हमारे देश को कृषि प्रधान देश कहा जाता है क्योंकि अधिकांश आबादी आज भी कृषि पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर करती है, लेकिन परंपरागत खेती बारी के अलावा भारत जैसे विशालकाय देश में ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिसे मजबूत बनाकर अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है। उन्हीं क्षेत्रों में से एक क्षेत्र है पशुपालन। पशुपालन एक ऐसा क्षेत्र रहा है, जिस पर पूर्व में हमारे देश की सरकारों ने बहुत ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब ऐसा नहीं है, पशुपालन और पशुपालकों के हितों की रक्षा करते हुए उन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं और अलग से वित्तीय मदद कर रही है।
राष्ट्रीय गोकुल योजना
केंद्र सरकार दुग्ध उत्पाद को बढ़ाने और स्वदेशी गायों के संरक्षण और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना चला रही है। इस मिशन के तहत स्वदेशी गायों की नस्ल लगातार बेहतर हो रही है और दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। गिर, साहिवाल, राठी, लाल सिंधी तरह की स्वदेशी गायों की अभी जाति वर्ग को बढ़ाना है। सरकार का लक्ष्य है कि पशुधन स्वस्थ और बेहतर स्थिति में हो ताकि पशुपालकों को उनसे आर्थिक लाभ मिल सके। केंद्र सरकार द्वारा क्रियान्वित राष्ट्रीय पशुधन मिशन और पशुपालन अवसंरचना विकास कोष पशुधन मालिकों को पशु चारा की उपलब्धता बढ़ाने में भी सक्षम बनाता है।
पशु शेड योजना
हमारे देश में कृषि कार्यों के साथ पशुपालन का काम बहुत पुराने समय से चलता आ रहा है। लेकिन देश में अधिकांश किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह पशुओं का पालन पोषण उचित ढंग से नहीं कर पाते हैं। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा पशु शेड योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के माध्यम से पशुओं के रहने के लिए शेड का निर्माण करवाया जा रहा है।
राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम
सरकार के द्वारा पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम को शुरू किया गया है। इससे कृत्रिम गर्भाधान कर उन्हें पशु आधार के साथ टैग किया जाता है। यह टैग जानवरों को दी जाने वाली आदित्य पहचान है। इससे सरकार को जानवरों की नस्ल, आयु, लिंग और मालिक के विवरण जैसे सभी पहचान करने और विशिष्ट रूप से ट्रैक करने में सक्षम बनाती है।
देश में कुल 53 करोड़ पशुधन
कृषि मंत्रालय द्वारा के अनुसार देश में कुल 53 करोड़ से अधिक पशुधन हैं, जो भारत को दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शुमार करता है जहां पशुधन संपदा न केवल संख्यात्मक है बल्कि अनुवांशिक विविधता की दृष्टि से भी काफी समृद्धशाली है। पशुधन के अलावा देश में पक्षियों की बात की जाए, तो कुल 85 करोड़ पक्षी हमारे देश में है। ऐसे में पशुधन और पक्षीधन दोनों को मिला दिया जाए, तो हमारे देश की कुल आबादी के बराबर इनकी भी आबादी है, जो बेहद सुखदायक हैं।
प्रकृति और पशुओं का अटूट रिश्ता
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में कहा था कि प्रकृति और पशुओं का अटूट रिश्ता है, एक ऐसा रिश्ता जिसे अलग नहीं किया जा सकता। ऐसे में सरकार अगर पशुपालन क्षेत्र की ओर ध्यान दे रही है, तो इससे देश के लाखों पशुपालकों का भला होगा और उन्हें मजबूती मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा था कि मनुष्यों के साथ-साथ पशु पक्षियों की देखभाल व उनके स्वास्थ्य की चिंता करना भी हमारा कर्तव्य है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पैकेज
साल 2020 में आत्मनिर्भर भारत के पैकेज के तगत 15000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह राशि पशुपालन अवसंरचना कोश के तहत दी गई है, जिसका मुख्य लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती प्रदान करना है। धन का इस्तेमाल पशुपालन को बढ़ावा देने, पशुपालकों के हितों की रक्षा करने और पशुओं में किसी तरह की बीमारी या अन्य चुनौतियां आती हैं, तो इस्तेमाल किया जा सकता है। केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसे महत्वकांक्षी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रही है, जिसका मकसद भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है, वो बात चाहे रक्षा क्षेत्र की हो, स्वास्थ्य क्षेत्र की, शिक्षा क्षेत्र की या कृषि क्षेत्र की हर दिशा में देश को आत्मनिर्भर बनाने की संकल्पना पीएम मोदी ने की है। उनका मानना है कि आत्मनिर्भर भारत का रास्ता आत्मनिर्भर गांव, आत्मनिर्भर कस्बा, आत्मनिर्भर जिलों से होकर गुजरेगा, ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पशुपालन मजबूती प्रदान कर सकता है और किसानों की आमदनी को भी बढ़ सकता है।