इफ्फी में केंद्रीय संचार ब्यूरो की प्रदर्शनी में सिनेमा में स्वतंत्रता आंदोलन का चित्रण किया गया

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इस वर्ष भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में प्रौद्योगिकी की प्रदर्शनी एक नई पहल है। इसके अलावा, केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा लगाई गई एक अन्य प्रदर्शनी “स्वतंत्रता आंदोलन और सिनेमा” अपने अनूठे अनुभव के साथ लोगों को आकर्षित कर रही है।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज कैंपल फुटबॉल मैदान में मल्टी मीडिया डिजिटल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। मंत्री महोदय ने कहा कि प्रदर्शनी कई तकनीकी नवाचारों का उपयोग करके भारत के स्वतंत्रता संग्राम की पूरी कहानी प्रदर्शित करती है। फिल्मोत्सव में आने वाले लोगों के लिए यह प्रदर्शनी एक प्रेरणा है। विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए यह प्रदर्शनी एक प्रेरणा है जो हमारे प्रेरक नेताओं के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।”
केंद्रीय संचार ब्यूरो की टीम द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के व्यापक विषय के अंतर्गत परिकल्पित की गई प्रदर्शनी में कैमरा-लेंस के रूप में एक पहलू है। जैसे ही कोई प्रदर्शनी हॉल में प्रवेश करता है, एक बड़ी 12 x 10 फीट की एलईडी स्क्रीन लोकप्रिय दूरदर्शन श्रृंखला ‘स्वराज’ की क्लिप प्रदर्शित करती है जो औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित करती है।

आगे बढ़ते हुए, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम, राजा राम मोहन राय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कालापानी, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को शामिल करने वाले स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित दुर्लभ फुटेज प्रदर्शित की गई हैं। इनमें से अधिकांश फ़ुटेज फ़िल्म प्रभाग के समृद्ध संग्रह से ली गई हैं।

एक डिजिटल फ्लिप-बुक केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा तैयार किए गए पोस्टर के रूप में काल क्रम के अनुसार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की यात्रा को प्रदर्शित करती है। स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बनने वाले गीतों को सुना जा सकता है, यहां तक कि आपके बगल में साउंड शॉवर के माध्यम से आप भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के भाषणों को भी सुन सकते हैं।
प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने वाला भाग डिस्कवरी ऑफ इंडिया की भारत यात्रा के साथ संपन्न होता है। इसमें यह बताया जाता है कि देश ने बहुआयामी क्षेत्रों में कैसे प्रगति की है।

प्रदर्शनी हॉल के केंद्र में जलियांवाला बाग का प्रतीकात्मक शहीदी कुआं या बलिदानियों का कुआं है, जहां कोई भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सभी प्रसिद्ध और गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकता है।

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