डिस्कवर एंड मेक इन इंडिया: अब भारत का मेडिकल साइंस भी हो रहा ‘टेक्नोलॉजी ड्रिवन’

National News

यह एक दम सही समय है जब भारत अपने स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सा उपकरणों सहित अनुसंधान, उद्यमिता और नई पहलों के जरिए अपनी ताकत और क्षमता में इजाफा करे। दरअसल, भविष्य का कोई अंदाजा नहीं कि देश को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़े। दो साल पहले भी पूरी दुनिया ने कोविड संकट की जबरदस्त मार झेली थी और अब एक बार फिर वैज्ञानिक व अनुसंधानकर्ता अनुमान लगा रहे हैं कि फिर से कोरोना का चौथा वेरिएंट आ सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र में जितनी बेहतर तैयारियां होंगी उतनी ही मजबूत से लड़ाई लड़ी जा सकेगी। आइए जानते हैं कि भारत इस दिशा में क्या तैयारी कर रहा है…

भारत में मेडिकल उपकरणों का निर्माण

भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र को सर्वांगीण और समावेशी बनाने के प्रयासों में लगातार तेजी बनी हुई है। बीते कुछ साल में हुए इन बदलावों के बीच आज भारत का मेडिकल साइंस ‘टेक्नोलॉजी ड्रिवन’ होता नजर आ रहा है।

जिसके चलते यह और ज्यादा जरूरी हो गया है कि हमें इस बात पर भी ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना होगा कि देश में मेडिकल उपकरणों का निर्माण तेज गति से हो। और यह सब भारत की जरूरत को ध्यान में रखकर ही हो। चूंकि भारत जनसंख्या के लिहाज से बहुत बड़ा देश हैं ऐसे में यहां मेडिकल उपकरणों की जरूरत भी कहीं ज्यादा होगी। ऐसे में व्यापक स्तर पर ही मेडिकल उपकरणों का निर्माण किया जाना सही होगा।

ICMR/DHR पॉलिसी बनेगी गेम चेंजर

याद हो, बीते महीने ”24 फरवरी 2022” को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने मेडिकल, डेंटल, पैरा-मेडिकल संस्थानों व कॉलेजों में मेडिकल पेशेवरों, वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए बायोमेडिकल इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप पर ICMR/DHR पॉलिसी लॉन्च की।

यह नीति मेक-इन इंडिया, स्टार्ट-अप-इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा देकर देशभर के चिकित्सा संस्थानों में बहु-विषयक सहयोग सुनिश्चित करेगी। साथ ही साथ यह स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देगी और एक नवाचार आधारित ‘इको-सिस्टम’ विकसित करेगी।

केवल इतना ही नहीं यह नीति अंतःविषय सहयोग, नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास, कौशल विकास और सामाजिक लाभ के लिए उद्यमिता विकास और मेक-इन-इंडिया उत्पाद विकास को बढ़ावा देगी।

इनोवेशन की अपार संभावनाएं

मेडिकल साइंस के क्षेत्र में दवा से लेकर इलाज में काम आने वाले इक्विपमेंट तक में इनोवेशन की अपार संभावनाएं नजर आती है। हाल ही में हमें देखने को मिला कि किस तरह से देश में कोरोना संकट के दौरान वैज्ञानिकों ने वैक्सीन का निर्माण किया और कैसे कई सारे मेडिकल इक्विमेंट से लेकर अन्य मेडिकल सामग्री तक का निर्माण शुरू किया गया। इन तमाम क्षेत्रों में इनोवेशन की अपार संभावनाएं हैं।

कोविड के समय मेडिकल उपकरण निर्माण क्षेत्र में आई तेजी

यह सत्य है कि कोविड-19 महामारी ने न सिर्फ देश के समक्ष चुनौतियां पेश कीं बल्कि भारत को विकास के अनंत अवसर भी मुहैया कराए। इन सभी तथ्‍यों ने मिलकर भारत के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल उद्योग को निवेश के लिए उचित स्‍थान बना दिया। आज इस क्षेत्र में भी नए-नए स्टार्टअप आ गए हैं जो देश में मेडिकल साइंस को एक ‘न्यू डायमेंशन’ प्रदान कर रहे हैं।

आज देश में वेंटिलेटर, ऑक्सीमीटर, मास्क, पीपीई किट, पल्स मीटर व सर्जरी से जुड़ी अन्य मेडिकल सामग्री और आणविक निदान, जैव रसायन, मधुमेह जैसे रोगों के काम में आने वाले चिकित्सा उपकरणों के निर्माण हो रहे हैं। वाकयी कोविड महामारी के बाद भारत ने अपने ”हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर” में काफी सुधार कर लिया है। पहले ज्यादातर मेडिकल उपकरण बाहर से आयात किए जाते थे जिनके कारण देश इलाज मंहगा हो जाता था। अब जब देश में तमाम मेडिकल इक्विपमेंट और दवाएं बनाई जा रही हैं, ऐसे में इलाज भी सस्ता हो गया है।

इन कारणों से आज देश के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान है। ज्ञात हो इस क्षेत्र में बीते वर्ष यानि 2021-22 के बजट के दौरान करीब 137 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। इस बार भी केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण 3 क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया हैः रोकथाम, उपचार और देखभाल। इसी के तरत सरकार आगे बढ़ रही है।

भारत ‘विश्व की फार्मेसी’

बीते कुछ साल में, भारतीय स्वास्थ्य-देखभाल क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक भरोसे से भारत को “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में एक अलग ही पहचान मिली। भारत ने कोविड संकट में पूरी मानव जाति की भलाई की चिंता की और विभिन्न देशों में रहने वालें लोगों की मदद की।” कोविड संकट में यह सीखने को मिला की अच्छे स्वास्थ्य की हमारी परिभाषा केवल हमारी भौतिक सीमाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि संपूर्ण मानव जाति की खुशहाली में हैं
इस चलते भारत ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पूरी दुनिया को अपनी इस उत्‍कृष्‍ट भावना से भलीभांति परिचित कराया। भारत ने महामारी की पहली लहर के दौरान 150 से भी अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाएं और चिकित्सा उपकरण निर्यात किए। इसके साथ ही बीते साल लगभग 100 देशों को कोविड के टीकों की 65 मिलियन से भी अधिक खुराक का निर्यात किया।

भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक

भारत का स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल उद्योग 2016 से 22% की वार्षिक चक्रवृद्धि प्रगति दर से बढ़ रहा है। स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र राजस्‍व और रोजगार के संदर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक हो गया है।

भारत में वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का एक बड़ा समूह

भारत में वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का एक बड़ा समूह रहता है, जो उद्योग को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है, इस ताकत को “डिस्कवर एंड मेक इन इंडिया” के लिए उपयोग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा हमें वैक्सीन और दवाओं के लिए आवश्यक, प्रमुख सामग्री के घरेलू निर्माण में तेजी लाने के बारे में सोचना चाहिए। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें भारत को सफलता प्राप्त करनी है।

आत्मनिर्भर भारत के 6 प्रमुख स्तंभों में स्वास्थ्य और देखभाल प्रमुख स्तंभ

केंद्र सरकार के प्रयासों से अब साइंस एंड टेक्नोलॉजी आइसोलेटेड सेक्टर नहीं रहा है। इकोनॉमी के क्षेत्र में इसका रोल और अधिक बढ़ गया है। दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कर सरकार देश की वेल्थ में सुधार कर रही है जिसके परिणाम आगे चलकर देश के आर्थिक विकास में देखने को मिलेंगे। इसलिए आत्मनिर्भर भारत के 6 प्रमुख स्तंभों में अब स्वास्थ्य और देखभाल प्रमुख स्तंभ बन गया है।

केंद्र सरकार का विजन डिजिटल इकोनॉमी

केंद्र सरकार का विजन डिजिटल इकोनॉमी और फिनटेक जैसे आधार से जुड़ा है। इंफ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में देश का डेवलपमेंट विजन एडवांस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। हमारे लिए तकनीक देश के सामान्य से सामान्य नागरिक को सशक्त करने का माध्यम है। यह देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रमुख आधार है। इसलिए आज मेडिकल साइंस भी करीब-करीब ‘टेक्नोलॉजी ड्रिवन’ हो गया है।

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की ओर मिल कर देना होगा ध्यान

भारत के मेडिकल साइंस में आने वाले वक्त में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की ओर मिल कर ध्यान देना होगा। यह केवल मेडिकल क्षेत्र से जुड़े इक्विपमेंट निर्माण तक ही सीमित नहीं है बल्कि इससे कहीं अधिक है। देश में हर व्यक्ति तक इलाज की बेहतर सुविधा मुहैया कराना केंद्र सरकार का लक्ष्य है जो कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के माध्यम से पूरा होगा। इसके तहत दूर गांवों में भी लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य परामर्श और देखरेख सेवा राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तहत पहुंचाई जा सकेगी। इस दिशा में कार्य जारी है। यानि अब गांव के लोगों को इलाज के शहरों में नहीं भटकना पड़ेगा। इस प्रकार प्रत्येक स्तर पर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हर जरूरतमंद को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।

भारत के पास तेजी से आगे बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम

वहीं आज भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा और तेजी से आगे बढ़ता स्टार्टअप इकोसिस्टम भी है। देश के तमाम स्टार्टअप्स के साथ केंद्र सरकार पूरी शक्ति के साथ खड़ी है। स्टार्टअप्स को सशक्त बनाने के लिए बजट में युवाओं की स्किलिंग, रि-स्किलिंग और अप-स्किलिंग के लिए पोर्टल का प्रावधान भी रखा गया है।

‘टेक्नोलॉजी ड्रिवन’ मेडिकल साइंस में इन पर मुख्य फोकस: 

◆राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए खुला मंच शुरू किया जाना
◆गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखरेख सेवाओं के लिए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाना
◆23 टेली मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया जाना जिसका नोडल सेंटर निम्हांस (एनआईएमएचएएनएस) होगा और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलुरू (आईआईआईटीबी) इसे प्रौद्योगिकी सहायता देगा।
◆सक्षम आंगनबाड़ी
◆ मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 के जरिए महिलाओं और बच्चों को एकीकृत लाभ प्रदान किए जाएंगे।
◆दो लाख आंगनवाड़ियों को सक्षम आंगनवाड़ियों में उन्‍नयन

Leave a Reply

Your email address will not be published.