आत्मनिर्भर कृषि: भारतीय आमों की विदेशी बाजार में जबरदस्त मांग

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मनमोहक मिठास और लजीज स्वाद के चलते हर साल ग्रीष्म काल आते ही भारत के एक बेशकीमती फल की मांग विदेशी बाजार में जबरदस्त तरीके से की जाने लगती है। आप समझ तो गए होंगे कि यहां किस फल की बात की जा रही है…जी हां, फलों के राजा ‘आम’ की इस समय पूरी दुनिया में जबरदस्त मांग की जा रही है। दरअसल, आम के जितने दीवाने भारतीय हैं, उतने ही शौकीन विदेश में भी हैं।

अपने स्वाद की मिठास से जोड़ रहा रिश्ते

आपको याद हो बीते साल कोरोना महामारी के दौरान रुके कृषि निर्यात के समय में भी ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में कई मीट्रिक टन आम का निर्यात किया गया था। जी हां, कोरोना की वैश्विक महामारी के बीच देशवासियों के दिलों में अपने स्वाद की मिठास से रिश्तों को जोड़ने वाला आम खुशखबरी लेकर आया और अब एक बार फिर से यह फल वैश्विक स्तर पर भारत के अन्य देशों के साथ रिश्तों में मिठास भरने का काम कर रहा है। यानि भारतीय आम एक बार फिर विदेश यात्रा पर निकल पड़ा है। अब देखना यह होगा कि इस बार आम से भारतीय किसान कितना लाभ अर्जित कर पाते हैं। भारत सरकार भी इस क्रम में देश के किसानों की लगातार मदद कर रही है।

विदेश में भारतीय आम संवर्धन कार्यक्रम

दरअसल, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार बीते कुछ साल से विदेश में भारतीय आम संवर्धन कार्यक्रम चला रही है। भारत सरकार के प्रयासों का ही फल है कि उत्तर प्रदेश में पैक0 आम की बनारसी और लंगड़ा किस्मों का विदेश में खूब निर्यात किया जाने लगा है। बीते कुछ साल के आंकड़े भी दर्शाते हैं कि आम के बंपर उत्पादन के चलते भारत दुनिया के 50 देशों तक तकरीबन पांच हजार करोड़ टन से अधिक के आम का निर्यात करता है। जी हां, साल 2020 में भारत ने करीब 5276.1 करोड़ टन आम का निर्यात किया था। ऐसे में यह देश के आम उत्पादक किसानों के लिए आमदनी का एक बड़ा जरिया होने के साथ-साथ भारत सरकार के लिए विदेशी राजस्व अर्जित करने का भी बड़ा माध्यम बन चुका है।

भारतीय आमों की करीब 1,000 वैरायटीज

बहुत से लोग शायद ही यह बात जानते होंगे कि भारतीय आमों की करीब 1,000 वैरायटीज हैं। इन्हीं भारतीय आमों की वैरायटीज में से सर्वोत्तम किस्मों की विदेशी बाजार में खूब मांग होने के चलते किसानों को भारी लाभ कमाने के अवसर मिलते हैं। कई किसानों के लिए तो आम ऐसा फल बन गया है जो उन्हें मालामाल भी कर रहा है। दरअसल, आम की कुछ खास किस्में केवल भारत में ही मिलती हैं जिसके चलते वैश्विक बाजार में उनके मुंह मांगे दाम तक मिल जाते हैं। फिलहाल अल्फांसो, केसर, तोतापुरी और बंगनपाली जैसी वैराइटीज का निर्यात सबसे अधिक हो रहा है।

कृषि क्षेत्र को बना रहा आत्मनिर्भर

देश में हर साल बढ़ रही आम की पैदावार और बढ़ती आमदनी कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बना रही है। यह जरूरी भी है और केंद्र सरकार इस बात को भली-भांति समझती भी है। कृषि क्षेत्र सबके लिए महत्व का है व सरकार की शीर्षतम प्राथमिकताओं में रहा है, जिसके लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता और शिद्दत के साथ काम कर रही है। कृषि क्षेत्र मजबूत होगा तो देश मजबूत होगा, रोजगार के साधन बढ़ेंगे, रोजगार में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी आज कृषि को अधिकाधिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है और इस दिशा में सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर का कॉन्सेप्ट लेकर आई। इसी के माध्यम से पारदर्शिता आ रही है। यही कारण है कि डिजिटल एग्रीकल्चर की पीएम मोदी की संकल्पना साकार करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अभी तक करोड़ों किसानों से संबंधित डाटा भी तैयार कर चुका है।

किसानों की आय हो रही दोगुना

केंद्र व राज्यों के संयुक्त प्रयासों से पीएम मोदी के मार्गदर्शन में किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए अब केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेश स्तर पर भी काम हो रहा है। किसानों की फसलों को विदेश में उचित लाभ हासिल करवाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है। इसके लिए सरकार विदेश में भारतीय कृषि उत्पादों के स्टॉल लगा रही है और उन्हें प्रमोट कर रही है। आम भी इन्हीं में से एक है। हर साल सरकार भारतीय आम को प्रमोट करने का कार्य कुछ इसी प्रकार करती है ताकि भारतीय किसानों की आय को दोगुना करने का भारत सरकार का संकल्प पूरा किया जा सके।

सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास

पीएम मोदी ने सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास के साथ अब सबका प्रयास का मंत्र दिया था जो आज धरातल पर अपना करिश्मा दिखा रहा है। आम के उत्पादन और उसके तेजी से बढ़ते निर्यात से यही स्पष्ट होता है कि न तो देश के किसानों ने आम के उत्पादन में कोई कसर छोड़ी और न ही भारत सरकार ने उन्हें विदेशी बाजारों तक पहुंचाने की कोई कसर छोड़ी। ट्रेन, हवाई जहाज से जहां आम का निर्यात किया जा रहा था वहीं बीते साल से किसानों का लाभ और अधिक बढ़ाने व खर्च को कम करने के लिए अब उन्हें पानी के जहाजों से भी विदेशी बाजारों तक भेजा जा रहा है।

भारत के प्रति दूसरे देशों का विश्वास काफी बढ़ा

जिस प्रकार भारत खाद्यान्न के मामले में आज न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि अन्य देशों को भी आपूर्ति कर रहा है, ठीक उसी प्रकार फलों के उत्पादन के मामले में भी देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। विदेशी बाजार में फलों की विशेष मांग के चलते सरकार किसानों को फलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी का नतीजा है कि देश में आम के उत्पादन में भारत कमाल कर रहा है। भारत के प्रति दूसरे देशों का विश्वास काफी बढ़ा है। ऑर्गेनिक फलों एवं सब्जियों के लिहाज से भी कहें तो देश के उत्पादन पर दुनिया का विश्वास बढ़ गया है। देश की अर्थव्यवस्था सुधर रही है, जिससे विश्व में भारत की स्थिति मजबूत हो रही है।

याद हो पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2020 को कहा था, ”आत्मनिर्भर भारत की प्राथमिकता आत्मनिर्भर कृषि और आत्मनिर्भर किसान हैं और इनको हम कभी भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। किसान को पिछले दिनों हमने देखा है। आजादी के इतने सालों के बाद एक के बाद एक सुधार किए गए हैं। किसान को तमाम बंधनों से मुक्त करना होगा, वो काम हमने कर दिया है।”

वाकयी केंद्र सरकार ने यह कार्य कर दिखाया है और भारत सरकार लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। अब हिंदुस्तान का किसान उस आजादी की सांस को ले पा रहा है, जो हिंदुस्तान के किसी भी कोने में, दुनिया के किसी भी कोने में अपना माल बेचना चाहता है, और हां, अब भारत का किसान इसे अपनी शर्तों पर बेच पा रहा है।

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