देश के विकास में ईंधन की उपयोगिता सर्वाधिक होती है। जब बात बिजली उत्पादन से लेकर फैक्ट्रियों के संचालन की हो तो काला सोना यानि कोयले का महत्व अपने आप बढ़ जाता है। दरअसल, काला सोना कहा जाने वाला कोयला किसी भी विकासशील देश की विकास यात्रा में अहम रोल अदा करता है। देश में ईंधन आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा करने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला मंत्रालय देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया में है। इसके मद्देनजर कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 तक 1.23 अरब टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और गैर-सीआईएल दोनों कोयला ब्लॉक शामिल हैं।
बुनियादी ढांचों को किया जा रहा मजबूत
देश में बढ़ते ईंधन की मांग को पूरा करने के लिए कोयला मंत्रालय वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयले का उत्पादन 1.23 अरब टन करेगा। सरकार के अनुसार देश ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है ताकि निर्बाध ईंधन आपूर्ति की जा सके। इसका विजन समर्थन करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने एक एकीकृत योजना का दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि एक अरब टन उत्पादन के लिए निकासी ढांचे को मजबूत किया जा सके और कोयले का निर्बाध परिवहन हो सके।
नॉर्थ कर्णपुरा कोलफील्ड से 19 अरब टन उत्पादन की संभावना
सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के प्रबंध-क्षेत्र में आने वाला उत्तरी कर्णपुरा कोयला क्षेत्र (नॉर्थ कर्णपुरा कोलफील्ड) झारखंड राज्य का एक प्रमुख कोयला क्षेत्र है। उत्तरी कर्णपुरा कोलफील्ड के पास लगभग 19 अरब टन कोयला संसाधन है। सीसीएल ने वित्त वर्ष 25 तक लगभग 13.5 करोड़ टन के उत्पादन योगदान का अनुमान लगाया है। इसमें से लगभग 85 मीट्रिक टन का उत्पादन आम्रपाली (25 मीट्रिक टन), मगध (51 मीट्रिक टन) चंद्रगुप्त (15 मीट्रिक टन), संघमित्रा (20 मीट्रिक टन) आदि जैसी कई ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड कोयला खनन परियोजनाओं से होने की संभावना है।
कोयले निकासी के लिए रेलवे लाइन
वर्तमान में, उत्तरी कर्णपुरा कोयला क्षेत्र से कोयले की निकासी पूर्व मध्य रेलवे की बरकाकाना-डाल्टनगंज शाखा रेलवे लाइन द्वारा कवर की जाती है, जो बरकाकाना लूप के माध्यम से गोमो और डेहरी-ऑन-सोन को जोड़ती है। अतिरिक्त रेलवे लाइन, यानि टोरी-शिवपुर (44.37 किमी) डबल रेलवे लाइन सीसीएल द्वारा बनाई गई है। इसी मार्ग पर तीसरी रेलवे लाइन निर्माणाधीन है, जिसकी अतिरिक्त लागत 894 करोड़ रुपए है तथा जिसके मई, 2023 तक चालू होने की संभावना है।
सड़क मार्ग से कोयला परिवहन होगा समाप्त
कोयले की सुव्यवस्थित निकासी के लिए पीएम-गति शक्ति पहल के तहत नई रेल लाइन की परिकल्पना की गई है, जो शिवपुर-कठौटिया रेलवे मार्ग पर 49 किमी की होगी। इसका निर्माण परियोजना को तेजी से पूरा करने के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है, जो कोडरमा से हावड़ा-दिल्ली ट्रंक रेलवे लाइन तक कोयला निकासी के लिए एक और निकास लाइन की सुविधा प्रदान करेगी। पीएम-गति शक्ति पहल के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा परिकल्पना की गई टोरी-शिवपुर-कठौटिया रेल लाइन के निर्माण से रेल द्वारा लगभग 125 एमटी कोयला निकासी क्षमता की सुविधा मिलेगी और सड़क मार्ग से कोयला परिवहन को समाप्त करने में इस लाइन द्वारा प्रमुख भूमिका निभाये जाने की सम्भावना है।