हिमालय दिवस की तैयारी में डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस
हिमालय सदियों से विभिन्न जीवन सहायक संसाधनों का केन्द्र रहा है जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह अपने जल, मृदा और वायु से बहुत से देशों की प्रत्यक्ष व अप्रत्यस रूप से सेवा करता है। कृषि को बढ़ावा देकर विभिन्न कृषि आधारित उद्योगों को विकसित कर और अपने पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के माध्यम से हिमालय हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बृहद रूप से योगदान देता है।
इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित होगी
हिमालय ने विभिन्न पारिस्थितिकी संकटों से हमारे देश की सुरक्षा की है इसलिये भी इस कोविड 19 आपदा की विभीषिका के बाद हिमालय को समझने की जरूरत ज्यादा है। हालांकि ये पारिस्थितिकी तंत्र कुछ मोर्चों पर असमर्थ भी हो चुका है पर बावजूद इसकी सेवा में अनवरत हमारे साथ है। इसीलिये इस वर्ष हिमालय दिवस की विषयवस्तु हिमालय और प्रकृति पर केन्द्रित होगी वर्तमान कोविड 19 की महामारी और उसके संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए हिमालय को संरक्षित करने की आवश्यकता है तभी हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा। हिमालय ने अपनी प्रकृति से ही मन विरोधियों के प्रति कवच का काम किया है यहां का अनाज, जड़ी-यूटी. कदमूल फल की व्याख्या शास्त्रों व पुराणों में हैं। यहाँ शुरूआती दौर में वनौषधि व भोजन ही सभी तरह की बिमारियों से दूर रखता रहा है। हिमालय ने यह भी दृश्य है कि वो मात्र देश का मुकुट व सीमाओं की रक्षा नही करता बल्कि मानव समाज की प्रतिरक्षा में भी प्रमुख है।
डॉ० अनिल प्रकाश जोशी ने प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा
इस बार का हिमालय दिवस इन की महिमा जो देश व स्थानीय लोगों की असिनिता आस्था व आर्थिकी पर केन्द्रित रहेगी। इन्ही चर्चाओं के बीच में हिमालय के प्रति सामूहिक कार्य जो यहाँ के संस्थानों व संगठनों द्वारा किये जाने चाहिये की भी पहल होगी। उत्तर-पूर्वी व पश्चिमी हिमालय के निवासी. सामाजिक, राजनैतिक व वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाने की कोशिश की आज बड़ी आवश्यकता है सामूहिक प्रयत्नों से ही हिमालय की रक्षा संभव है।