एक नजर विद्यार्थियों के धामी सर यानी भगवान सिंह धामी की जन्म एवं कर्म यात्रा
भारत नेपाल सीमा विवाद के बाद वैश्विक पटल पर नये सिरे से पहचान बनाता उत्तराखण्ड का सीमांत जनपद पिथौरागढ़ का धारचुला , लेकिन हम भारत नेपाल सीमा विवाद पर बात करते रहते है आगे करते रहेंगे आज चर्चा धारचुला के भगवान यानी भगवान सिंह धामी के बारे में पढ़िए विशेष आर्टिकल वेब न्यूज उत्तराखण्ड टीम का भगवान सिंह धामी से संवाद पर आधारित
जाने भगवान सिंह धामी की अब तक की जीवन यात्रा
भगवान सिंह धामी सीमांत जिले पिथौरगढ़ के धारचूला में स्थित स्यांकुरी गांव है । इनका जन्म में किसान परिवार से हैं। पिता दलीप सिंह धामी ने गांव में ही खेती बाड़ी कर पांच बच्चों का लालन-पालन किया। भगवान सिंह के बड़े भाई पान सिंह धामी अपने गांव से बीएड करने वाले पहले व्यक्ति हैं। बड़े भाई से प्रेरित होकर बचपन से ही पढ़ना उनका शौक बन गया था। जब भी समय मिलता वह स्कूली पढ़ाई के साथ साथ अन्य जानकारी की किताबें और पत्रिकाएं पढ़ते रहते । उनकी प्रतिभा को देखकर परिजनों को विश्वास था कि भगवान सिंह भविष्य में बड़ा नाम करेंगे , लेकिन पहाड़ी परिवेश में आर्थिक के ज्यादा संशाधन के अभाव के चलते उनकी राह आसान नहीं थी। लेकिन बड़ी बहन जानकी और जीजा वीर सिंह ने 10वीं के बाद उनकी पढ़ाई का जिम्मा ले लिया जिससे भगवान सिंह धामी राह बनी और स्वयं भी सफलता का मुकाम हासिल किया ,वर्तमान में उत्तराखंड सचिवालय में सरकारी सेवा में कार्यरत है
एक ऐसे जोशीले युवा भगवान सिंह जो स्वयं विषम परिस्थितियों सफलता की सीधी चढ़े और अब ठान लिया उत्तराखण्ड का हर वो जिज्ञासु जिसने खुली आँखों से उड़ने के सपने देखे हो उसे महंगी होती कोंचिंग से परेशान होने की जरूरत नही क्योंकि धारचुला का भगवान अब आपके लिए देहरादून में है, फ्री कोचिंग, सोशल मीडिया में FB पेज के माध्य्म से , वाट्सअप के माध्यम से, किताबों के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी सेवा दे रहे है,आगे इस बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी ।
2015 से निःशुल्क कोचिंग
भगवान सिंह धामी ने अप्रैल 2015 में हाईकोर्ट क्लेरिकल की परीक्षा पास की। उन्होंने पहले ही ठान लिया कि समय निकालकर वह आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को निशुल्क कोचिंग देंगे। उन्होंने क्लेरिकल की नौकरी छोड़ कर अपने आस-पास के पांच छात्रों की संपूर्ण जिम्मेदारी लेकर उन्हें कोचिंग देने लगे। जुलाई 2015 में ही उन्होंने एक बार फिर ग्रुप सी की परीक्षा पास की। लेकिन उन्हें लगा कि साथ रहने वाले छात्रों को आगे और ज्यादा तैयारी करने थी इसलिए ये नौकरी भी ठुकरा दी। सेवा भाव का यह क्रम निरंतर जारी है धामी बताते है अब यह जीवन का हिस्सा बन गया है जितने ज्यादा बच्चों की मदद हो जाये उतना अधिक संतोष होता है ।
बच्चों को पढ़ाते हुए भगवान सिंह धामी |
उत्तराखंड ज्ञानकोष जनपद दर्पण से कर रहे है विद्यार्थियों की सहायता
उत्तराखंड ज्ञानकोष जनपद दर्पण का पहला भाग 2019 में प्रकाशित हुआ । जिसकी कॉपियां लोगों ने हाथों-हाथ ले ली। इसके बाद 2020 में भगवान सिंह ने उत्तराखंड ज्ञानकोष जनपद दर्पण काभाग दो निकाला।
तैयारी में जुटे विद्यार्थियों को उत्तराखंड से सम्बन्धित जानकारी जुटाने में लोगों को बहुत मुश्किलें होती हैं। क्योंकि ज्यादातर लोग गूगल की मदद लेते हैं फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं लग पाता। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने जिल्लेवार प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालों की विस्तृत जानकारियां जुटाई। इस जानकारी को पुस्तक का रूप दिया जो कम समय मे विद्यार्थियों की फेवरेट पुस्तक बन गयी इस प्रकार भगवान सिंह धामी जिन विद्यार्थियों को जानते भी नही है उनके चाहिते धामी सर बन गए ।
उत्तराखण्ड ज्ञानकोष जनपद दर्पण किताब का कवर पेज |
फेसबुक पेज से जिग्यासू छात्रों के मोबाइल में भगवान की एंट्री
विद्यार्थियों के सवाल जबाब और लेटेस्ट व महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने के लिये भगवान सिंह धामी ने 2019 में उत्तराखंड जनकोष नाम से फेसबुक पेज बनाया । जिसमें वर्तमान समय मे लगभग 8 हजार से ज्यादा लोग जुड़े है । पेज की अधिकतम पहुंच की बात करे तो 1 लाख से अधिक प्रति पोस्ट है । जो आज के डिजिटल समय मे पेज की लोकप्रियता या यूं कहें जिग्यासू विद्यार्थियों में धामी सर की लोकप्रियता दर्शाता है ।
फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए क्लिक करें-
उत्तराखण्ड ज्ञानकोष General Study
वाट्सअप नम्बर से धामी सर तक विद्यार्थियों की पहुंच हुई आसान
फ्री कोचिंग, किताब, Facebook पेज के साथ साथ तुंरत समाधान या नयी जानकारी के लिए इन्होंने अपना पर्सनल वाट्सअप नम्बर सार्वजनिक कर दिया है । इस नम्बर से विद्यार्थियों एवं उत्तराखण्ड से संबंधित जानकारी के जिग्यासु लोगों की समस्या चुटकी से हल हो जाती है साथ ही नये अपडेट भी प्राप्त होते है । अति आवश्यक होने पर फोन करके भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।