हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात की दृष्टि से भारत को वैश्विक हब बनाने के लिए, जो राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू हुआ था, अब उसके परिणाम भी आने लगे हैं। हाइड्रोजन चालित वाहन की शुरुआत भी इसी पहल का एक हिस्सा है। इसी पहल के तहत भारत के शोधकर्ताओं ने स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल बस बनाने में सफलता हासिल की है। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने हाल ही में पुणे में हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का अनावरण किया। भारत को एनर्जी इंडिपेंडेंट बनाने के उद्देश्य से 2021 में पीएम मोदी ने लाल किले से राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की स्थापना की घोषणा की थी।
कैसे करता है यह ईंधन सेल कार्य
हाइड्रोजन ईंधन सेल बस अथवा वाहन शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक हैं। साथ ही साथ यह परिवहन लागत भी कम करते हैं। ईंधन सेल विद्युत बनाने के लिए हाइड्रोजन और हवा का प्रयोग करता है। जैसे एक तरफ से ऑक्सीजन और दूसरे तरफ से हाइड्रोजन भेजा जाता है। दोनों के बीच केमिकल रिएक्शन से एक ऊर्जा निकलती है, जो गाड़ी को चलने में मदद करती है और धुंए की जगह H2O यानि पानी निकलता है। इस प्रकार इसे परिवहन का पर्यावरण के अनुकूल साधन माना जा रहा है।
क्या है हाइड्रोजन ईंधन
हाइड्रोजन एक गैर- विषाक्त, रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और अत्यंत ज्वलनशील गैस है। हाइड्रोजन महत्वपूर्ण ईंधन के रूप में प्रयोग की जा सकती है और की भी जा रही है। हाइड्रोजन के ईंधन के रूप में जलने से पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा सबसे पहले इस साल फरवरी में पेश 2021-22 के बजट में की गयी थी। वर्तमान में देश में जो भी हाइड्रोजन की खपत होती है, वह जीवाश्म ईंधन से आती है।
वैश्विक स्तर पर एक प्रभावी अवसर
केंद्रीय मंत्रा डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि डीजल के भारी वाहन से होने वाले उत्सर्जन में लगभग 12 से 14% तक कार्बन उत्सर्जन होता है। वहीं हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन इस क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करते हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करके स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बना जा सकता है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन एक दूरदृष्टि पहल
आत्मनिर्भर और सुलभ स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को पूरा करने एवं नए उद्यमियों तथा नौकरियों के सृजन के लिए हाइड्रोजन से जुड़ा दृष्टिकोण अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए, डॉ सिंह ने बताया कि माल ढुलाई के क्षेत्र में हाइड्रोजन ईंधन क्रांति ला सकता है।
हाइड्रोजन एक बेहतर विकल्प
लंबी दूरी के मार्गों पर एक डीजल बस सालाना 100 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करती है और ऐसी 10 लाख से अधिक बसें भारत में चल रही हैं। हाइड्रोजन ईंधन वाहन के विकल्प का प्रयोग करके प्रदूषण के इस बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस बस को काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और पुणे बेस्ड सॉफ्टवेयर मल्टीनेशनल केपीआईटी लिमिटेड द्वारा बनाया गया है।