हमारे देश में कृषि की महत्वता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हमारी अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। अगर देश में कृषि की स्थिति अच्छी होती है तो स्वाभाविक तौर पर देश आर्थिक मोर्चे पर मजबूत होता है क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 20 फीसदी से अधिक पहुंच गया है। ऐसे में केंद्र सरकार के द्वारा लगातार किसानों को मजबूती प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं जिससे उनकी आय बढ़े और वह भी खुशहाल जिंदगी जी सकें। इसी क्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ (FICCI) के साथ कृषि क्षेत्र में PPP परियोजनाओं को आकर्षित करने के लिए संयुक्त पहल का शुभारंभ किया है।
PPP मॉडल की आवश्यकता कृषि क्षेत्र में
सार्वजनिक निजी भागीदारी की आवश्यकता आज कृषि क्षेत्र में इसलिए बढ़ गई है क्योंकि इस मॉडल से परियोजनाओं को तेज गति से पूरा किया जा सकता है। नवाचार, अनुसंधान, तकनीक और अत्याधुनिक उपकरण जैसी कई चीजें पीपीपी मॉडल के समायोजन से कृषि क्षेत्र को मिल सकती है जिससे कृषि का कायाकल्प हो सकता है!
कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस का हो सकेगा निर्माण
हमारे देश के किसान अपनी कड़ी तपस्या और मेहनत के दम पर पैदावार अच्छी कर भी लेते हैं तो उनके पास बेहतर परिवहन के माध्यम और संग्रहण की व्यवस्था न होने की वजह से काफी सारी फसल बर्बाद हो जाती है। ऐसे में इस मॉडल से न सिर्फ किसानों को अतिरिक्त उत्पाद को संग्रहण करने की व्यवस्था मिलेगी बल्कि बेहतर वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज उन्हें मोल भाव करने की स्वतंत्रता भी प्रदान करेगा।
सिंचाई की समस्या हो सकती है दूर
मानसून पर निर्भर रहना किसानों की सबसे बड़ी मजबूरी है अगर बारिश होती है तो फसल खेतों में लहलहा रही होती है लेकिन बारिश के अभाव में किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था नहीं होती इससे उन्हें भारी नुकसान होता है। ऐसे में अगर पीपीपी मॉडल इस क्षेत्र में लागू की जाती है तो नहर, डीप बोरवेल, वॉटर रिजर्वायर्स, पंप्स आदि के साथ सिंचाई व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाया जा सकता है। इसके अलावा खाद, बीज और अन्य कृषि संबंधित जरूरतों को भी यह मॉडल पूरा करने में सक्षम है।
PPP मॉडल क्या है?
PPP मॉडल आज के दौर की सबसे नवीन साझेदारी है इस सार्वजनिक-निजी भागीदारी में एक सरकारी एजेंसी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी साथ आते हैं। ये दोनों कंपनियां आपसी सहयोग से विभिन्न परियोजनाएं जैसे सार्वजनिक पार्क, परिवहन नेटवर्क जिसमें रोड, रेल,ब्रिज आदि शामिल है इन सब का निर्माण तेजी से करते हैं। इस मॉडल से सरकार पर वित्तीय बोझ कम होता है क्योंकि निजी कंपनियों के प्रवेश से उनकी भी हिस्सेदारी इस मॉडल में होती है।
PPP मॉडल कई प्रकार के होते हैं जैसे बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी), बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ), बिल्ड-ऑपरेट-लीज-ट्रांसफर (बीओएलटी), डिजाइन-बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (डीबीएफओटी), लीज-डेवलप- ऑपरेट (एलडीओ), ऑपरेट-मेंटेन-ट्रांसफर (ओएमटी), आदि शामिल है ये सारे मॉडल मौजूदा दौर में कृषि को छोड़कर अन्य सेक्टर्स में लागू किए जा चुके हैं जिससे आज बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
PPP मॉडल इन क्षेत्रों में पहले से है प्रभावी
सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 125 प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति दी गई थी। इन प्रोजेक्ट्स का मूल्य 1,72,314 करोड़ रुपए था। इनमें केंद्र सरकार के 127 और राज्य सरकार के दो PPP आधारित परियोजनाएं थी। रोड, पोर्ट्स, इको टूरिज्म, पेट्रोलियम रिजर्वस, रोपवे, टेलीकॉम, रेलवे स्टेशंस, रेलवे पैसेंजर ट्रेन, मेट्रो जैसे तमाम क्षेत्र है जिसमें PPP मॉडल के माध्यम से आधारभूत बदलाव देखे गए हैं। इन क्षेत्रों में न सिर्फ कामों को समय पर पूरा किया गया है बल्कि इससे लोगों की जिंदगी में काफी बदलाव आई है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि PPP मॉडल कृषि क्षेत्र में अब तक नहीं लाई गई जिससे कहीं न कहीं यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों के मुकाबले पिछड़ गया!
मौजूदा दौर की मांग PPP मॉडल
PPP मॉडल के आने से विकास परियोजनाओं को जल्दी और बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है, इसका उदाहरण ऊपर लिखे हुए वो तमाम सेक्टर है जहां पर कई वर्षों से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां मिलकर काम कर रही है। इस मॉडल से इन क्षेत्रों में निवेश आती है जो वित्तीय सहायता या कहें वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और कृषि विकास केंद्र (KVK) आज खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है लेकिन जिस गति और निरंतरता के साथ इन दोनों संस्थानों का योगदान होना चाहिए था। इसपर एक्सपोर्ट सवाल उठाते हैं। ऐसे में PPP मॉडल एग्रीकल्चर एक्सटेंशन और इन केंद्रों को और मजबूती प्रदान कर सकता है।
किसानों के लिए चलाई जा रही है कई योजनाएं
केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते 8 साल में दर्जनों योजनाएं शुरू की है जिससे किसानों को वित्तीय सहायता मिले और वह मजबूत बन सके। अगर कुछ योजनाओं की जिक्र करें तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,पीएम किसान मानधन योजना, प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अलावा किसान क्रेडिट कार्ड, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और इनाम पोर्टल जैसे कई पहल किए गए हैं। सरकार की ये योजनाएं किसानों के जीवन में बदलाव ला ही रही है लेकिन अब पीपीपी मॉडल के क्रियान्वयन से कृषि क्षेत्र में क्रांति आने की उम्मीद है!