रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को ऐलान किया कि लड़कियों को सशस्त्र बलों में शामिल करने के लिए देश भर में 100 नए सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों की स्थापना से लड़कियों को सशस्त्र बलों में शामिल होने और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान करने का अवसर मिलेगा। सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश का रास्ता साफ करने और महिला अधिकारियों को सेनाओं में स्थाई कमीशन दिलाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सैनिक स्कूलों की रैंकिंग का सुझाव
सैनिक स्कूलों पर एक वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने में विश्वास करती है और उस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश का रास्ता साफ करना और महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन प्रदान करना शामिल है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नए सैनिक स्कूल स्थापित करने का निर्णय लड़कियों को देश की सेवा करने के अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। रक्षा मंत्री ने पिछले छह-सात वर्षों में सैनिक स्कूलों के विस्तार की घोषणा को बच्चों की बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और देश के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के कई महत्वपूर्ण फैसलों में से एक बताया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में सैनिक स्कूल राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि जहां ‘सैनिक’ एकता, अनुशासन और भक्ति का प्रतीक है, वहीं ‘स्कूल’ शिक्षा का केंद्र है, इसलिए सैनिक स्कूल बच्चों को सक्षम नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार देश के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि शिक्षा ही समाज के सर्वांगीण विकास की ठोस नींव रखती है। ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमारी मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता रही है। सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
निजी शिक्षा क्षेत्र ला सकता है बच्चों के विकास में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्रांति
राजनाथ सिंह ने रक्षा विभाग और सैनिक स्कूल सोसायटी को सभी सैनिक स्कूलों को उनके प्रदर्शन और ऑडिट के आधार पर रैंकिंग के लिए एक तंत्र तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे स्कूलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलने के साथ ही विभिन्न नवाचारों को आजमाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम के साथ-साथ बच्चों को देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति निष्ठा से अवगत कराया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उनके चरित्र निर्माण में मदद मिलेगी और देश को लाभ होगा। उन्होंने शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सैनिक स्कूलों की रैंकिंग का सुझाव देते हुए कहा कि निजी शिक्षा क्षेत्र बच्चों के विकास में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की क्रांति ला सकता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 अक्टूबर, 2021 को सैनिक स्कूल शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जो मौजूदा सैनिक स्कूलों से अलग होंगे। पहले चरण में राज्यों, गैर सरकारी संगठनों, निजी भागीदारों से 100 संबद्ध भागीदारों को तैयार करने का प्रस्ताव किया गया था। इसके लिए एक वेबसाइट https:ainikschool.ncog.gov.in लॉन्च करके पंजीकरण खोला गया। अब तक वेब पोर्टल पर 137 आवेदकों ने पंजीकरण कराया है। सरकार की इस पहल के सुचारू रूप से कार्यान्वयन और अतिरिक्त पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए आज एक वेबिनार का आयोजन किया गया था। सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार भी वेबिनार में शामिल हुए।