देशभर में शुक्रवार 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध प्रभावी हो गया है। ज्ञात हो, भारत अपना ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है और हमारी आजादी की लड़ाई के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे। गांधी जी की इसी प्राथमिकता को पीएम मोदी ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के माध्यम से एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार यह कानून लागू किया है।
सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध प्रभावी
अब प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के अंतर्गत सिंगल यूज प्लास्टिक की कुल 19 वस्तुओं पर यह प्रतिबंध प्रभावी होगा। अगस्त 2021 में अधिसूचित नियम और 2022 में सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के प्रयासों के तहत 31 दिसंबर, 2022 तक प्लास्टिक कैरी बैग की न्यूनतम मोटाई को मौजूदा 75 माइक्रोन से 120 माइक्रोन में बदल दिया जाएगा।
ये चीजें होंगी प्रतिबंधित
प्रतिबंधित प्लास्टिक में थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, पुआल, ट्रे, मिठाई के बक्सों पर लपेटी जाने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, गुब्बारे की छड़ें और आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और 100 माइक्रोन से कम के बैनर शामिल हैं।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित
वहीं मोटे कैरी बैग सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के उद्देश्य से लाए जाएंगे। प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे।अधिकारी इस पर निगरानी रखेंगे।
सिक्किम में 1998 से प्रतिबंध है प्लास्टिक
सिक्किम पहला राज्य है जिसने 1998 में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार ने प्लास्टिक बैग की मोटाई के लिए एक मानक तय किया है और खुदरा विक्रेताओं द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले बैग के लिए शुल्क अनिवार्य कर दिया है। प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए सार्वजनिक स्थलों, राष्ट्रीय संपदाओं, जंगलों और समुद्री तटों पर सफाई अभियान शुरू किए गए हैं। पूरे देश में करीब 100 स्मारकों को शामिल किया गया है।
देश में हर साल 9,200 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा
पर्यावरण और पारिस्थितिकी विकास सोसाइटी ने दिल्ली में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए बीट प्लास्टिक प्रदूषण नाम दिया गया। केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण और केंद्रीय लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्रालय छोटी औद्योगिक इकाइयों को प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के उत्पादन के लिए तकनीकी सहायता देंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने लगभग चार साल पहले अनुमान लगाया था कि भारत प्रतिदिन लगभग 9,200 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, या एक वर्ष में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक।
देश में लगभग 70% प्लास्टिक कचरा होता है रिसाइकिल
एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उद्योग के एक वर्ग ने ये दावा किया है कि देश में लगभग 70% प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल किया जाता है। देश में सालाना 2.4 लाख टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। 18 ग्राम प्रति व्यक्ति खपत है। 60 हजार करोड़ रुपए का है यह उद्योग। इसके निर्माण में 88 हजार इकाइयां लगी हैं। इस उद्योग से 10 लाख लोग जुड़े हैं। सालाना एक्सपोर्ट 25 हजार करोड़ रुपए का है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को एक साल टालने की मांग की है।
चाय के लिए कुल्हड़ का करें प्रयोग
वहीं जल शक्ति मंत्रालय ने देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप पर चाय के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कप के बजाय कुल्हड़ के इस्तेमाल पर जोर दिया। मंत्रालय ने पोस्ट में लिखा है कि कुल्हड़ न केवल चाय का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि यह पर्यावरण हितैषी होने के साथ आसानी से मिट्टी में मिल जाते हैं और पानी की भी बचत करते हैं।
इस समस्या के समाधान को लेकर केंद्र सरकार बेहद गंभीर
बताना चाहेंगे कि कई साल से परेशानी का सबब बनी प्लास्टिक का समाधान तलाशने की दिशा में केंद्र सरकार पहले से काम कर रही है। इस समस्या को लेकर केंद्र सरकार बेहद गंभीर है। इसलिए सरकार ने इस दिशा में अपने कार्यों की गति को और बढ़ा दिया है। यदि आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो 2014 में ‘स्वच्छता अभियान’ की शुरुआत से पहले केवल 18% ठोस कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक रूप से किया जाता था जो सरकार के प्रयासों के बाद अब लगभग 4 गुना बढ़ कर 70 % के करीब हो गया है।