मंजिलें एक पर राह जुदा हो गयी थी, पुलिस मिल गयी थी राह में फिर से मंजिल एक कर दी

UTTARAKHAND NEWS

जनपद में प्रचलित केदारनाथ धाम यात्रा पर आये अधिकांश श्रद्धालुओं के समूह के साथ यह शीर्षक सटीक बैठ रहा है। इसके सार्थक सिद्ध होने के कई कारण भी हैं, पहला कारण केदारनाथ धाम तक पहुंचने का पैदल मार्ग तकरीबन 16 से 17 कि0मी0, ऊपर से ठीक ठाक चढ़ाई व कठिन डगर, कई बार आने वाले श्रद्धालुओं के जाने का अलग-अलग माध्यम, जैसे कि कुछ पैदल, कुछ घोड़े से, कुछ कण्डी या पालकी से। ऐसे में निश्चित है कि सबकी चाल तो समान नहीं हो सकती। यही हाल वापसी के समय भी समझ लीजिये।
ऐसा ही वाकया हुआ महाराष्ट्र से आये दम्पत्ति का। बाबा केदार के सकुशल दर्शन कर महाशय चल पड़े पैदल और श्रीमती जी चली घोड़े से। एक कि0मी0 भी नहीं चले होंगे। हो गये आगे-पीछे।
पतिदेव फोन मिलायें तो पत्नी जी कैसे रिसीव करेंगी।
एक तो घोड़े की सवारी दूसरा रास्ते का ढलान।
ऐसे में फोन कॉल करके बैट्री ही खत्म करनी थी। इन्होंने किया भी यही। इतने कॉल कर डाले कि स्वयं के फोन को तो डैड कर ही दिया। शायद श्रीमती जी के फोन का भी यही हाल रहा होगा। पूरे रास्ते भर श्रीमती जी की फिक्र करते हुए उस जगह तक पहुंच गये जहां पर तक पहुंच सकते थे यानि कि गौरीकुण्ड।
थोड़ी देर गौरीकुण्ड घोड़ा पड़ाव पर ढूंढा, वहां घोड़े-खच्चर के अलावा कोई भी नहीं मिला जो कि उनका इन्तजार कर रहा हो।
यहां तक कि जो घोड़ा वाला भी हायर किया था वो भी वहां से नदारद मिला। वो मिलता भी क्यों, उसे उसका मेहनताना मिल चुका था, तो वो भी अपने ठौर ठिकाने पर जायेगा। भला कोई क्यों दूसरे की फिक्र करता है।
वहां से हताश निराश एक उम्मीद के साथ वे शटल पार्किंग पर पहुंचे। फोन बन्द तो था ही पर वहां पर उनकी मदद के लिए हरेक की मदद करने वाले उप निरीक्षक रमेश चन्द्र बेलवाल जी मिल गये। अपनी समस्या बताने से पहले वो खुद ही भांप गये थे कि इनका भी कोई तो बिछड़ा जरूर है। आपसी बातचीत हुई, इनकी श्रीमती जी के फोन पर दरोगा जी के नम्बर से कॉल मिलाई तो नम्बर स्विच ऑफ। (सम्भवतः वही हुआ जो होना था, लगातार कॉल के कारण इनका भी फोन डैड) खैर यात्री ने अपनी पत्नी का हुलिया इत्यादि का विवरण दिया। हमेशा की तरह आस-पास के खोया पाया केन्द्र, चौकियों व कोतवाली सोनप्रयाग तक सूचना प्रसारित करायी गयी। यहां से सुकून भरी खबर यह थी कि इनकी श्रीमती जी सोनप्रयाग पहुंच चुकी थी। अब इनके चेहरे पर सुकून के भाव देखे जा सकते थे। सोनप्रयाग पुलिस को सूचना दी गयी कि यहाँ (गौरीकुण्ड) से इनको भेजा जा रहा है, बाकी आप दिखवा लीजिए। गौरीकुण्ड में नियुक्त पुलिस टीम ने इनको शटल वाहन में बिठाकर कोतवाली सोनप्रयाग भेजा गया, जहां पर इनकी श्रीमती जी इनका इन्तजार कर रही थी। (जाने से पहले इन्होने अपना परिचय देवदत्त हरतालेकर व अपनी श्रीमती जी का परिचय अमिता हरतालेकर निवासी पुणे, महाराष्ट्र के रूप में दिया गया)

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