देहरादून : दिनांक 13 फरवरी, 2025 को नाबार्ड द्वारा स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में वर्ष 2025-26 के स्टेट फोकस पेपर का विमोचन माननीय मुख्य सचिव, श्रीमती राधा रतुड़ी, आईएएस द्वारा अपर मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार, श्री आनंद बर्धन, श्री पंकज यादव, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, डॉ. एस एन पांडे, कृषि एवं बागवानी सचिव, सुश्री दीप्ति अग्रवाल, महाप्रबंधक, भारतीय रिजर्व बैंक तथा श्री दीपेश राज, महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक की उपस्थिति में किया गया। सेमिनार का मुख्य उद्देश्य राज्य के लिए वर्ष 2025-26 हेतु आंकलित की गई ऋण संभाव्यताओं पर गहन चर्चा करना है। नाबार्ड ने वर्ष 2025-26 हेतु राज्य के लिए ₹54698 करोड रुपए की ऋण संभाव्यता का आंकलन किया है जो विगत वर्ष के वार्षिक ऋण योजना के ₹40158 करोड रुपए से 36% अधिक है। जिसमें कुल कृषि ऋण ₹19306.96 करोड़, एमएसएमई ₹30477.92 करोड़ तथा अन्य प्राथमिक क्षेत्र में ₹4913.53 करोड़ का आंकलन किया गया है।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री पंकज यादव ने कार्यक्रम में उपस्थित माननीय मुख्य सचिव एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने ऋण योजना को तैयार करने में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए नाबार्ड द्वारा 2025-26 के लिए किए गए ऋण संभाव्यता के बारे में सदन को अवगत कराया। उन्होने नाबार्ड द्वारा राज्य में किए गए कार्यों जैसे – किसान उत्पादक संगठनों का गठन, जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने हेतु प्रदेश में चल रही परियोजनाएँ, स्वयं सहायता समूहों का गठन, राज्य सरकार को आधारभूत संरचना विकास हेतु प्रदत्त वित्तीय सहायता एवं सहकारिता को बल देने हेतु PACS कंप्यूटरीकरण के लिए नाबार्ड द्वारा प्रदान कि गयी सहायता के बारे में सदन को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कृषि एवं ग्रामीण विकास, लघु उद्योगों को बढ़ावा देना, वित्तीय साक्षरता व सूक्ष्म ऋण को लोगों तक पहुँचना नाबार्ड की प्राथमिकता रही है।
माननीय मुख्य सचिव महोदया ने स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2025-26 आयोजित करने के लिए नाबार्ड को बधाई दी एवं राज्य के साथ मिलकर विभिन्न प्राथमिक क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए नाबार्ड का धन्यवाद किया। उन्होंने नाबार्ड के माध्यम से उत्तराखंड राज्य को दिए गए आरआईडीएफ़ ऋण का विशेष जिक्र करते हुए बताया कि आरआईडीएफ़ के माध्यम से राज्य में आधारभूत अवसंरचना विकास को एक विशेष गति मिलती है. उन्होने उत्तराखंड राज्य कि सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक पलायन की समस्या को चिन्हित करते हुए बताया कि राज्य सरकार नाबार्ड व अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए परियोजनाएं शुरू कर सकती है। उन्होने बताया कि जिलों के लिए तैयार कि जाने वाली ऋण संभाव्यताओं कि तर्ज पर जिला-वार विकास योजना भी बनाई जा सकती है जिससे समग्र उत्तराखंड के विकास को और गति मिलेगी. मुख्य सचिव ने बताया कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में अपार संभावनाएं हैं तथा राज्य के ग्रामीण इलाकों में इसके माध्यम से रोजगार सृजन किया जा सकता है एवं कृषि और कृषि से इत्तर अन्य क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे. उन्होने भविष्य में भी नाबार्ड के सार्थक प्रयासों को जारी रखते हुए राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाने की बता कर अपना सम्बोधन समाप्त किया.
श्री आनंद बर्धन, अपर मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार ने स्टेट फोकस पेपर के विमोचन हेतु नाबार्ड को बधाई दी और बताया कि चूंकि उत्तराखंड राज्य की सीमाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से साझा है तथा पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां की चुनौतियां भी अलग है. लोगो के पलायन करने से कृषि कार्यों में लगी जनसंख्या में कमी हो रही है इससे कृषि योग्य भूमि धीरे धीरे बंजर भूमि बनती जा रही है जो उत्तराखंड राज्य के कृषि के लिए एक समस्या के रूप में उभरी है. अपर मुख्य सचिव वाह्य एजेंसी के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिलों के लिए आकांक्षी क्षेत्र कि पहचान कर उसके समाधान के लिए योजनाए बनाकर उसे भी स्टेट फोकस पेपर में समायोजित करने की बात कही.
स्टेट फोकस पेपर, भारत और राज्य सरकार दोनों की विभिन्न नीतिगत पहलों को भी समन्वित करता है। नाबार्ड राज्य की स्थापना से ही इसके विकास में सतत महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है जिसमें आधारभूत संरचना के विकास से संबन्धित योजनाएं जैसे ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (RIDF), नाबार्ड आधारभूत सुविधा विकास सहायता (NIDA), भांडागार अवसंरचना कोष (WIF), दीर्घावधि सिंचाई निधि (LTIF) आदि प्रमुख है जिसके माध्यम से राज्य में अच्छी सड़कों, भण्डारण व्यवस्था, पेयजल तथा सिंचाई सुविधा आदि का विकास हो पाया है। आधारभूत संरचना विकास के लिए 31 दिसंबर 2024 तक नाबार्ड ने कुल 5397 परियोजनाओं के लिए ₹10374.94 करोड़ रुपए संवितरित किया है. नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2014-15 से अब तक (31 दिसंबर 2024) राज्य में कुल 136 कृषक उत्पादक संगठनों के संवर्धन के लिए ₹2694.68 लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया है. राज्य में आदिवासी जनसंख्या के जीवन स्तर में सुधार के लिए नाबार्ड प्रतिबद्ध है और इसके लिए 13 परियोजनाओं के माध्यम से 4845 आदिवासी परिवार के लिए कुल ₹20.99 करोड़ का अनुदान प्रदान किया
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