विश्व भर में चल रही अस्थिरता का सुरक्षा की दृष्टि से भारत पर किसी भी तरह के पड़ने वाले संभावित प्रभावों और मूल्यांकन संबंधित पहलुओं पर भारतीय सेना के कमांडर चार दिन नई दिल्ली में मंथन करेंगे। सेना कमांडरों का सम्मेलन 18-22 अप्रैल 2022 तक नई दिल्ली में हो रहा है। सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे भाग लेंगे। इस सम्मेलन में सैन्य कमांडरों से बातचीत करके सेना के लिए नई रणनीति तय करेंगे। सम्मेलन वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के लिए एक संस्थागत मंच है, जहां भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे।
सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण
इस बार सैन्य कमांडरों के सम्मेलन के मुख्य एजेंडा में रूस और यूक्रेन के बीच 52 दिनों से चल रहे युद्ध को रखा गया है। भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व सक्रिय सीमाओं के साथ परिचालन स्थिति की समीक्षा करेगा। सम्मेलन में परिचालन तैयारी की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ चीन-पाकिस्तान के साथ संघर्ष वाले पूरे क्षेत्र में खतरों का आकलन भी किया जाएगा। इसके साथ ही कमांडरों के साथ सैन्य क्षमता विकास और कमी का विश्लेषण करना भी शामिल है। सेना के वरिष्ठ अधिकारी सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचों के विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे।
सेना को अत्याधुनिक बनाने पर बल
सम्मेलन में स्वदेशीकरण के माध्यम से सेना को आधुनिक उपकरणों से लैस करने पर विशेष बल दिया जाएगा। सेना में उत्कृष्ट तकनीक को शामिल करने पर भारतीय सेना विशेष ध्यान दे रही है, इससे संबंधित पहलुओं पर भी चर्चा निर्धारित है। भारतीय सेना में कार्यों में सुधार, वित्तीय प्रबंधन, ई-वाहनों को शुरू करने और डिजिटलीकरण से संबंधित प्रस्तावों के अतिरिक्त क्षेत्रीय कमांड्स की ओर से प्रायोजित विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर वरिष्ठ कमांडर विचार-विमर्श करेंगे।
रक्षा मंत्रालय के साथ बढ़ेगा समन्वय
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के साथ बातचीत करने और सम्मेलन को संबोधित करने की उम्मीद है। सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय के संवाद सत्र के दौरान आपसी समन्वय और रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने पर बल दिया जाएगा। सम्मेलन के हिस्से के रूप में आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड और आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठकें भी आयोजित की जाएंगी। यह सम्मेलन भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए रक्षा मंत्रालय के साथ बातचीत करने का एक औपचारिक मंच भी है।