हिंदी दिवस: हिंदी का स्वर्णिम युग, मिल रही वैश्विक मान्यता

UTTARAKHAND NEWS

आजादी के बाद काफी मंथन के बाद हिंदी को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया, लेकिन धीरे-धीर अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित होने लगी। हिन्दी का दायरा इतना विशाल होने के बावजूद, वो समय भी देखा, जब लोगों को इसे बोलने या इस भाषा के साथ काम करने में हिचक और शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी। वजह साफ थी कि लोगों के लिए हिन्दी में मौके कम हो गए थे और अंग्रेजी भाषा को प्रवीणता और समृद्धि की कुंजी मान ली गई थी। हिंदी बोलने वाले को भी हीन भावना से देखा जाने लगा था। लेकिन आज हिंदी ने जो वर्चस्व हासिल किया है, उससे साफ है कि यह हिंदी का स्वर्णिम युग है। 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी की अबतक की उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।

हिंदी दिवस का इतिहास

देश के 1947 में आजाद होने के बाद कई बड़ी समस्याएं थीं। इसमें से एक समस्या भाषा को लेकर भी थी। भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती थीं। ऐसे में राजभाषा क्या होगी यह तय करना एक बड़ी चुनौती थी। हालांकि, हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हिंदी को जनमानस की भाषा कहा करते थे।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में फैसला लिया गया कि हिंदी भी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने का इस रूप में उल्लेख किया गया है- ‘संघ की राष्ट्रभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।’

हिंदी को दर्जा दिलानें में इनका रहा योगदान

मूर्धन्य साहित्यकार व्योहार राजेंद्र सिंह ने दूसरे साहित्यकारों आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, सेठ गोविंद दास के साथ मिलकर हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा बनवाने में अथक योगदान दिया। इस संयोग कहेंगे कि राजेंद्र सिंह के जन्मदिन 14 सितंबर को ही संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। इसे 26 जनवरी 1950 को संविधान में स्वीकार कर लिया गया। लेकिन तीन साल बाद 1953 में राजेंद्र सिंह के जन्मदिवस पर पहला हिंदी दिवस मनाया गया। इसके बाद पूरे देश में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई।

जानिए क्या है विश्व हिंदी दिवस और हिंदी दिवस में अंतर 

 हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस दो अलग-अलग दिन हैं। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है, जबकि हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था, इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं। इस बीच, विश्व हिंदी सम्मेलन या विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी को मनाया जाता है जो हिंदी भाषा पर एक शब्द सम्मेलन है। विश्व हिंदी दिवस, हिंदी के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से मनाया जाता है।

विश्व दे रहा हिंदी को मान्यता

हिंदी दिवस तो काफी पहले से मनाया जा रहा है, लेकिन वैश्विक स्तर पर हिंदी को जो मान्यता आज मिल रही है, वो 7-8 साल पहले स्थिति नहीं थी। आज हिंदी भारत से निकल दुनिया के कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बहुभाषावाद पर भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हिन्दी भाषा को अपनी भाषाओं में समाहित कर लिया है। इससे पहले यूएन में अरबी, चीनी, अंग्रेजी, रशियन, स्पेनिश और फ्रेंच जैसी कुल छह आधिकारिक भाषाएं शामिल थीं।

संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को पहली बार प्राथमिकता मिलने के कई मायने हैं। इस फैसले से साफ है कि अब यूएन के समस्त कार्यों और उसके उद्देश्यों की जानकारी हिन्दी में उपलब्ध होगी और इससे हिन्दी के वैश्विक प्रसार को निश्चित रूप से एक नया आयाम मिलेगा। आज ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में ‘Bada Din’, (बड़ा दिन) ‘Acha’, (अच्छा) ‘Bacha’ (बच्चा) और ‘Surya Namaskar’ (सूर्य नमस्कार), योग (Yog) जैसे कई हिंदी के शब्द शामिल किए हैं। 

दुनिया में हिंदी तीसरे नंबर पर

दुनिया के कंप्यूटर युग में बदलने के बाद हिंदी का प्रचार-प्रसार अत्यधिक तेजी से हुआ। कई तकनीकी विषयों की हिंदी में पढ़ाई ने हिंदी के प्रसार को नया आयाम दिया है। हिंदी के प्रभाव क्षेत्र का यह कारवां आज यहां तक पहुंच गया है कि अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 2019 में 615 मिलियन बोलने वालों के साथ हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हमारे देश में 77 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते, समझते और पढ़ते हैं।

इन देशों में बोली और समझी जाती है हिंदी

भारत के बाहर कुछ देशों में भी हिंदी बोली जाती है, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, फिजी, सूरीनाम, टोबैगो, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में बोली जाती है। अपनी सरलता और सुगमता के कारण हिन्दी की गिनती दुनिया की सबसे चुनिंदा वैज्ञानिक भाषाओं के रूप में भी होती है।

भारत में हिंदी भाषी राज्य

हिन्दी मौजूदा समय में देशवासियों के बीच पारंपरिक ज्ञान, ऐतिहासिक मूल्यों और आधुनिक प्रगति के बीच, एक महान सेतु की भूमिका निभा रही है। यदि हिन्दी के संवैधानिक दायरे की बात करें, तो इसे भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार करने के साथ ही 11 राज्यों और तीन केन्द्रशासित प्रदेशों में भी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के साथ-साथ दिल्ली, चंडीगढ़ और दादरा और नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। एक भाषा के तौर पर हिन्दी न सिर्फ देश की पहचान है, बल्कि यह हमारे सिद्धांतों, मूल्यों और संस्कृति से भी अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है और हमारे जीवन के विभिन्न आयामों को काफी हद तक प्रभावित करती है।

हिंदी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के प्रयास

केंद्र सरकार हिन्दी समेत तमाम भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक मान्यता दिलाने के लिए कई मंचों पर मांग उठी। वर्षों के संघर्ष के बाद साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र में ‘हिंदी @ यूएन’ परियोजना का आगाज हुआ। इस परियोजना का उद्देश्य संघ की तमाम सूचनाओं को दुनियाभर में फैले हिन्दी भाषी लोगों तक पहुंचाना और वैश्विक समस्याओं से जुड़ी चर्चाओं को धार देना था। कुछ समय पहले भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी भाषा के व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए आठ लाख अमेरिकी डॉलर भी सहयोग के रूप में दिए गए थे। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि आज हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा है।

इतना ही नहीं हिन्दी को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बनाने के लिए सरकार द्वारा लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) मोबाइल ऐप को भी लॉन्च किया गया है। इससे लोगों को आसानी से हिन्दी सीखने में मदद मिलेगी।

हिन्दी के वैश्विक प्रसार के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’, ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

भारत में देश में मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग से लेकर कई प्रोफेशनल कोर्स हिंदी में शुरू कर दिए गए हैं, जिससे की ग्रामीण और हिंदी भाषी बच्चा भी देश की प्रगति में योगदान दे सके।

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