सपने कैसे सच हो सकते हैं, ये देखना हो तो आज इसका एक उत्तम उदाहरण भारतीय रेलवे बन रही है। 6-7 साल पहले तक, जिसका भी पाला भारतीय रेलवे से पड़ता था, तो वो भारतीय रेलवे को ही कोसते हुए ज्यादा नजर आता था। लेकिन आज भारत कैसे बदल रहा है? दरअसल, जब देश अपने संकल्पों की पूर्ति के लिए ईमानदारी से जुटता है, तो सुधार आता है, परिवर्तन होता है, यह हम पिछले कई वर्षों से लगातार देखते आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव भारतीय रेलवे में देखने को मिल रहा है।
भारतीय रेलवे की जी तोड़ मेहनत आखिरकार रंग लाई
केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे की जी तोड़ मेहनत आखिरकार रंग लाने लगी है। जी हां, भारतीय रेल अब तक कई बड़े परिवर्तन कर चुकी है। ‘मिशन कर्मयोगी’ भी इन्हीं में से एक है। इस मिशन के तहत भारतीय रेल फिलहाल अपने फ्रंटलाइन वर्कर्स को अपग्रेड करने का कार्य कर रही है।
लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी भारतीय रेल
इससे लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी भारतीय रेल से सफर करना और भी सुविधाजनक हो जाएगा। रेल यात्रा को यात्रियों की सुविधाओं के अनुकूल बनाने के लिए केंद्र की इस कारगर पहल के तहत रेलवे के फ्रंटलाइन स्टाफ के करीब एक लाख कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आजादी के इतने दशकों बाद पहली बार भारतीय रेल के इस सामर्थ्य को इतने बड़े स्तर पर एक्सप्लोर किया जा रहा है।
आज नई-नई परियोजनाओं की योजना बनाने में तत्परता दिखा रही रेलवे
भारतीय रेलवे आज नई परियोजनाओं की योजना बनाने में तत्परता दिखा रही है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह उन्हें समय पर पूरा भी कर रही है। भारतीय रेल सिर्फ दूरियों को कनेक्ट करने का माध्यम ही नहीं रह गई है, बल्कि ये देश की संस्कृति, देश के पर्यटन और तीर्थाटन को कनेक्ट करने का भी अहम माध्यम बन गई है। इसलिए हर साल यहां आने वाले लाखों यात्रियों की सुविधाओं के लिए भारतीय रेलवे के फ्रंटलाइन वर्कर्स को अपग्रेड किया जाना भी जरूरी समझा गया है।
रेलवे के इन कर्मचारियों को किया जाएगा अपग्रेड
भारतीय रेलवे अपने फ्रंटलाइन स्टाफ को नागरिक केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से अपग्रेड और प्रशिक्षित कर रही है। इसके लिए एक संयुक्त सचिव स्तर की समिति का भी गठन किया गया है। प्रशिक्षण के द्वारा रेलवे आम नागरिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों के प्रति अपनी जवाबदेही सुनिश्चित कर रही है और इसे यात्रियों के लिए और भी अनुकूल बना रही है। फ्रंटलाइन स्टाफ के प्रशिक्षण में रेलवे के 1 लाख कर्मचारी शामिल होंगे जिनमें ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर्स, स्टेशन मास्टर्स, बुकिंग क्लर्क, पार्सल क्लर्क और गुड्स क्लर्क होंगे। इन कर्मचारियों के प्रशिक्षण की ट्रेनिंग एक हजार मास्टर प्रशिक्षुओं के द्वारा होगी।
परियोजना की होगी मॉनिटरिंग
केवल इतना ही नहीं इस परियोजना की मॉनिटरिंग के लिए रेल कर्मयोगी वेबसाइट की स्थापना भी की गई है। मिशन कर्मयोगी रेल से यात्रा करने वाले करीब 2.2 करोड़ यात्रियों के रेलवे के प्रति विश्वास को पुख्ता कर उनकी संतुष्टि को बढ़ाएगा। पहले रेलवे को टूरिज्म के लिए अगर उपयोग किया भी गया था, तो उसको एक प्रीमियम क्लब तक ही सीमित रखा गया। लेकिन अब केंद्र सरकार के इन्हीं प्रयासों से पहली बार आम लोगों को उचित राशि पर पर्यटन और तीर्थाटन का भी दिव्य अनुभव दिया जा रहा है। ऐसे तमाम अभिनव प्रयास भारतीय रेलवे द्वारा किए जा रहे हैं जो लोगों में रेलवे से यात्रा करने वालों में रुचि बढ़ा रहा है।
क्या है मिशन कर्मयोगी ?
नागरिकों की बदलती जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है। कार्यक्रम को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सिविल सेवाओं को बेहतर करने और उन्हें और अधिक बढ़ाने के लिहाज से इस मिशन को डिजाइन किया गया है, जो पीएम मोदी की अध्यक्षता में एक शीर्ष निकाय द्वारा संचालित है।
ये मिशन उपयुक्त सरकारी कार्यबल को एक योग्यता संचालित क्षमता निर्माण दृष्टिकोण की आवश्यकतानुसार उन्हें अपनी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महत्वपूर्ण दक्षताओं को प्रदान करने पर केंद्रित होगा। यह सिविल सेवाओं के लिए एक सक्षम ढांचे के रूप में तैयार किया गया है जो पूरी तरह से स्वदेशी है।
iGOT कर्मयोगी प्लेटफार्म क्या है?
iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल लर्निंग सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। iGOT कर्मयोगी के माध्यम से कर्मचारियों का क्षमता निर्माण ई लर्निंग कांटेक्ट के माध्यम से किया जाएगा। इसी के साथ उन्हें कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी। जैसे कि परिवीक्षा अवधि के बाद की पुष्टि, तैनाती, कार्य निर्धारण, रिक्तियों की अधिसूचना आदि।