मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, देहरादून में विज्ञान भारती उत्तराखण्ड एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा आयोजित National Conference and Exhibition on Akash tattwa – Akash for life में प्रतिभाग किया एवं एटलस व सार संग्रह का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने आकाश तत्व सम्मेलन में देश भर से आए विषय विशेषज्ञों का उत्तराखण्ड में स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की पावन धरा पर आयोजित यह चिंतन कार्यक्रम निश्चित रूप से पंच महाभूतों में प्रधान आकाश तत्व के नवीन आयामों की विवेचना करने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पुरातन व आधुनिक विज्ञान दोनों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की तर्ज पर साइंटिफिक सोशल रेस्पांसिबिलिटी के विचार को अपनाने की वैज्ञानिकों से अपील की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए बड़े गर्व का विषय है कि भारत सरकार ने एक नवीन पहल सनातन विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए 4 नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक आकाश तत्व सम्मेलन की सीरीज के आयोजन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की विराट वैज्ञानिक सोच और हमारे वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से आज हमारा देश पूरी दुनिया में शोध एवं अनुसंधान कृषि, व्यापार, विज्ञान प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक सोच को जागृत करने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में साइंस सिटी के निर्माण का निर्णय लिया है। हर क्षेत्र तक अनुसंधान एवं शोध गतिविधियों को पहुंचाने लिए ’’लैब्स ऑन व्हील’’ और अंतरिक्ष प्रौद्यागिकी में जागरूकता के लिए राज्य में एस्ट्रोपार्क बनाने पर भी विचार कर रहे हैं। इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस तरह का आयोजन पहली बार हो रहा है, जिसमें प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शोध से जोड़कर वैज्ञानिक मंथन किया जा रहा है। पंचमहाभूत का सर्वप्रथम कार्यक्रम आकाश से शुरू हो रहा है। इस अवसर पर सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल, श्रीमती डॉ. कल्पना सैनी, संगठन महामंत्री भाजपा श्री अजेय कुमार, उत्तरांचल विश्विद्यालय के कुलाधिपति डॉ. जितेंद्र जोशी देश-विदेश से आए वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।