भारत के लोकल उत्पाद अब विश्व बाजार में अपनी खास पहचान बना रहे हैं। यानि लोकल प्रोडक्ट अब ग्लोबल हो रहा है। इसका बेहतरीन उदाहरण भारत का उभरता सिरेमिक उद्योग बन गया है। यही कारण है कि भारत का सिरेमिक एवं ग्लासवेयर उत्पादों का निर्यात 2021-22 में रिकॉर्ड 346.4 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। जबकि वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान भारत ने 129.2 करोड़ डॉलर मूल्य के सिरेमिक एवं ग्लासवेयर उत्पादों का ही निर्यात किया था। इससे भारत के इन उत्पादों की विश्व स्तर पर बढ़ती डिमांड को आसानी से समझा जा सकता है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के जरिए इस उपलब्धि के संबंध में बताया है।
सिरेमिक टाइल्स के निर्यात में आई तेजी
भारतीय टाइल उद्योग आज एक वैश्विक खिलाड़ी बन गया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के साथ देश के लिए विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहा है। केवल इतना ही नहीं भारत आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा टाइल विनिर्माता देश बन गया है। इसके पीछे का कारण सिरेमिक टाइल्स और सेनेटरीवेयर उत्पादों के शिपमेंट में बढ़ोतरी होने से सिरेमिक टाइल्स के निर्यात में आई तेजी है।
ग्लासवेयर उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि
वहीं वस्तुओं की ग्लास पैकिंग सामग्रियों, ग्लास फाइबर बनाने की सामग्रियों, पोर्सलीन के सैनेटटरी फिक्स्चर, ग्लास मिरर, टिंटेड नॉन-वायर्ड ग्लास, ग्लास बीड एवं ग्लास वूल के शिपमेंट में बढ़ोतरी होने के कारण ग्लासवेयर उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि हासिल की गई है।
125 से अधिक देशों को निर्यात
भारत 125 से अधिक देशों को निर्यात करता है और शीर्ष गंतव्यों में सऊदी अरब, अमेरिका, मैक्सिको, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, ओमान, इंडोनेशिया, ब्रिटेन और पोलैंड शामिल हैं। अब रूस और लैटिन अमेरिकी देश जैसे नए बाजारों को भी इसमें शामिल किया गया है।
निर्यात में कैसे आया उछाल ?
केंद्र सरकार वाणिज्य विभाग के निरंतर प्रयासों के कारण सिरेमिक एवं ग्लासवेयर उत्पादों के निर्यात में उछाल आया है। इसके अलावा, कैपेक्सिल ने मार्केट ऐक्सेस इनिशिएटिव स्कीम के तहत अनुदान का उपयोग करके कई पहल की है, जैसे विभिन्न देशों में बी2बी प्रदर्शनियों का आयोजन, भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारी के साथ खास उत्पाद के लिए और विपणन अभियानों के जरिए संभावित नए बाजारों की तलाश इत्यादि। 2013-14 के मुकाबले वर्ष 2021-22 में 168 प्रतिशत निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
तमाम चुनौतियों के बावजूद मिली उपलब्धि
कोरोना महामारी, माल भाड़े, कंटेनरों की कमी आदि लॉजिस्टिक संबंधी अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद निर्यात में यह वृद्धि हासिल की गई है। सिरेमिक एवं ग्लासवेयर उत्पादों के निर्यात में वृद्धि से गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के छोटे एवं मझोले निर्यातक लाभान्वित हुए हैं।
भारत के नवाचारों को विदेशी बाजारों में मिल रही जगह
पिछले कई वर्षों से यह उद्योग नवाचार, उत्पाद प्रोफाइल, गुणवत्ता एवं नए डिजाइन के साथ आधुनिकीकरण कर रहा है ताकि वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए एक आधुनिक विश्वस्तरीय उद्योग के रूप में खुद को स्थापित कर सके। नए डिजाइन, डिजिटल तरीके से मुद्रित टाइल्स और विभिन्न रंगों वाली बड़े आकार की टाइल के मामले में हमारे नवाचारों को भी विदेशी बाजारों में स्वीकृति मिली है।