब्ध हैं। ऐसे में गरीब से गरीब व्यक्ति भी इसका लाभ क्यों न उठाए। वाकई पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में अनेक गरीब हितैषी कार्य हुए हैं जिनमें से एक देश भर में जनऔषधि केंद्रों की स्थापना है। आज ये जनऔषधि केंद्र वंचित लोगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कैसे…

2021-22 में 5,360 करोड़ रुपए की हुई बचत

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने बुधवार को इस संबंध में अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट शेयर करते हुए बताया कि साल 2021-22 में जनऔषधि से जनता के 5,360 करोड़ रुपए की बचत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जनऔषधि केन्द्रों पर उपलब्ध सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवाओं के कारण देश की जनता का जेब खर्च कम हुआ है।

उपभोक्ताओं को 50% से 90% तक कम दामों पर दवाइयां उपलब्ध

आगे जोड़ते हुए उन्होंने बताया कि साल 2019-20 में जनऔषधि केन्द्रों से जनता के 2,500 करोड़ रुपए की बचत हुई थी जबकि यह राशि 2021-22 में बढ़कर दोगुनी हो गई। कुल मिलाकर जनता के पैसों की बचत और सहूलियत हो रही है। दरअसल, प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर उपभोक्ताओं को 50% से 90% तक कम दामों पर दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। वहीं 26 राज्यों के 406 जिलों में 3,579 प्रखंडों में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस प्रकार सरकार जनऔषधि केंद्रों को विस्तार देने के निरंतर प्रयास कर रही है।

2024 तक 10 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जाने का लक्ष्य

ज्ञात हो, देश में साल 2024 तक 10 हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले जाने का लक्ष्य रखा गया है। जहां तक ग्रामीण और शहरों में केंद्र खोलने का सवाल है तो इसके लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। जहां दवाओं की अधिक बिक्री होने की क्षमता होती है, वहां जन औषधि केंद्र खोले जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी जहां इन केन्द्रों की आवश्यकता है वहां केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं।साल 2014 तक देश में सिर्फ 80 केन्द्र थे। पीएम मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने इस संख्या को बढ़ाकर 8,739 से अधिक कर दिया है।

स्वस्थ भारत के 8 वर्ष

याद हो, पीएम मोदी ने 08 जून 2022 को पिछले 8 वर्षों के दौरान भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए किए गए उपायों का विवरण साझा किया था। इसमें उन्होंने कहा था, ”जन-जन का स्वस्थ जीवन न्यू इंडिया का दृढ़ संकल्प है। आयुष्मान भारत से लेकर जन औषधि केंद्र तक और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर मुफ्त टीकाकरण तक देश ने जो राह तय की है, वो आज पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनी है। आने वाले वर्ष उन लोगों के होंगे जिन्होंने स्वास्थ्य सेवा में निवेश किया है। हमारी सरकार ने भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए जो काम किया है, उस पर मुझे गर्व है। #स्वस्थ भारत के 8 वर्ष”

इन शब्दों के साथ पीएम मोदी ने देश की जनता को यह बताया था कि स्वास्थ्य देखभाल सरकार के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 8 साल स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, हर भारतीय के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के बारे में रहे हैं।

क्या है जनऔषधि केन्द्रों का उद्देश्य ?

प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को कम मूल्य पर दवाइयां उपलब्ध करवाना है। इस योजना के माध्यम से जेनेरिक दवाइयां कम मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाएंगी। यह दवाइयां ब्रांडेड दवाइयों जितनी ही प्रभावी होंगी। अब देश के सभी आर्थिक रूप से कमजोर नागरिक दवाइयां प्राप्त कर सकेंगे। यह योजना देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को सुधारने में कारगर साबित होगी। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से देश के नागरिकों के जीवनस्तर में सुधार आएगा। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र कई नागरिकों को रोजगार का अवसर भी प्रदान करेगी जिससे कि देश की बेरोजगारी दर में भी गिरावट आएगी।

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