कोरोना के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेज रफ्तार पकड़ ली है। इसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं। जी हां, देश में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह (GSTR) ने मार्च 2022 में एक नया कीर्तिमान बना दिया है। मार्च महीने में जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर रहा।
मार्च 2022 में GST राजस्व 1,42,095 करोड़
मार्च 2022 महीने में एकत्र सकल जीएसटी राजस्व 1,42,095 करोड़ रुपए रहा जिसमें CGST 25,830 करोड़ रुपए, SGST 32,378 करोड़ रुपए, IGST 74,470 करोड़ रुपए (माल के आयात पर एकत्रित 39,131 करोड़ रुपए सहित) और उपकर 9,417 करोड़ रुपए (माल के आयात पर एकत्रित 981 करोड़ रुपये सहित) है। मार्च 2022 में कुल सकल GST संग्रह जनवरी 2022 के महीने में एकत्र किए गए 1,40,986 करोड़ रुपए के पूर्व के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अब तक का सबसे अधिक रहा है।
अर्थव्यवस्था के नजरिए से इस रिकॉर्ड के क्या मायने ?
अर्थव्यवस्था के नजरिए से इस रिकॉर्ड के क्या मायने है, इस पर आर्थिक विश्लेषक बताते हैं कि इस आंकड़े को दो-तीन तरीके से देखना होगा। दरअसल, यह आंकड़ा फरवरी के महीने में वस्तु और सेवाओं के उपभोग से जुड़ा हुआ है और फरवरी का महीना 28 दिन का होता है जबकि सामान्य औसत महीना 30 या 31 दिन का होता है। ऐसे में तीन दिन की कमी के बावजूद GST संग्रह इतना अधिक होता है तो यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
अनुपालन को लेकर भी रखना होगा ध्यान
विश्लेषकों का मत है कि अनुपालन को लेकर भी हमें ध्यान रखना होगा। पिछले कुछ समय में देखा गया है कि GSTR 3B फॉर्म यानि कि जो भी असेसिव होते हैं, जो वास्तविक रूप में फॉर्म के जरिए कर का भुगतान करते हैं, उसको जीएसटीआर 3B फॉर्म कहते हैं। पहले यह नियमित तारीख तक 60 से 70% औसतन हुआ करता था। अब वह 80% से ऊपर पहुंच चुका है यानि अनुपालन में बढ़ोतरी हुई है। उसके अलावा जो फर्जी बिल जारी किए जाते थे, उन पर काफी लगाम लगी है। इस कारण से भी कर से कमाई अच्छी हुई है।
आर्थिक विशेषज्ञों को उम्मीद, सिलसिला आगे भी रहेगा जारी
इन सबके बीच एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अर्थव्यवस्था में जो स्थिति है या जुलाई के बाद जो स्थिति बेहतर होते हुए देखी है, उसका असर अब कमाई के रूप में दिखने लगा है। जनवरी में 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपए की कमाई थी जो एक नया रिकॉर्ड था, उसके बाद 1 लाख 42 हजार करोड़ रुपए की कमाई मार्च के महीने में हुई है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में जो बेहतरी है वो काफी दिख रही है और आर्थिक विशेषज्ञ भी उम्मीद कर रहे हैं कि यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
फर्जी बिल बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई से GST संग्रह बढ़ा
GSTR ग्रोथ के कारणों की बात करें तो वित्त मंत्रालय का इस पर कहना है कि आर्थिक पुनरुद्धार के साथ-साथ कर चोरी पर अंकुश लगाने के उपायों खासकर फर्जी बिल बनाने वालों के खिलाफ जो कार्रवाई की गई है, उससे जीएसटी संग्रह बढ़ा है। उधर, विशेषज्ञ इस पर बताते हैं कि फर्जी बिल एक बहुत बड़ी समस्या रही है। यदि पिछले दो-तीन साल के दरमियान देखें तो लगभग हर दिन एक न एक ऐसा मामला सामने आता था, जिसमें 100, 200 या 300 करोड़ रुपए की राशि शामिल होती थी लेकिन अब अगर आपने एक महीने का जिसमें अगर कहें कि आप फर्जी बिल जारी करते हैं और GSTR 3B फॉर्म आपने दाखिल नहीं किया तो अगले महीने वह दाखिल ही नहीं कर पाएंगे। यानि अब फर्जी बिल जारी करना मुनाफे का सौदा नहीं रहा। ऐसी सूरत में अनुपालन में बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर आपको टैक्स पर कमाई में दिख रहा है।
कारोबार ने कर से कमाई की बढ़ोतरी का खोला रास्ता
आर्थिक विश्लेषक यह भी बताते हैं कि यदि आप प्री-जीएसटी रिजीम में देखें तो लगभग 60 लाख लोग रजिस्टर्ड थे, जिसको हम सेंट्रल एक्साइज या बैड रिजीम कहते हैं। अगर हम जीएसटी रिजीम को देखें तो यह लगभग एक करोड़ तीस लाख है। यह संख्या दोगुनी हुई है। यानि अब कारोबारी वर्ग कर्ज चुकाकर कारोबार करना ज्यादा बेहतर समझता है, बजाय इसके कि कर की व्यवस्था में शामिल न होकर कारोबार करना। यह भी GST संग्रह में वृद्धि की एक बड़ी वजह है। कारोबार से जो सहायता और सुगमता आई है, उसने भी कर से कमाई की बढ़ोतरी का रास्ता खोला है
तमाम करो को हटाकर GST लागू करने से हुआ लाभ
आपको याद हो भारत में जब जीएसटी कॉन्सेप्ट शुरू हुआ था तब तमाम करों को हटाकर एक यूनिवर्सल कर जीएसटी रहेगा। देश की आर्थिक प्रगति की यदि बात करें तो इससे काफी बदलाव आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जीएसटी से पहले की बात करें और केंद्र और राज्य सरकार के लगभग 17 तरह के कर और 23 तरह के टेस्ट को जीएसटी में शामिल कर दिया गया है। ऐसे में एक कोराबारी के नजरिए से देखें तो पहले के समय में जितने तरह के कर होते थे, उतने ही तरह के फॉर्म भी भरने होते थे, लेकिन अब इन सबकी जगह पर अब सिर्फ एक फॉर्म ही भरना पड़ता है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि आपके लिए अनुपालन की लागत में कमी आएगी।
कारोबारी का मुनाफा बढ़ता है तो सरकार को होती है अतिरिक्त आमदनी
बताना चाहेंगे कि किसी भी कारोबार में छोटी-छोटी कमी बड़े बचत में आपकी मदद करती है। यानि इसका असर कारोबारी खर्चे में कमी के तौर पर देखने को मिल रही हैं। इसका असर यह भी होता है कि कारोबारी का मुनाफा बढ़ता है तो वह आयकर के रूप में सरकार को अतिरिक्त आमदनी देता है।
कारोबार और व्यक्ति दोनों स्तर पर कर को समझने में मिली मदद
वहीं दूसरी तरफ आम व्यक्ति के नजरिए से देखें तो एक रेस्तरां में जब बिल आता है जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा होगा यदि वह जीएसटी पे कर रहा है कि ढाई प्रतिशत आपका CGST और ढाई प्रतिशत आपका SGST है। ऐसे में एक आम व्यक्ति के लिए भी यह समझना आसान हो गया है कि कितना कर किसी भी वस्तु या सेवा के लिए चुका रहा है। अर्थव्यवस्था में कारोबार और व्यक्ति दोनों ही स्तर पर कर को समझने और कर के अनुपालन में मदद मिली है।
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि जब किसी चीज में कीर्तिमान बनता है और मन-माफिक परिणाम सामने आते हैं। अब भी व्यवहारिक या जमीनी स्तर पर हम बात करें तो केंद्र सरकार को और जीएसटी परिषद को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके लिए केंद्र सरकार ने समाधान के लिए कई कदम भी उठाए हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो इस समय यह है कि कर की कितनी दरें हैं। आर्थिक विश्लेषक इस पर बताते हैं कि अगर आप कर की दरें देखें तो .25, एक प्रतिशत, पांच प्रतिशत, 12, 18 और 28 प्रतिशत है। 28 प्रतिशत के सामान पर आपको 25 प्रतिशत की दर तक सेफ भी लगता है। दरअसल, एक समय आ गया है जब आपकी कर से कमाई बढ़ने लगी है तो ऐसे में आप इन कर के फ्लैप को दर में बदलाव कर सकते हैं। आर्थिक विश्लेषक बताते हैं कि इसका एक फायदा यह होगा कि कारोबारियों के लिए कारोबार करना और आसान होगा और अनुपालन में और ज्यादा आसानी होगी। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए चूंकि एक मंत्रियों का एक समूह इस विषय पर विचार भी कर रहा है तो अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर चर्चा भी की जाएगी।
राज्यों की और से बार-बार यह मुद्दा उठाया जा रहा है कि कोविड के कारण उनकी कमाई पर असर पड़ा है तो क्या मुआवजे की रकम को जून 2022 के आगे जारी रखी जाए यह केंद्र के लिए भी एक बड़ी चुनौती है कि इस व्यवस्था को आगे कैसे लागू रख सकती है। विशेषज्ञों को उम्मीद है की इसका भी कोई न कोई समाधान निकल आएगा।
अनुपालन में हमेशा सुधार की आवश्यकता
अनुपालन में हमेशा सुधार की आवश्यकता रहती है, ऐसे में फॉर्म भरने से लेकर, फॉर्म को और अधिक सरल बनाने को लेकर प्रयास चल रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि छोटे व्यापारियों के लिए कुछ न कुछ बड़े कदम जरूर उठाए जाएंगे जिससे कि वे इस व्यवस्था में खुलकर भागीदारी कर सकें।
जीएसटी ट्रिब्यूनल को लेकर एडवांस रूलिंग का मसला
विशेषज्ञ बताते हैं कि जीएसटी ट्रिब्यूनल को लेकर एक मुद्दा आया है एडवांस रूलिंग (एआर) को लेकर। इसमें परेशानी यह आती है कि अलग-अलग राज्य की एआर एक ही विषय पर अलग-अलग रूलिंग देती है। हालांकि एआर उस व्यक्ति या उस कर अधिकारी के लिए है जो इस मामले से जुड़ा हुआ है, लेकिन बाकी दूसरे मामलों में इसका एक रेफरेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इससे एक भ्रम की स्थिति बनती है कि आपको कहां कर देना है और किस दर पर कर देना है। एक राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह की व्यवस्था बनाए जाने की बात की जा रही है जहां पर विवाद हो तो एक निश्चित व्यवस्था हम लागू कर सकें। यह विषय कुछ समय से लंबित है और उम्मीद की जानी चाहिए कि अगल कुछ समय में इस पर कोई न कोई ठोस कदम जरूर उठाया जाएगा।
अब जब पूरे देश और दुनिया में कोरोना महामारी अपने ढलान पर है, ऐसे में अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही है। भारत में भी हमने प्रगति के संकेत देखें हैं। अब अगर अर्थव्यवस्था पूरी तेज रफ्तार पकड़ती है तो इसका एक बड़ा योगदान जीएसटी का भी होगा। जब आप कर व्यव्यवस्था को सहज बनाते हैं तो कारोबारी उसका अनुपालन शुरू करते हैं और व्यवस्था का औपचारीकरण शुरू हो जाता है। व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां कर व्यवस्था में शामिल हो जाती हैं। इससे सरकार की कमाई बढ़ती है।