जमीनी स्तर पर देश का किसान अब सशक्त होता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी विभिन्न परियोजनाओं से किसानों को अच्छी खासी मदद मिल रही है, जिसका निष्कर्ष आज हमारे सामने है। जी हां, भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक उंचाई पर पहुंच गया है। वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पाद का निर्यात 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह अब तक का सबसे अधिक कृषि उत्पाद निर्यात है। वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा जारी अनंतम आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान कृषि उत्पाद 19.92 फीसद बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर हो गया।
यह वृद्धि दर शानदार है और 2020-21 के 17.66 फीसदी यानि 41.87 बिलियन से अधिक है। पिछले 2 वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार में पीएम मोदी के वीजन को साकार करने में काफी अधिक सफल होगी। चावल, गेहूं, चीनी और अन्य अनाजों के लिए यह अब तक का सबसे अधिक निर्यात है। गेहूं निर्यात में अप्रत्याशित 273 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
चावल, गेहूं, चीनी, अन्य अनाजों तथा मांस का सबसे अधिक निर्यात किया गया
यह न सिर्फ किसानों के लिए बल्कि देश के लिए बहुत बड़ी और एक अच्छी खबर भी है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आज से दो-तीन दशक पहले तक देश ज्यादातर आयात पर निर्भर रहता था जिसमें खाद्यान उत्पादन भी शामिल है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो देश में न सिर्फ कृषि उत्पादन बढ़ा है बल्कि निर्यात के क्षेत्र में बढ़ोतरी और जो आकंड़े आ रहे हैं, इस बात को निश्चित तौर पर दर्शाते हैं कि केंद्र सरकार की जिस तरह की नीति और नियत रही है उसके बाद किसानों का उत्पादन बढ़ा है, फिर चाहे गेंहू की बात करें या चावल की बात करें या फिर चीनी, अन्य सब्जियां या फल।
यूक्रेन संकट के बीच दुनिया की गेहूं की जरूरत पूरा कर रहा भारत
यदि हम गेंहू और चावल की बात करें तो वह अभी भी देश के खाद्यान्नों में भरा पड़ा है। यूक्रेन और रूस सबसे ज्यादा गेंहू का उत्पादन करते हैं लेकिन इन दोनों देशों के संघर्ष के बीच जब आज दुनिया को संकट के बीच जब आज दुनिया को गेहूं की जरूरत है, चावल की जरूरत है, चीनी की जरूरत है तो आज दुनिया के लिए भारत इन चीजों को निर्यात करने के लिए सबसे आगे खड़ा है। वहीं चीनी ने तो दुनिया के 50 फीसदी बाजार पर कब्जा कर लिया है।
कोरोना काल में भी देश का एग्रीकल्चर सेक्टर रहा पॉजिटिव
इन सबके बीच खास ध्यान देने वाली बात यह है कि कोरोना के पीक टाइम में जब सभी सेक्टर का ग्रोथ कम हो गया था, उस वक्त सरकार की ओर से यह खबर आई थी कि एग्रीकल्चर सेक्टर उस वक्त भी पॉजिटिव में था और अच्छा परफॉर्म कर रहा था और इस बात की बानगी इस रिपोर्ट में के जरिए कि अब 50 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य को हम पार कर गए हैं।
गेहूं का निर्यात सबसे अधिक
कृषि उत्पादों के निर्यात में गेहूं का निर्यात सबसे अधिक हो रहा है। आपको याद होगा कोरोना काल में भी भारतीय किसानों को खेतों में काम करने की इजाजत दी गई थी। सभी जानते हैं कि खेत खुले इलाकों में होते हैं और वहां सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करना भी बेहद आसान होता है। ऐसे में जब चारों तरफ लॉकडाउन के कारण मंदी चल रही थी और उद्योग-धंधे बंद चल रहे थे, उस समय सबसे ज्यादा ग्रोथ करने वाला सेक्टर निश्चित तौर पर कृषि ही था। पिछले तीन वर्षों की बात करें तो गेहूं के MSP को चार बार बढ़ाया गया है। 2014 के अंदर जब पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी थी तो गेहूं का करीब 1200 रुपए प्रति क्विंटल रेट हुआ करता था। उसके बाद इसे 1500 रुपए किया गया और फिर 1972 रुपए किया गया और आज का जो MSP रेट है, जिस पर किसानों के उत्पादों की सरकारी खरीद होती है आज वो 2015 रुपए है। निश्चित तौर पर MSP के अंदर जो बढ़ोतरी हुई है, उसके बाद किसानों ने भी गेहूं के उत्पादन को बढ़ाया है। किसानों के उत्पादन बढ़ाने के कारण ही आज हम दुनिया को गेहूं और चीनी का निर्यात कर पा रहे हैं।
गेहूं, चावल के अलावा भारत के इन उत्पादों का भी बढ़ा निर्यात
गेहूं, चावल और चीनी के अलावा बनारस की ताजी सब्जियां, लखनऊ का आम, सोलापुर का अनार और नागपुर का संतरा के निर्यात में भी पिछले कई महिनों के अंदर एक अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली है। दुनिया में आज जो रूस-यूक्रेन का जो संकट है और खाद्यान्न की कमी दुनिया के सामने है, ऐसे में आज भारत उसे पूरा करता हुआ नजर आ रहा है और भारत ‘आत्मनिर्भर’ बनता हुआ भी नजर आ रहा है। दुनिया के तमाम देशों को भारत कोरोना काल से ही इस तरह की मानवीय मदद पहुंचा रहा है।
कृषि निर्यात
– गेहूं का निर्यात 2020-21 के 568 मिलियन डॉलर से लगभग चार गुना बढ़कर 2021-22 में 2.12 बिलियन डॉलर हो गया
– हाल के रूस-यूक्रेन संकट के बावजूद विश्व गेहूं और अन्य अनाजों की सप्लाई के लिए भारत की और देख रहा है।