विचार-विमर्श “वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत का विकास और दृढ़ता” विषय पर आधारित था। अपनी टिप्पणी में, प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां जोखिम थे, वहीं उभरता हुआ वैश्विक वातावरण डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और विविध अवसर प्रदान करता है। इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल का लाभ उठाने और लीक से हटकर सोचने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने भारत डिजिटल की सफलता की गाथा और देश भर में फिनटेक को तेजी से अपनाने, और समावेशी विकास और इसके दृढ़ संकल्प की क्षमता की सराहना की। उन्होंने नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित किया और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को और सक्षम बनाने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष में, प्रधानमंत्री ने कार्बन न्यूट्रल, प्राकृतिक खेती के अनुकूल और पोषण के किफायती स्रोत जैसी विशेषताओं के साथ ग्रामीण और कृषि क्षेत्र को बदलने की उनकी क्षमता को देखते हुए मोटे अनाज को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
बैठक में प्रतिभागियों ने उन तरीकों पर व्यावहारिक उपायों की पेशकश की, जिनसे भारत अपने विकास की गति को विवेकपूर्ण ढंग से बनाए रख सकता है। कृषि से लेकर विनिर्माण तक विविध विषयों पर प्रधानमंत्री के साथ विचार और सुझाव साझा किए गए। यह स्वीकार करते हुए कि अंतर्निहित वैश्विक प्रतिकूलताएं जारी रहने की संभावना है, भारत की दृढ़ता को और मजबूत करने के लिए रणनीतिक सिफारिशें भी साझा की गईं। इस बात पर सहमति कायम हुई कि अपने लचीलेपन के कारण, भारत अशांत वैश्विक मंच पर एक उज्ज्वल स्थान बनाकर उभरा है। यह सुझाव दिया गया था कि सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के माध्यम से इस नींव पर नए सिरे से विकास पर जोर देने की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों को उनके विचारों के लिए धन्यवाद दिया और उन्हें अपने परिवर्तनकारी विचारों को लगातार साझा करके राष्ट्र के विकास में सहायता करने के लिए प्रेरित किया।