भारत-मंगोलिया के रिश्ते में नया अध्याय, भगवान बुद्ध का अवशेष पहुंचा मंगोलिया

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भारत दूसरे देशों को साथ अपनी दोस्ती किस हद तक जाकर निभाता है, जग जाहिर है। हाल ही में श्रीलंका जब संकट से दौर से गुजर रहा है तो भी भारत उसकी मदद के लिए सबसे आगे हैं। ऐसा ही कुछ मंगोलिया के लिए भी भारत ने किया है। मंगोलिया और भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों में एक और अध्याय जुड़ गया है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू भगवान बुद्ध के अवशेषों के साथ मंगोलिया की राजधानी उलानबटार पहुंचे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंगोलिया के लोग भारत के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। वे भारत को बौद्ध धर्म ज्ञान और ज्ञान के स्रोत के रूप में देखते हैं।

मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर समारोह

दरअसल, मंगोलिया में भगवान बुद्ध के प्रति विशेष आस्था है। ऐसे में मंगोलिया में 14 जून को पड़ने वाले मंगोलियाई बुद्ध पूर्णिमा का समारोह मनाया जाएगा और 11 दिवसीय प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। इसलिए भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत से मंगोलिया ले जाया गया है। केन्द्रीय मंत्री किरण रिजिजू के नेतृत्व में 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पवित्र अवशेषों के साथ मंगोलिया पहुंच गए हैं। वर्तमान में बुद्ध के पवित्र अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए हैं, जिन्हें ‘ कपिलवस्तु अवशेष ‘ के नाम से जाना जाता है क्योंकि वे पहली बार बिहार में खोजे गए एक स्थल से हैं, जिसे कपिलवस्तु का प्राचीन शहर माना जाता है।

भारत-मंगोलिया संबंधों को मिलेगा बढ़ावा

वहीं इस पहल को लेकर किरण रिजिजू का कहना है कि यह यात्रा भारत-मंगोलिया संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी। इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा।

मंगोलिया की यात्रा करने वाले पहले पीएम है मोदी

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंगोलिया की यात्रा करने वाले पीएम मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री ने उन देशों के साथ अपने संबंधों को पुनर्जीवित करने का काम किया, जिनके साथ सदियों पहले हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंगोलिया और भारत एक दूसरे को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पड़ोसियों के रूप में देखते हैं।केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और मानवता को अधिक शांति, सद्भाव और समृद्धि की ओर ले जाने वाली है। भारत शांति और सद्भाव में विश्वास करता है और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के माध्यम से इस संदेश को दुनिया भर में पहुंचाना चाहता है।

बौद्ध केंद्रों को विकसित कर रही सरकार

इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और डोनर मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि बुद्ध के पवित्र अवशेषों को उसी मठ में प्रदर्शित किए जाएंगे, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दौरा किया था। किशन रेड्डी ने बताया कि केन्द्र सरकार बौद्ध स्थलों और बौद्ध केंद्रों को विकसित करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रही है। हाल ही में कुशीनगर हवाईअड्डे का उद्घाटन ऐसा ही एक उदाहरण है।

बता दें कि भारत के कई पड़ोसी देश खासतौर से श्रीलंका, जापान, मंगोलिया जैसे वह देशों में बौद्ध धर्म के मानने वाले बड़ी तादाद में है। वहां के लोग अक्सर अवशेष दर्शन के लिए भारत भी आते रहते हैं।

बौद्ध सर्किट

देश के बिहार राज्य में ऐसा ही एक बौद्ध सर्किट बनाया गया है। बौद्ध सर्किट बौद्ध धर्म के सभी उच्च महत्व वाले पवित्र स्थलों के स्थान हैं, जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, उन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया, पहले उपदेश दिया और फिर निर्वाण प्राप्त किया। महाबोधि मंदिर, अशोक स्तम्भ वैशाली, सुजाता कुटीर, केसरिया स्तूप भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े बौद्ध परिपथों के तीर्थ स्थान हैं। कई अन्य स्थल भी हैं जहां भगवान बुद्ध ने अपने परिवर्तन के बाद अपने जीवन के दौरान यात्रा की, जो कि वर्तमान में मनुष्यों के बीच गहरी श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं।

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