नव भारत की 75वीं वर्षगांठ का यह अमृत महोत्सव स्वयं में तमाम उद्देश्यों के साथ स्कूली और क्षेत्र शिक्षा के समायोजन का उद्देश्य भी लिए हुए है। शिक्षा आज की मूलभूत आवश्यकता बन गई है और शिक्षा प्रणाली इसे पूरी तरह प्रभावित करती है।शिक्षा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ही कुछ मानकों और उद्देश्यों का समावेश किया जा रहा है , जो इस प्रकार है…
स्कूली या प्रारंभिक शिक्षा
वर्तमान स्थिति में प्रारंभिक स्तर पर नामांकन अनुपात लगभग 100% है। साथ ही माध्यमिक शिक्षा सकल नामांकन अनुपात में भी वृद्धि हुई है।अनुमान है कि प्रारंभिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में राष्ट्रीय उपस्थिति क्रमशः 71.4 और 73.2% है और इसमें राज्यों के बीच का अंतर भी काफी है।
स्कूली शिक्षा प्रणाली में नामांकित लोगों के शिक्षण परिणामों में सुधार की आवश्यकता है।एनसीईआरटी द्वारा किए गए एन ए एस रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेड V के 60% से भी ज्यादा बच्चों ने 50% अंक भी प्राप्त नहीं किए हैं।
माध्यमिक शिक्षा-निर्धारित उद्देश्य
- प्राथमिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा स्तर पर 100 फ़ीसदी नामांकन और प्रतिधारण दसवीं कक्षा तक ड्रॉपआउट समाप्त करना।
- अधिकतम सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करने के लिए स्कूली शिक्षा में उपस्थिति, प्रतिधारिता और कई वर्षों की स्कूली शिक्षा की दृष्टि से समाज की समान भागीदारी।
- प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए शिक्षण परिणामों में सुधार करना।
- रोजगार में सुधार के लिए उच्चतर स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा के लिए एक वास्तविक और व्यवहार या वैकल्पिक मार्ग।
- बाल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए स्कूल पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में बच्चों के लिए समर्थन।
उच्चतर शिक्षा
वर्तमान में विश्वविद्यालय स्तर के भारत में 864 संस्थान 40022 कॉलेज और 11669 स्टैंडिंग संस्थान हैं, जिनमें पिछले 5 सालों में वृद्धि हुई है।
हम 33% के वैश्विक औसत और तुलनीय अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील (46%), रूस (78%) और चीन (30%) से पीछे हैं | कोरिया में तो जीईआर (उच्चतर शिक्षा) में 93% से भी ज्यादा है।
साथ ही, उच्चतर शिक्षा में क्षेत्रीय और समाजिक विषमताएं भी देखी जा सकती हैं।भारत में उच्चतर शिक्षा में सबसे बड़ी चुनौती में एक शिक्षा की गुणवत्ता है।देखा जाए तो शिक्षण संस्थानों की विश्व रैंकिंग में टॉप 200 में कुछ ही भारतीय संस्थान हैं।उच्च शिक्षा सुधार हेतु सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय उत्थान अभियान, राष्ट्रीय आंकलन और प्रत्ययन सुधार, विश्वविद्यालयों और स्वायत्त विद्यालयों को ग्रेट स्वायत्तता के लिए विनियम जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।स्कूली शिक्षा के समान ही कुछ उद्देश्यों को उच्चतर शिक्षा भी लक्ष्य करती है, जो इस प्रकार है
1.उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 25% से बढ़ाकर 33% करना।
2.उच्चतर शिक्षा को सबसे कमजोर समूहों के लिए अधिक समावेशी बनाना।
3.मान्यता को एक अनिवार्य गुणवत्ता आश्वासन फ्रेमवर्क के रूप में अपनाना और कई उच्च प्रतिष्ठित मान्यता एजेंसियां तैयार करना।
4.अनुसंधान और नवप्रवर्तन की भावना बढ़ाने के लिए सक्षम परितंत्र बनाना।
5.उच्चतर शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों की नियोजन में वृद्धि।