राज्यपाल ने “स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में वैश्विक रुझान” विषय पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ किया

UTTARAKHAND NEWS

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वीर माधो सिंह भण्डारी, उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में “स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में वैश्विक रुझान” विषय पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ किया। इस दौरान राज्यपाल ने संगोष्ठी की स्मारिका का भी विमोचन किया। ग्लोबल इंस्टिटयूट ऑफ फॉर्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च काशीपुर, ग्लोबल हेल्थ टैक्नोमैनेजमेंट फोरम और उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ और शोधकर्ता प्रतिभाग कर रहे हैं, जो इन तीन दिनों में अपने अनुभवों और विचारों को साझा करेंगे।

संगोष्ठी के शुभारंभ के अवसर पर राज्यपाल ने विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए इस संगोष्ठी के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जीवन की महत्वपूर्ण आधारशिला होती है और स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। राज्यपाल ने कहा कि कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद सजग रहने की जरूरत है।

राज्यपाल ने कहा कि आने वाले समय में स्वास्थ्य से संबंधित नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा इसके लिए नित नए शोध एवं अनुसंधान पर फोकस किए जाने के जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि हमें आपसी समन्वय और सहयोग से स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान खोजने होंगे। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में नवीन तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे संसाधनों के प्रयोग पर जोर दिया।

राज्यपाल ने कहा कि कोविड महामारी ने हमें जागृत किया है कि स्वास्थ्य, तकनीकों तथा उनके प्रबंधन के बहुआयामी विकास को बहुत तेज़ रफ्तार की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षण संस्थान, अनुसंधानकर्ता, औद्योगिक इकाईयां, संबंधित अशासकीय और शासकीय संस्थाएं एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करें। इससे, मार्ग में आने वाली हर तरह की समस्या का अतिशीघ्र समाधान होगा, जो न केवल उत्तराखण्ड या भारत के उत्थान में सहायक होगा अपितु संपूर्ण मानव जाति रोग-मुक्त होकर और बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकेगी। उन्होंने आपसी समन्वय और सहयोग से स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान खोजने पर बल दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि इस संगोष्ठी के माध्यम से तीन दिनों में जो चिंतन और मंथन होगा उसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे।

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