(नई दिल्ली )06 अगस्त,2025.
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने स्पष्ट किया कि सीआईएसएफ का कोई भी जवान सदन में तैनात नहीं किया गया था। मंगलवार को राज्यसभा में उस समय तीखी बहस देखी गई, जब कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने यह आरोप लगाया कि सदन में विपक्षी सांसदों के विरोध को रोकने के लिए सीआईएसएफ के जवान तैनात किए गए।
उपसभापति हरिवंश ने यह भी चिंता जताई कि खरगे ने जो पत्र उन्हें लिखा था, वह मीडिया को भेज दिया गया जबकि वह एक ‘गोपनीय पत्राचार’ था और उन्हें मिलने से पहले ही सार्वजनिक कर दिया गया। सदन में बहस उस समय और गरम हो गई जब खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों को ऐसे रोका गया जैसे वे आतंकवादी हों। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सदन को उपसभापति चला रहे हैं या गृह मंत्री अमित शाह, जिनके अंतर्गत सीआईएसएफ काम करती है।
इस बयान पर सत्ता पक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को विपक्ष में रहने के लिए उनसे ट्यूशन लेनी चाहिए, क्योंकि वे अब कई दशकों तक विपक्ष में ही रहेंगे। उन्होंने विपक्ष के व्यवहार को अराजक बताया। इस टिप्पणी पर विपक्षी सांसद खड़े होकर विरोध जताने लगे। इसके बाद सदन को पहली बार दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। लेकिन दोबारा शुरू होने पर भी बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर हंगामा जारी रहा और कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह 11 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई, उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र का जिक्र करते हुए अफसोस जताया कि इसमें गलत आरोप लगाए गए कि सदन में सीआईएसएफ तैनात की गई थी और इससे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ। हरिवंश ने कहा, पीठ की गरिमा यह अनुमति नहीं देती कि ऐसा पत्र मीडिया को भेजा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि लगातार व्यवधान एक चिंताजनक स्थिति है और कई सदस्य नियम 235 और 238 का उल्लंघन कर रहे हैं।
हरिवंश ने पूछा, क्या नारेबाजी, वेल (उपसभापति और संसद सदस्यों के बीच की खाली जगह) में जाना और दूसरों को बाधित करना लोकतांत्रिक विरोध कहलाता है? बाद में खरगे को बोलने का मौका दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने पत्र इसलिए सार्वजनिक किया ताकि सभी सदस्य इसे देख सकें। खरगे ने फिर दोहराया कि विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा है और करता रहेगा। उन्होंने पूछा, क्या हम आतंकवादी हैं जो सीआईएसएफ को बुलाया गया?
हरिवंश ने साफ कहा, वे सीआईएसएफ के जवान नहीं थे, बल्कि संसद की सुरक्षा सेवा के कर्मचारी थे। खरगे ने कहा कि संसद की सुरक्षा सेवा पर्याप्त है, लेकिन सवाल उठाया कि क्या अब पुलिस और सेना के जरिए सदन चलाया जाएगा। हरिवंश ने दोहराया कि ये कर्मचारी संसद की सुरक्षा सेवा के थे और ये सेवा 1930 में विट्ठल भाई पटेल द्वारा शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि ये सुरक्षाकर्मी विशेष रूप से प्रशिक्षित हैं और सदन की गरिमा बनाए रखते हुए काम करते हैं।
इस दौरान द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि जब भगत सिंह ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंका था, तब भी विट्ठल भाई पटेल ने सुरक्षा बलों को सदन में घुसने नहीं दिया था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उपसभापति से यह स्पष्ट करने को कहा कि अगर विपक्ष के नेता गलत जानकारी देते हैं, तो उस पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए। रिजिजू ने कहा, सिर्फ मार्शल ही सदन में थे, कोई सीआईएसएफ का जवान नहीं था। नेता विपक्ष गलत जानकारी देकर देश को गुमराह कर रहे हैं।
खरगे ने फिर वही सवाल दोहराया, क्या आप सदन चला रहे हैं या अमित शाह? इस पर उपसभापति ने जवाब दिया कि यह आरोप गलत है। जेपी नड्डा ने कहा कि उन्होंने 40 साल विपक्ष में रहकर सीखा है कि कैसे प्रभावी विरोध किया जाता है और कांग्रेस को उनसे सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष का व्यवहार लोकतांत्रिक विरोध नहीं बल्कि अराजक है।(साभार एजेंसी)