काशी तो अविनाशी है – PM नरेंद्र मोदी

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पीएम मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का लोकार्पण किया।बाबा विश्वनाथ के तीर्थ यात्रियों और भक्तों को पवित्र नदी में डुबकी लगाने की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करने, खराब रख-रखाव एवं भीड़-भाड़ वाली सड़कों से आने-जाने और गंगाजल लेकर मंदिर में अर्पित करने में होने वाली कठिनाइयों को दूर कर उन्हें सुविधा प्रदान करना, प्रधानमंत्री का पुराना सपना था। इस सपने को साकार करने के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ने के लिए एक सुगम मार्ग के सृजन की एक परियोजना के रूप में श्री काशी विश्वनाथ धाम की परिकल्पना की गई। इस पुनीत कार्य को शुरू करने के लिए 8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा परियोजना की आधारशिला रखी गई थी।
परियोजना के पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया गया। ये भवन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर आने वाले तीर्थ यात्रियों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिनमें शामिल हैं- यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, दर्शक दीर्घा, फूड कोर्ट आदि। इस परियोजना के अंतर्गत श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण किए गए। इस प्रयास में करीब 1400 दुकानदारों, किराएदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास सौहार्द्रपूर्ण ढंग से पूरा किया गया। इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना अब लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है, जबकि पहले संबंधित परिसर तकरीबन 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही पूरा कर लिया गया है।
पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम पर हुये मुगल आक्रमण का जिक्र करते हुये कहा कि अगर यहां कोई औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं! कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम के ऐतिहासिक लोकार्पण के पूर्व सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धाम निर्माण करने वाले श्रमिकों का सम्मान कर नई इबारत लिखी। प्रधानमंत्री ने श्रमिकों पर पुष्प वर्षा कर पूरे आदर के साथ उनहें सम्मान दिया। सम्मान पाकर श्रमिकों के आंखें खुशी से डबडबा आईं। आदर मान पाकर श्रमिक गदगद रहे और प्रधानमंत्री के प्रति कृतज्ञता जताते हुए देर तक ताली भी बजाते रहे। खास बात रही कि श्रमिकों के बीच जाकर प्रधानमंत्री जमीन पर बैठे और उनके साथ फोटो खिंचाई।

काशी तो अविनाशी है – PM मोदी

श्री काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, वह सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है? प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किये, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किया। औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है। जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, जिसने संस्कृति को कट्टरता से कुचलने की कोशिश की! लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है।
उन्होंने कहा कि काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वह है- जहां जागृति ही जीवन है! काशी वह है- जहां मृत्यु भी मंगल है! काशी वह है- जहां सत्य ही संस्कार है! काशी वह है- जहां प्रेम ही परंपरा है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बनारस वह नगर है, जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। यह वो जगह है, जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। प्रधानमंत्री ने कह कि यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाज सुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुये। समाज को जोड़ने की जरूरत थी, तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी यही काशी बनी।उन्होंने कहा कि काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रामानन्द जी के ज्ञान तक चैतन्य महाप्रभु,समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेन्दु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद,पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं इस स्मरण को कहां तक ले जाया जाये।आगे उन्होंने कहा कि आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।

ललिताघाट पर गेरूआ वस्त्र में पीएम, ज्योतिर्लिंग पर किया जलाभिषेक

इसके पहले प्रधानमंत्री ने ललिताघाट पर गेरूआ वस्त्र धारण कर पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। गंगा में पुष्प अर्पित कर भगवान सूर्य को जल देने के बाद प्रधानमंत्री पूरे आस्था के साथ कलश में गंगा जल भर पैदल जेटी पर पहुंचे। यहां गीला वस्त्र बदलने के बाद नया वस्त्र परम्परागत धोती, कुर्ता, रेशमी दुपट्टा धारण कर प्रधानमंत्री कार से गंगाजल कलश लेकर मंदिर चौक तक गये।फिर डमरूओं के निनाद के बीच लोगों का अभिवादन विनम्रता से स्वीकार करते हुए रेड कारपेट पर चलकर बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में हाजिरी लगाई। अपने संकल्प को मूर्त रूप लेने पर प्रधानमंत्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बेहद खास रेवती नक्षत्र और रवि महायोग में आदि विशेशर के पावन ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल सहित पवित्र नदियों के जल,केशर से जलाभिषेक किया। उनके प्रति अपार आस्था दिखाई। श्री काशी विद्यत परिषद के मार्ग दर्शन में मंदिर के अर्चक पं.श्रीकांत मिश्र,डॉ नागेन्द्र पांडेय,पं.ओमप्रकाश मिश्र आदि ने मंत्रोच्चार के बीच बाबा का षोडशोपचार पूजन कराया।पूजन-अर्चन के बाद प्रधानमंत्री ने बाबा से राष्ट्र उन्नति, विश्व कल्याण, के लिए मानस प्रार्थना किया और परिसर में पूज्य औषधीय पौधों का रोपण किया।

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