आरबीआई से लेकर शासन-प्रशासन तमाम माध्यमों के जरिए साइबर क्राइम के प्रति लोगों को जागरूक करते रहे हैं। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों को सतर्क करने के साथ-साथ होर्डिंग्स-बैनर लगाकर लोगों को साइबर क्राइम से बचने के लिए सतर्क रहने तथा हेल्पलाइन नंबर की जानकारी दी जा रही है।
नया साइबर हेल्पलाइन नंबर
हेल्पलाइन नंबर 155260 को बदलकर 1930 कर दिया गया है। इसके अलावा साइबर अपराध से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिर्पोटिंग पोर्टल लॉन्च किया है तथा अधिक से अधिक लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाई जा रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को सतर्क करते हुए शिकायत दर्ज कराने की अपील की है।
गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से व्यापक तरीके से निपटने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन (cybercrime.gov.in) लॉन्च किया है। महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रिपोर्टिंग, पोर्टल में दर्ज शिकायतें, स्वचालित रूप से संबंधित राज्य क्षेत्र को ऑनलाइन होती है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र योजना पोर्टल में दर्ज शिकायतें स्वचालित रूप से संबंधित राज्य क्षेत्र को ऑनलाइन अग्रेषित हो जाती है। अब तक 7 करोड़ 60 से अधिक लोग पोर्टल पर विजिट कर चुके हैं, साढ़े आठ लाख से अधिक शिकायतें आई और 16 हजार 573 एफआईआर दर्ज की गई है। इधर जगह-जगह होर्डिंग लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि
वित्तीय साइबर क्राइम से बचने के उपाय-
–कभी भी एटीएम कार्ड पर पिन नंबर न लिखें
–अपना पिन या पासवर्ड सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करें
–एटीएम का प्रयोग करते समय दूसरे हाथ कीपैड को ढंक कर रखें
–फोन कॉल के माध्यम से डेबिट या क्रेडिट कार्ड की मांगी गई गोपनीय जानकारी कार्ड का सीवीवी नंबर, एक्सपायरी डेट एवं ओटीपी शेयर नहीं करें
–अपने बैंक खाता में मोबाइल नंबर अवश्य रजिस्टर कराएं ताकि कोई भी लेन-देन का अलर्ट आपके मोबाइल पर मिलता रहे
–वित्तीय लेन-देन की नियमित रूप से जांच और किसी प्रकार भिन्नता पाए जाने पर तुरंत बैंक शाखा या एटीएम पर लिखे हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें
–राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल द्वारा वित्तीय अपराध से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन करें तथा ऑनलाईन शिकायत वेबसाइट पर करें
कैसे करें शिकायत दर्ज
शिकायतकर्ता को हेल्पलाइन नम्बर पर शिकायत दर्ज कराते समय जरुरी जानकारी अपना मोबाइल नंबर, धनराशि निकासी की तिथि, बैंक खाता संख्या या वॉलेट आईडी या यूपीआई आईडी, जिससे धनराशि की निकासी हुई है, ट्रॉन्जेक्शन आईडी तथा उपलब्ध हो तो स्क्रीन शॉट देना होगा।
शिकायत दर्ज कराने के बाद सिस्टम द्वारा आईडी या एक्नॉलेजमेंट
शिकायतकर्ता को एसएमएस अथवा ईमेल से प्राप्त होगा, जिसे 24 घंटों के भीतर अनिवार्य रूप से वेबसाइट cybercrime.gov.in पर पंजीकृत कराना होगा। शिकायत मिलते ही हेल्प डेस्क टीम द्वारा जांच कर बैंक, वित्तीय संस्था, पेमेंट गेट-वे से सम्पर्क कर खाते में शेष राशि की निकासी पर रोक लगवा दी जाएगी तथा पुलिस, बैंक, वित्तीय संस्थाओं के द्वारा अग्रतर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जहां रह रहे हैं, उस शहर मुख्यालय के साइबर अपराध प्रकोष्ठ में भी साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। यदि आवेदक किसी साइबर सेल से दूर हैं, तो वे स्थानीय पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। यदि वहां शिकायत स्वीकार नहीं की जाती है, तो अपनी शिकायत करने के लिए आयुक्त, डीएम या जिला स्तरीय पुलिस कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
व्यक्तिगत रूप से आवेदन
इसके तहत साइबर क्राइम के शिकार को पूरी घटना बताते हुए एक शिकायत लिखनी चाहिए – संक्षिप्त इतिहास का उल्लेख किया जाना है। अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल में जाएं। अगर आप साइबर क्राइम सेल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो नजदीकी पुलिस स्टेशन पहुंचें। पीड़ित एक पुलिसकर्मी के माध्यम से “शून्य प्राथमिकी” दर्ज कर सकता है और फिर शिकायत दर्ज करने के लिए स्थानीय निकटतम पुलिस स्टेशन को शिकायत भेज दी जाएगी।
डिजिटल पेमेंट के सभी माध्यम सुरक्षित
डिजिटल पेमेंट करते हुए कई बार लोगों के मन में सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं कि कहीं कुछ फ्रॉड या साइबर क्राइम के शिकार न हो जाएं। तो कुछ लोग इस बात से परेशान रहते हैं, कि कौन सा ऐप का प्रयोग करना ज्यादा सुरक्षित है। इस बारे में आईटी मंत्रालय में सीनियर डायरेक्टर अर्चना दुरेजा का कहना है कि डिजिटल पेमेंट के सभी माध्यम पूरी तरह से सुरक्षित है। सिर्फ लोगों को थोड़ी सावधानी रखनी हैं। किसी को भी पिन, पासवर्ड ओटीपी न शेयर करें, जो भी आपका बैंक या आरबीआई दिशा निर्देश दे रहें हैं उसे फॉलो करें।