पोषणयुक्त चावल (राइस फोर्टिफिकेशन) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

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उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने आज यहां पोषणयुक्त चावल पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया।

सेमिनार को संबोधित करते हुए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा “हम देश के सभी चावल खपत वाले जिलों में पोषणयुक्त चावल के शत-प्रतिशत वितरण के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर हैं।”

भारत सरकार सरकारी खाद्य सुरक्षा योजनाओं के तहत पोषणयुक्त चावल वितरण के माध्यम से देश की पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सेमिनार ने बहुहितधारक चर्चाओं के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य किया जहां सरकारी हितधारकों के अलावा अन्य संस्थानों और शिक्षा जगत के तकनीकी विशेषज्ञों ने चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं जैसे साक्ष्य, उपभोग की सुरक्षा, परिचालन चुनौतियों और गुणवत्ता आश्वासन और गुणवत्ता नियंत्रण पर सार्थक अंतर्दृष्टि प्रदान की। विशेषज्ञों के समूह द्वारा राज्यों की मौजूदा चुनौतियों और प्रश्नों का समाधान किया गया और आगामी वर्ष के लिए कार्यक्रम का रोडमैप तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया।

सेमिनार को चार तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था जिनमें से प्रत्येक में पोषणयुक्त चावल के प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूर्व कार्य समूह की बैठकों में हुई चर्चाओं पर विचार-विमर्श किया गया था। इनमें से पहले सत्र में सामान्य आबादी के साथ-साथ

से संबंधित चिंताओं पर जोर दिया गया। चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के हेमेटोलॉजी विभाग की डॉ. रीना दास ने पैनल की ओर से सिफारिश की कि फोर्टिफाइड चावल का सेवन सुरक्षित है और इसके सेवन से विषाक्तता के बारे में प्रचलित मिथक के विषय में बात की। बैंगलोर के सेंट जॉन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत टी. के नेतृत्व में दूसरे सत्र का उद्देश्य पोषणयुक्त चावल पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से साक्ष्य-आधारित अंतर्दृष्टि प्रदान करना था। उन्होंने कई अध्ययन साझा किए जिनमें एनीमिया को कम करने में आयरन फोर्टिफिकेशन की प्रभावशीलता की ओर संकेत किया गया है। तीसरे तकनीकी सत्र में राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्र में काम करने वाले एफएसएसएआई, एफसीआई, बीआईएस, डब्ल्यूएफपी, माइक्रोसेव और आईआईटी खड़गपुर जैसे संगठनों के विशेषज्ञों का एक समूह जमीनी स्तर पर परिचालन के लिए वितरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की चुनौतियों के लिए रणनीतियों का पता लगाने के लिए चर्चा में शामिल हुआ। दिन की चर्चाओं का समापन करते हुए एफएसएसएआई के संयुक्त निदेशक डॉ. बालासुब्रमण्यम के नेतृत्व में अंतिम तकनीकी सत्र गुणवत्ता पहलुओं और अनुशंसित रणनीतियों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करने पर केंद्रित था जिन्हें वितरित किए जा रहे फोर्टिफाइड चावल की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपनाया जा सकता है।

सेमिनार में लाभार्थी स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए विभाग द्वारा विकसित एक राष्ट्रीय आईईसी अभियान का शुभारंभ किया गया और पोषणयुक्त चावल पर एक मार्गदर्शन पुस्तिका का विमोचन किया गया जो पोषणयुक्त चावल से संबंधित सभी दिशानिर्देशों, अधिसूचनाओं और आदेशों के लिए रेडी रेकनर के रूप में कार्य करेगा।

इस कार्यक्रम में तकनीकी विशेषज्ञों, सरकारी मंत्रालयों के नेताओं, अनुसंधान संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक साथ लाया गया जिससे आम समझ बनाने और खाद्य सुरक्षा योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल की सार्वभौमिक आपूर्ति का लाभ उठाने के लिए एक समृद्ध संवाद को बढ़ावा मिला।

देश भर के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सचिवों के साथ-साथ क्षेत्र के तकनीकी विशेषज्ञों और जमीनी स्तर पर काम करने वाले विकास भागीदारों ने देश में खाद्य और पोषण सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के परिवर्तन को प्राप्त करने के लिए चुनौतियों और अवसरों पर संयुक्त रूप से विचार करते हुए संगोष्ठी में भाग लिया।

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