गुरुवार सुबह भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए होंगें बंद

UTTARAKHAND NEWS

केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। गुरुवार सुबह विधि-विधान के साथ कपाट बंद होने के बाद साढ़े आठ बजे सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ बाबा की पंचमुखी विग्रह मूर्ति विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। अगले छह माह भोले बाबा के दर्शन यहीं होंगे।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। कपाट बंद होने से पहले बुधवार को बाबा केदार के दर्शनों को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बुधवार को बाबा केदार की भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया गया। इसके उपरांत विधि विधान से बाबा की डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया है। जहां तीर्थ पुरोहित समाज विधि-विधान से कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। वहीं मंदिर परिसर में श्रद्धालु अपने अंदाज में बाबा की विदाई की तैयारियां कर रहे हैं। बुधवार को श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के जयकारे लगाने के साथ ही पारंपरिक गीत एवं भजन गाते हुए झुमेलों करते हुए नजर आए।

केदारनाथ धाम के पुजारी हिरिमठ ने बताया कि गुरुवार सुबह परंपरा के अनुसार सुबह चार बजे बाबा केदारनाथ को भस्म, फल, घी और अन्न से अभिषेक करने के बाद भगवान छह महीने के लिए समाधि में चले जाएंगे। सुबह 8:30 बजे मंदिर से प्रस्थान के बाद यात्रा मार्ग से होते हुए बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर में रात्रि प्रवास करेगी। शुक्रवार 28 अक्टूबर को डोली फाटा से होते हुए रात्री विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुँचेगी। वहीं शनिवार 29 अक्टूबर को गुप्तकाशी से प्रस्थान कर सुबह करीब 11 बजे श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुँचेगी।

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने संबधित अधिकारियों एवं पुलिस प्रशासन को बाबा केदारनाथ धाम की सभी परंपराओं एवं विधाओं
को ध्यान में रखते हुए कपाट बंद प्रक्रिया में व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सुलभ इंटरनेशनल एवं नगर पंचायत केदारनाथ को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बाबा केदारनाथ से जनपद वासियों की मंगलकामना करते हुए सभी के स्वास्थ्य की कामना की।

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