Special Story : नोबेल शांति पुरस्कार से समानित कैलाश सत्यार्थी का 2021 बच्चों के लिए रहा समर्पित |Web News |

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वर्तमान में दुनिया की स्थिति यह है कि उसके जितने भी गरीब नागरिक हैं उसकी आधी से अधिक आबादी बच्चों की है। कोरोना महामारी के प्रकोप का दुष्परिणाम यह है कि बच्चे अप्रत्याशित रूप से गरीबी और बाल श्रम के दलदल में धंसने को मजबूर हुए हैं। लॉकडॉउन और आर्थिक संकट के चलते भारत सहित दुनिया में करोड़ों लोग बेरोजगार हुए और पलायन के लिए मजबूर हुए हैं। उनके बच्चों का बचपन असुरक्षित हो गया है। ऐसे में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के बचपन को सुरक्षित बनाने के लिए वैश्विक नोताओं और नोबेल पुरस्कार विजेताओं सहित सिविल सोसायटी संगठनों, यूनियनों, छात्र संगठनों और युवाओं को एकजुट कर आंदोलन चलाया। उन्होंने महामारी के दौरान आगे बढ़कर देश-दुनिया के बड़े और महत्वपूर्ण प्लेटफार्मों पर बच्चों की दुर्दशा को उजागर किया और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने पर बल दिया है। जिससे कोविड संकट में बच्चे एक मुद्दा बने। इसके बाद तमाम अंतरराष्ट्रीय एजंसिया और सरकारें सक्रिय हुई और बच्चों के लिए नीतिया और योजनाएं बनीं। उनके द्वारा बच्चों के हित में कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार है…

“फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर” अभियान

कोरोना महामारी से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक संकटों ने बाल श्रमिकों की संख्या में अभूतपूर्व रूप से बढ़ोतरी की है। श्री कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए दुनियाभर के नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैश्विक नेताओं, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने “फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर” अभियान की शुरुआत की। फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर अभियान का लक्ष्य बच्चों के लिए दुनियाभर के संसाधनों, नीतियों और सामाजिक सुरक्षा में उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग है। कोरोनाकाल में पैदा हुए आर्थिक संकट से उबरने के लिए अमीर देशों ने जो अनुदान दिया है उसमें भी बच्चों की हिस्सेदारी के लिए अभियान चलाया। दुनियाभर के बच्चों के लिए इस अभियान का इतना महत्व है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक श्री टेड्रोस घेब्रायसे, स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, अंतर संसदीय संघ के महासचिव मार्टिन चुंगॉन्ग, यूएन सस्टेनेबल डिवेलपमेंट सोल्यूशन्स नेटवर्क के अध्यक्ष जैसे वैश्विक नेताओं ने इसका पुरजो समर्थन किया है।

स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की

भारत और दुनियाभर में महामारी की घातक दूसरी लहर के बाद श्री कैलाश सत्यार्थी ने भारत सरकार से स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने का आग्रह किया। उन्होंने इसके लिए बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन करने की मांग की। श्री सत्यार्थी की इस मांग की अहमियत को समझते हुए कई सांसदों ने इसका समर्थन किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने श्री सत्यार्थी की इस मांग को इतना महत्वपूर्ण माना कि उन्होंने तुरंत केंद्र से स्वास्थ्य के अधिकार को संविधान के मौलिक अधिकार का हिस्सा बनाने की वकालत कर दी।

महामारी से अनाथ हुए बच्चों को तत्काल कानूनी और मानसिक सहायता उपलब्ध कराई

कैलाश सत्यार्थी महामारी में अनाथ हुए बच्चों की संख्या को उजागर करने वाले पहले व्यक्ति थे। महामारी की दूसरी लहर में हजारों बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया और वे अनाथ हो गए। श्री सत्यार्थी के नेतृत्व में उनके संगठनों कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) और बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने बच्चों और उनके अभिभावकों को तत्काल कानूनी और मानसिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे का हेल्पलाइन नम्बर शुरू किया। साथ ही सरकार से उन्हें आर्थिक सहायता देने की भी मांग की। इसके बाद सरकार ने कोरोना महामारी से अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने श्री सत्यार्थी को बनाया एसडीजी एडवोकेट

श्री कैलाश सत्यार्थी पिछले चालीस सालों से बाल श्रम को पूरी दुनिया से खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एक ओर जहां कई संगठनों को स्थापित किया है, कई जन-जागरुकता यात्राएं निकाली हैं, वहीं दूसरी ओर उनके नेतृत्व में सैकड़ों नए कानून और नीतियां बनीं हैं। उनके नेतृत्व में वर्ष 1998 में दुनियाभर से बदतर प्रकार की बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए 103 देशों में निकाली गई ग्लोबल मार्च अर्गेस्ट चाइल्ड लेबर को कौन भूला सकता है। उनकी इसी यात्रा की देन है अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा आईएलओ कन्वेंशन 182 को पारित किया जाना। इस कानून के बनने के मात्र 20 वर्षों में ही दुनियाभर में बाल मजदूरों की संख्या 26 करोड़ से घटकर 16 करोड़ हो गई। कोरोना काल में भी श्री सत्यार्थी ने बच्चों के प्रति जिस सक्रियता, संवेदनशीलता, करुणा और तत्परता का परिचय दिया, उसी को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने उन्हें अपना एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) एडवोकेट नियुक्त किया है। एसडीजी एडवोकेट के रूप में श्री सत्यार्थी संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य को सन् 2030 तक हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह भारत के लिए गौरव की बात है।

श्री सत्यार्थी के प्रयास से कोरोनाकाल में 13 हजार से अधिक बच्चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम से कराया गया मुक्त कोरोना महामारी के दौरान बच्चों की ट्रैफिकिंग, बाल श्रम, बाल विवाह और डिजिटल चाइल्ड पोर्नोग्राफी में बेतहाशा वृद्धि हुई। ऐसे में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में उनके संगठनों ने देशभर में संकट सहायता केंद्र बनाए संगठनों ने दो हजार से अधिक कीविड केयर किट्स का वितरण करते हुए 17 राज्यों और 390 जिलों में 90 लाख बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया। बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने महामारी के दौरान 13,000 से अधिक बच्चों को ट्रैफिकिंग और बाल श्रम से मुक्त कराने का काम किया।

कोरोनाकाल में बच्चों को ट्रैफिकिंग के शिकार होने से बचाने के लिए चलाया जागरुकता अभियान

कोरोनाकाल में बड़े पैमाने पर अप्रवासी मजदूर पलायन करके गांव लौटे तो दलालों की नजर उनके बच्चों पर गई और वे गरीबी से लाचार मजदूरों को उनेक बच्चों को नौकरी देने का लालच देकर शहरों में ले जाकर बाल श्रम के लिए बेचने लगे। ऐसे में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने ऐसे मजदूर माता-पिताओं और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए ट्रैफिकिंग के संवेदनशील इलाकों में जन जागरुकता अभियान चलाया मुक्त बाल मजदूर नेताओं द्वारा चलाए जा रहे मुक्ति कारवां अभियान के जरिए बच्चों की ट्रैफिकिंग, बाल श्रम और बाल विवाह के खिलाफ पूरे देश में सघन जागरुकता अभियान चलाया गया। साथ ही ऐसे गावों में एंटीलीजन्स नेटवर्क तैयार किया गया। फाउंडेशन के कार्यकर्ता गावों में पढ़े लिखे नौजवानों से संपर्क स्थापित करते और ये नौजवान इलाके के दलालों पर नज़र रखते और जैसे ही ये दलाल किसी बच्चे को ले जाते, वे फौरन कार्यकर्ताओं को सूचित कर देते। ऐसी सूचनाओं पर संगठन ने पुलिस और प्रशासन की मदद से छापामार कार्रवाई कर हजारों बच्चों को ट्रैफिकिंग से मुक्त कराया और तमाम दलालों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। ट्रैफिकिंग के खिलाफ देश में मजबूत कानून नहीं है। श्री सत्यार्थी लगातार एक एंटी ट्रैफिकिंग कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग पर केंद्र सरकार ने एक एंटी ट्रैफिकिंग बिल तैयार किया है, जिसे संसद में पेश किया जाना है।

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