प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: छोटे व्यवसायियों के सपनों को मिल रहा पंख, योजना में 68 प्रतिशत महिलाओं को मिल रहा लाभ

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आय सृजन गतिविधियों के निर्माण में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का विशेष योगदान है। इस योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को की गई थी। योजना के तहत देश के लोगों को खुद का छोटा व्यवसाय शुरू करने के लिए 10 लाख तक का लोन दिया जा रहा है। अगर कोई भी व्यक्ति अपने कारोबार को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो वह भी लोन ले सकते हैं। लोगों को इस योजना के अंतर्गत लोन लेने के लिए एक मुद्रा कार्ड जारी किया जाता है।
योजना की 7वीं वर्षगांठ के अवसर पर केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “आय सृजन गतिविधियों के निर्माण के लिए इस योजना के तहत कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के लिए 34.42 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए हैं।”

कोविड काल में योजना बनी वरदान
कोविड काल में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) छोटे व्यवसायियों के लिए वरदान बन कर उभरी। पिछले एक साल के अंतर्गत देखें, तो करीब 5 करोड़ मुद्रा खाते खोले गए हैं, जिनमें करीब 3 लाख करोड़ के लोन दिए गए हैं। यानि कोविड महामारी के दौरान भी भारत में कई छोटे व्यवसाय खुले हैं या उन्होंने अपना विस्तार किया हैं। कहीं न कहीं कह सकते हैं कि आज भारत का निर्यात क्षेत्र जिस तरह से रिकॉर्ड बना रहा है, उसकी खास वजह यह है कि इन योजनाएं के जरिए कैसे सरकार ने व्यवसाय के लिए एक सिस्टम बनाया कि वो अपना व्यवसाय बढ़ा सकें।
22 प्रतिशत ऋण नए उद्यमियों को मिला लोन
मुद्रा योजना के जरिए कारोबारी माहौल में सुधार और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, “योजना ने विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए एक कुशल वातावरण बनाने में मदद की है और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किये हैं। 68 प्रतिशत अधिक ऋण खाते, महिलाओं के लिए स्वीकृत किये गए हैं और 22 प्रतिशत ऋण नए उद्यमियों को लोन दिया गया है।

कुल ऋण में से 51 प्रतिशत ऋण आरक्षित श्रेणी को मिला
अब तक स्वीकृत कुल ऋणों में से 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या ओबीसी श्रेणी समुदाय को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है तथा इस अर्थ में ‘सबका साथ, सबका विकास’ भावना की सच्ची प्रतीक है।“
68 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के
इस योजना के तहत ऋण प्राप्त करने वाले कई उद्यमी समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस योजना के तहत सबसे बड़ा लाभार्थी समूह महिलाओं का है। इस योजना के तहत खोले गए ऋण खातों में से 68 प्रतिशत से अधिक खाते महिलाओं के हैं।
इस मुद्रा लोन की खास बात ये है कि ये बिना किसी गारंटी के कारोबार के लिए प्रदान करने के लिए आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत तीन प्रकार के लोन शिशु, किशोर और तरुण में प्रदान किए जाते हैं।

◆शिशु: 50,000 रुपये तक के ऋण।
◆किशोर: 50,000 रुपये से अधिक और रु. 5 लाख रुपये से कम के ऋण।
◆तरुण: 5 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के ऋण।

◆◆नई पीढ़ी के आकांक्षी युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, यह सुनिश्चित किया जाता है कि शिशु श्रेणी के ऋणों को प्राथमिकता दी जाए और इसके बाद किशोर तथा तरुण श्रेणियों के ऋणों पर ध्यान दिया जाए।<
◆◆शिशु, किशोर और तरुण के तहत सूक्ष्म उद्यम क्षेत्र के विकास की रूपरेखा और व्यापक उद्देश्य के अंतर्गत, मुद्रा योजना द्वारा पेश किए जा रहे उत्पादों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे विभिन्न क्षेत्रों/व्यावसायिक गतिविधियों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हों।
◆◆ब्याज दर आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ऋण देने वाले संस्थानों द्वारा तय की जाती है। कार्यशील पूंजी सुविधा के मामले में, उधार लेने वाले के ऋण पर एक दिन बीतने के बाद ब्याज लगाया जाता है।

इन क्षेत्रों के लिए ले सकते हैं मुद्रा लोन
इस योजना के माध्यम से विनिर्माण, कृषि आदि से संबंधित गतिविधियों के माध्यम से आय अर्जित कर सकें। पीएमएमवाई के तहत आय सृजन गतिविधियों के लिए टर्म लोन और कार्यशील पूंजी दोनों के लिए ऋण प्रदान किए जाते हैं। इसके तहत कृषि से संबद्ध गतिविधियों जैसे मुर्गी पालन, डेयरी, मधुमक्खी पालन आदि सहित विनिर्माण व्यापार और सेवा क्षेत्रों में लोन दिए जाते हैं।
सरकार द्वारा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रिय ग्रामीण बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और सूक्ष्म वित्त सस्थानों के लिए पीएम मुद्रा लोन के अंतर्गत एक वार्षिक लक्ष्य रखा आंवटित किया जाता है। योजना के अंतर्गत कमर्शियल वाहन खरीदने के लिए भी लोन प्रदान किया जाता है। इनमें ट्रैक्टर, ऑटो रिक्शा, ट्रॉली, माल परिवहन वाहन, तीन पहिया वाहन, ई-रिक्शा आदि के लिए लोन लिया जा सकता है।

योजना की उपलब्धियां (25 मार्च 2022 तक)
◆योजना शुरू होने के बाद से (25 मार्च 2022 तक) कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि के लिए स्वीकृत किए गए ऋणों की संख्या 34.42 करोड़ से अधिक है
◆कुल ऋण के लगभग 22 प्रतिशत हिस्से को नए उद्यमियों के लिए मंजूरी दी गयी है।
◆कुल 4.86 करोड़ पीएमएमवाई ऋण खातों में 3.07 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि को चालू वित्त वर्ष में (25 मार्च 2022 तक) विस्तार दिया गया है।
◆महिला उद्यमियों को कुल ऋणों के लगभग 68 प्रतिशत ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
◆ऋण की औसत धनराशि लगभग 54,000 रुपये है।
◆86 प्रतिशत ऋण ‘शिशु’ श्रेणी के हैं।
◆लगभग 22 प्रतिशत ऋण नए उद्यमियों को दिए गए हैं।
◆लगभग 23 प्रतिशत ऋण एससी और एसटी समुदाय के लोगों को दिए गए हैं; लगभग 28 प्रतिशत ऋण ओबीसी समुदाय के कर्ज लेने वालों को दिए गए हैं। (कुल 51 प्रतिशत ऋण एससी/एसटी/ओबीसी श्रेणी के उधार लेने वालों को स्वीकृत किए गए हैं।)
◆लगभग 11 प्रतिशत ऋण अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए गए हैं।

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