बागडोगरा एयरपोर्ट पर एक बार फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार कर दिया गया है। करीब दो सप्ताह तक हवाई अड्डा बंद रहने के बाद मंगलवार से हवाई यातायात फिर से शुरू हुई है। पहली फ्लाइट मंगलवार को सुबह आठ बजे एयरपोर्ट पर उतरी। नए पुनर्जीवित रनवे पर पहली उड़ान के तहत एयर एशिया के विमान ने ध्वनि लैंडिंग की। ऐसे में उड़ान को प्रथानुसार “वाटर सैल्यूट” दिया गया, और बाद में उसने उड़ान भरी।
क्या है वाटर सैल्यूट
दरअसल, वाटर सैल्यूट का अर्थ है पानी से सलामी देना होता है। विमान सेवा क्षेत्र में वाटर सैल्यूट का मतलब स्वागत करना भी होता है। अक्सर मिलिट्री एयरक्राफ्ट और एयरलाइन सर्विस को एयरपोर्ट पर लैंड करने पर सम्मान देने के लिए वाटर सैल्यूट दिया जाता है। वाटर सैल्यूट के दौरान आग बुझाने वाली गाड़ियां विमान पर पानी की बौछार करती हैं। हालांकि आमतौर पर ये किसी भी नए विमान की लैंडिंग और इसके टेकऑफ के समय वॉटर सैल्यूट दिया जाता है। खास बात ये भी है कि वाटर सैल्यूट में जो भी गाड़ियां होती हैं, वो सभी सम संख्या जैसे 2, 4,6 या 8 होती हैं।
रनवे मरम्मत के लिए था बंद
बता दें कि बागडोगरा हवाई अड्डे के रनवे को मरम्मत के लिए बंद करना था, लेकिन रनवे के लंबे समय तक बंद रहने से नागरिक उड़ानों की आवाजाही पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में बीआरओ को मरम्मत का काम सौंपते हुए 15 दिन के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया। बीआरओ ने 11 से 25 अप्रैल तक सीमित समय सीमा के भीतर तकनीकी रूप से मांग और चुनौतीपूर्ण कार्य किया।
डीजीबीआर के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि सावधानीपूर्वक योजना, कुशल संसाधन प्रबंधन और दिन-रात पाली में काम करते हुए कर्मचारियों ने सफलतापूर्वक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की।
लगभग 30 उड़ानें होती हैं संचालित
वहीं रनवे के महत्व को इस तरह से समझा जा सकता है कि बागडोगरा से प्रतिदिन लगभग 30 उड़ानें संचालित होती हैं, जिसमें 7000 से 8000 यात्री होते हैं। पर्यटक, व्यापारिक समुदाय और अन्य नागरिक उन्नत रनवे की सतह का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, जिसे बहुत ही लगन और अत्यधिक गुणवत्ता के साथ पूरा किया गया है। बीआरओ के इस प्रयास से यह सुनिश्चित होगा कि हवाईअड्डा अब सैन्य और असैन्य दोनों तरह के किसी भी प्रकार के विमान का मुकाबला कर सकता है।