विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक भारत, बहुसांस्कृतिक अनुभवों की एक सुंदर चित्रावली पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करता है। समृद्ध धरोहरों एवं असंख्य आकर्षणों के साथ यह देश दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्यों में से एक है। यही वजह है कि भारत को “अतुल्य भारत” या ‘Incredible India’ कहा जाता है। कहते हैं कि जब हम अपने शरीर से आत्मा को हटा देते हैं, तो कुछ भी शेष नहीं रहता, इसी तरह हमारे देश की आध्यात्मिक विरासत और संस्कृति को राष्ट्र के लिए संरक्षित करने की जरूरत है और केंद्र सरकार इस मोर्चे पर निरंतर आगे बढ़ रही हैं। इसके लिए कनेक्टिविटी, अवसंरचना और बेहतर सुविधाओं के माध्यम से तीर्थयात्रियों की पहुंच और उनके अनुभव को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसी दिशा में स्वदेश दर्शन योजना के जरिए भारत में टूरिज्म को गति देने का कार्य किया जा रहा है।
भारत सरकार का राष्ट्रव्यापी अभियान है ”स्वदेश दर्शन”
भारत सरकार बीते कुछ साल से देश में टूरिज्म को गति देने के लगातार प्रयास कर रही है। जी हां, हेरिटेज टूरिज्म बढ़ाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया है। सरकार स्वदेश दर्शन जैसी कई योजनाओं के जरिए हेरिटेज टूरिज्म को गति प्रदान करने में जुटी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें स्वदेश दर्शन योजना विषयगत पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के उद्देश्य से पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
इस योजना का उद्देश्य भारत में पर्यटन की क्षमता को बढ़ावा देना, विकसित करना और उसका दोहन करना है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत, पर्यटन मंत्रालय सर्किट के अवसंरचना के विकास के लिए राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता – CFA प्रदान करता है।
इस योजना की परिकल्पना स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया आदि जैसे अन्य योजनाओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए की गई है, जिसमें पर्यटन क्षेत्र को रोजगार सृजन, आर्थिक विकास के लिए प्रेरक शक्ति, विभिन्न क्षेत्रों के साथ तालमेल बनाने ताकि पर्यटन को अपनी क्षमता का एहसास हो सके, के लिए एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थान दिया गया है।
योजना के उद्देश्य
– पर्यटन को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना
– नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना
– आजीविका उत्पन्न करने के लिए पहचाने गए क्षेत्रों में देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना
– सर्किट और गंतव्यों में वर्ग के बुनियादी ढांचे में पर्यटकों के आकर्षण को स्थायी तरीके से बढ़ाना
– समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना
– पर्यटन के महत्व के बारे में स्थानीय समुदायों में जागरूकता पैदा करना
– आय के हुए स्रोत, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र का समग्र विकास करना
– स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से रोजगार सृजित करना
– रोजगार सृजन और आर्थिक प्रभावों के लिए पर्यटन क्षमता का दोहन और विकास करना
– आगंतुक को बढ़ाने के लिए पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना
टूरिज्म क्षेत्र में कोरोना काल में आई मंदी से देश को उबार पाई ये योजना
कोरोना काल में तमाम देशों में सबसे अधिक कोई क्षेत्र प्रभावित हुआ है तो वो है टूरिज्म क्षेत्र। कोरोना के कारण भारत में भी टूरिज्म पर काफी प्रभाव पड़ा। इसलिए वापस से इस क्षेत्र को बूस्टअप करने करने के लिए ”स्वदेश दर्शन योजना” का खासा योगदान रहा है। इस योजना के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में कई बदलाव किए गए जैसे कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान वर्चुअली हेरिटेज साइट्स के दर्शन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई।
दर्जनभर प्रतिमाओं को लाया जा सका भारत वापस
आपकी जानकारी के लिए बता दें साल 2014 से पहले के कई दशकों में सिर्फ दर्जनभर प्रतिमाओं को ही भारत लाया जा सका था, लेकिन बीते सात साल में ये संख्या सवा दो सौ से भी अधिक हो चुकी है। भारत की संस्कृति और सभ्यता की ये निशानियां भारत की वर्तमान और भावी पीढ़ी को निरंतर प्रेरित करें, इसी दिशा में भारत सरकार द्वारा किया गया यह एक बहुत बड़ा प्रयास है। आज भारत जिस तरह अपनी राष्ट्रीय और आध्यात्मिक धरोहरों को एक नए आत्मविश्वास के साथ विकसित कर रहा है उसका एक और पक्ष है हैरिटेज टूरिज्म।
हेरिटेज टूरिज्म में आर्थिक दृष्टि से अपार संभावनाएं
हेरिटेज टूरिज्म में आर्थिक दृष्टि से तो अपार संभावनाएं हैं ही, इसमें विकास के नए रास्ते भी खुलते हैं। दांडी में नमक सत्याग्रह की स्मृति में बना स्मारक हो या फिर जलियांवाला बाग स्मारक का पुनर्निर्माण हो, एकता नगर केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या फिर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्मारक का निर्माण, दिल्ली में बाबा साहब मेमोरियल हो या फिर रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और संग्रहालय, अयोध्या-बनारस के घाटों का सौंदर्यीकरण हो या फिर देशभर में ऐतिहासिक मंदिरों और आस्था स्थलों का जीर्णोद्धार हेरिटेज टूरिज्म बढ़ाने के लिए भारत में एक राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है।
स्वदेश दर्शन पुरस्कारों की शुरुआत
हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिहाज से भारत सरकार ने स्वदेश दर्शन पुरस्कारों की शुरुआत की। दरअसल, ये पुरस्कार योजनाबद्ध उद्देश्यों की उपलब्धि, अभिनव पहल, योजना, डिजाइन और संचालन में स्थिरता संबंधी सिद्धांतों को अपनाने, कुशल परियोजना निगरानी, आसपास के क्षेत्र के विकास में निजी निवेश को आकर्षित करने की क्षमता और मनोवांछित संचालन और रखरखाव इत्यादि सुनिश्चित करने के लिए किए गए ताकि इस दिशा में किए गए प्रयासों सहित सर्वोत्तम तौर-तरीकों को प्रदर्शित किया जा सके।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए 1300 करोड़ रुपए से अधिक की 16 परियोजनाओं को मंजूरी
फरवरी 2022 में पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी देते हुए कहा कि पर्यटन स्थलों की पहचान और उनका विकास प्राथमिक रूप से संबंधित राज्य सरकार व केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासन की जिम्मेदारी है। हालांकि, पर्यटन मंत्रालय अपनी ‘स्वदेश दर्शन’ योजना के तहत देश में पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्य सरकार और केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासन व केन्द्रीय एजेंसियों इत्यादि को धन प्रदान करता है। पर्यटन मंत्रालय ने इस योजना के तहत भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए कुल 1337.63 करोड़ रुपए की 16 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इसके अलावा पर्यटन मंत्रालय ने अपनी ‘स्वदेश दर्शन’ योजना के तहत असम में दो परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित किए जा रहे पंद्रह विषयगत सर्किट
स्वदेश दर्शन योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। ये टूरिस्ट सर्किट कम से कम तीन प्रमुख पर्यटन स्थलों वाले मार्ग के रूप में परिभाषित किए गए हैं। राष्ट्रीय तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक मिशन और विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद) योजना के तहत धार्मिक और विरासत स्थलों पर एकीकृत पर्यटन बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है।
एडॉप्ट ए हेरिटेज कार्यक्रम के तहत पर्यटन स्थलों, विरासत स्थलों और स्मारकों को पर्यटन के अनुकूल बनाने के लिए पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। अतुल्य भारत ब्रांड लाइन के तहत विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों सहित भारत को एक समग्र गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। वहीं नागरिकों के बीच भारत के कम ज्ञात स्थलों और विरासत स्थलों सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जनवरी 2020 में देखो अपना देश पहल शुरू की गई है।
क्रूज पर्यटन का विकास
स्वदेश दर्शन योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य को 500 करोड़ आवंटित किया गया, जिसके तहत रामायण और बुद्ध सर्किट जैसे आध्यात्मिक सर्किट के जरिए पर्यटन अवसंरचना को मजबूत करना है। वहीं स्वदेश दर्शन योजना के अतिरिक्त ,पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत उत्तर प्रदेश के लिए 5 और परियोजनाएं स्वीकृत की है। उत्तर प्रदेश के लिए प्रसाद योजना के तहत कुल 139.75 करोड़ रुपए की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। स्वीकृत परियोजनाओं में मथुरा वृंदावन को मेगा टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करना, मथुरा में पर्यटन सुविधा केंद्र का निर्माण, वाराणसी का विकास और गंगा नदी में क्रूज पर्यटन का विकास शामिल है। इन परियोजनाओं के तहत शुरू किए गए अधिकांश कार्य पहले ही पूरे हो चुके हैं और राष्ट्र को समर्पित कर दिए गए हैं।
वहीं प्रसाद योजना के तहत “गोवर्धन मथुरा के विकास” परियोजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा 39.73 करोड़ रुपए की लागत से जनवरी 2019 में मंजूरी दी गई थी। इसके तहत 15.82 करोड़ रुपए की लागत से ‘मल्टी लेवल कार स्टैंड ब्लॉक, क्लॉक रूम, शौचालय, बाउंड्री वॉल और गोवर्धन बस स्टैंड पर फर्श को विकसित को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है
पर्यटन अवसंरचना में भी किया जा रहा सुधार
इसके अलावा पर्यटकों के लिए सुविधा केंद्र जैसे सूचना और द्विभाषी केंद्र, एटीएम और मुद्रा विनिमय सुविधाएं, पर्यावरण के अनुकूल बसें, प्रकाश व्यवस्था, पार्किंग, शौचालय, क्लॉक रूम, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, बारिश से बचाव के लिए स्थल, इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसे पर्यटन अवसंरचना में सुधार किया जा रहा है। इस प्रकार देश के अलग-अलग कोने में स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन को बढ़ाना दिए जाने का कार्य निरंतर जारी है। इसके कारण भारत के पर्यटन में पहले से काफी सुधार देखने को मिला है।